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– गोपाल शुक्ल:
अमेरिका ने एक बार फिर रूस को चिकोटी काटी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को अमेरिकी हथियारों से रूस के भीतर अटैक करने की इजाजत क्या दी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बुरी तरह से भड़क गए और गुस्से में लाल पुतिन ने जो कदम उठाया उसे देखकर और उसके बारे में जानकर पूरी दुनिया सहम गई है। क्योंकि इस एक कदम से पूरी दुनिया एक बार फिर परमाणु युद्ध की कगार पर पहुँचने के रास्ते पर आगे बढ़ गई है।
जो बाइडन के फैसले के बाद ही रूस ने अपनी परमाणु नीति में व्यापक बदलाव किए हैं। उनका उद्देश्य अपनी रूसी सैन्य स्थिति को और मजबूत करना तो है ही साथ ही संभावित खतरों का सामना करने के लिए अपने परमाणु हमलों को और असरदार और व्यापक बनाना भी है।
रूसी फेडरेशन की सिक्योरिटी काउंसिल में डिप्टी चेयरमैन और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, ‘रूस के नए परमाणु सिद्धांत का मतलब साफ है कि हमारे देश के खिलाफ दागी गई नाटो मिसाइलों को अब रूस पर संयुक्त हमला माना जाएगा। इससे रूस को इस बात का अधिकार मिल जाता है कि वह कीव और प्रमुख नाटो ठिकानों के खिलाफ WMD यानी परमाणु हथियार से जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
‘रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को पश्चिम और यूक्रेन को खुली चेतावनी देते हुए एक डिक्री पर साइन किए। इस नए मसौदे में इस बात का दायरा तय किया गया है कि मॉस्को किन-किन हालात में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। पुतिन ने कहा है कि अगर कोई देश जिसके पास परमाणु हथियार नहीं है, अगर वो किसी न्यूक्लियर पावर वाले देश के सपोर्ट से रूस पर हमला करता है तो इसे रूस के खिलाफ ऐलान ए जंग समझा जाएगा।
संयुक्त हमले की अवधारणा
नई नीति में ये साफ किया गया है कि अगर किसी गैर-परमाणु देश जैसे यूक्रेन किसी भी सूरत में रूस पर हमला करता है और उसमें किसी परमाणु समर्थक देश जैसे अमेरिका, यूके, या फ्रांस की भागीदारी या समर्थन शामिल होता है, तो इसे रूस पर “संयुक्त हमला” माना जाएगा।
पश्चिमी देशों की राजनीति और कूटनीति पर करीबी नज़र रखने वाले जानकारों का कहना है कि यह प्रावधान न केवल यूक्रेन बल्कि पश्चिमी देशों पर भी दबाव बनाने के लिए है।
इसका उद्देश्य इस बात के संकेत देना भी है कि रूस अपने बचाव के लिए हर संभव कदम उठा सकता है। जिसमें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है।
व्लादिमीर पुतिन कहा कि अगर रूस के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल हुआ तो जवाब में रूस परमाणु हमला भी कर सकता है। पुतिन ने यह बदलाव अपने देश के न्यूक्लियर डॉक्ट्रीन में किया है, ताकि यूक्रेन का साथ दे रहे देश उसपर हमला न कर सकें। अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने हाल ही में यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दी है। इसी के मद्देनज़र पुतिन ने यह कदम उठाया है।
पुतिन के फैसले से क्या बदला?
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जो बदलाव किए हैं, उसके मुताबिक- अगर कोई देश रूस के खिलाफ ड्रोन हमला करता है, तो इसका जवाब न्यूक्लियर डेटरेंस के तौर पर भी किया जा सकता है। रूस की सेना इस तरह के हमले का करारा जवाब देगी। अगर रूस की सीमा पार करके कोई हथियार हवा या अंतरिक्ष से आता है, तो इसे रूस के खिलाफ जंग का ऐलाना माना जाएगा। रूस ऐसी सूरत में भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
अगर रूस को ऐसा लगता है कि उसके देश और उसके नागरिकों को खतरा है तो वह न्यूक्लियर मिसाइल और मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी तैनात कर सकता है ताकि दुश्मन के हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। अंतरिक्ष से हमले की स्थिति में रूस अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को एक्टीवेट करेगा, साथ ही स्पेस में भी हमला किया जा सकता है। इस तरह के हमले में न्यूक्लियर डेटरेंस का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
पुतिन ने ये बदलाव क्यों किए?
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने अपना पद छोड़ने से पहले यूक्रेन को रूस के अंदर हमला करने के लिए अमेरिकी कंपनियों के बने हथियारों का खुलकर इस्तेमाल करने की छूट दे दी है। इसके साथ अब यूक्रेनी सैनिक आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम या ATACMS (Army Tactical Missile Systems) का इस्तेमाल कर सकेंगे। यूक्रेन से जुड़े सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए तो आने वाले दिनों में यूक्रेन रूस के खिलाफ लंबी दूरी के हमले करने की प्लानिंग कर रहा है।
तीसरे विश्व युद्ध को बढ़ावा देगा बाइडेन का फैसला
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कई महीने पहले अपनी सेना को देश की सीमा से रूसी सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। रूसी सांसदों ने चेतावनी देते हुए कहा बाइडेन प्रशासन के इस कदम से युद्ध और बढ़ेगा। रूस की एक सांसद व्लादिमीर दजबारोव ने कहा है कि यह तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत की दिशा में बहुत बड़ा कदम है। डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने बाइडेन सरकार पर आरोप लगाया है कि वह उनके पिता के 20 जनवरी को शपथ लेने से पहले ही वर्ल्ड वॉर 3 शुरू करवाने के लिए वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ा रहे हैं।