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कंगाल पाकिस्तान का करोड़पति भिखारी, दादी के चालीसवें पर दे दी शाही दावत, 20 हजार लोगों को दी रॉयल पार्टी

Pakistani Bhikhari
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– गोपाल शुक्ल:

सिरी पाया, निहारी, मुरब्बा, मटन गोश्त, नान मटर गंज और ढेर सारी मिठाइयां। इतने सारे शानदार पकवान और व्यंजन के नाम सुनकर आपके मुंह में भी पानी आ गया होगा। मुमकिन है कि आपको इस बात का गुमान हो कि ये सब कुछ तो किसी शाही दावत का मेन्यू है। और जब शाही दावत का जिक्र हुआ हो तो यही गुमान हो सकता है कि ऐसा शानदार खाना तो किसी भी देश के शाही परिवार का कोई समारोह हो और उसमें ऐसे लजीज खाने का लुत्फ उठाया जा रहा हो।

करोड़पतियों का हुआ कलेजा छलनी

अगर आप वाकई ऐसा ही सोच रहे हैं तो हमें यकीन है कि पूरा किस्सा जानने और समझने के बाद आपको अपनी सोच पर तरस भी आएगा और मुंह की बजाए आपकी आंखों से पानी आ जाएगा। क्योंकि हम यहां जिस शाही दावत का जिक्र करने जा रहे हैं उसका लुत्फ एक दो परिवारों ने नहीं बल्कि 20 हजार से ज्यादा लोगों ने उठाया। और इससे भी ज्यादा मजे की बात ये है कि ये दावत किसी करोड़पति या अरबपति ने नहीं दी थी बल्कि एक ऐसे परिवार ने दी जो खुद दाने दाने को मोहताज है और जमाने में उस परिवार की पहचान ही भिखारी के परिवार की मिली हुई है।

कंगाल पाकिस्तान का अमीर भिखारी सुर्खियों में

वैसे दुनिया की नज़र में पाकिस्तान की हैसियत किसी भिखारी से कम नहीं है। और अपनी इसी औकात की वजह से ये मुल्क अक्सर सुर्खियों में भी रहता है। मगर इन दिनों सुर्खियों में इसी कंगाल पाकिस्तान का एक भिखारी परिवार छाया हुआ है, जिसकी हरकत ने दुनिया के बड़े से बड़े अरबपति और खरबपति का कलेजा भी छलनी कर दिया।

सोशल मीडिया पर छाई भिखारी की शाही दावत

दरअसल पाकिस्तान के गुजरांवाला में एक भिखारी परिवार ने एक ऐसी शाही दावत का इंतजाम कर डाला जिसने पाकिस्तान तो छोड़ो दुनिया में कई लोगों के होश ही उड़ा दिए। बीते दो दिनों से ये खबर और एक भिखारी परिवार का मुखिया सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। उसकी तस्वीर के साथ जो खबर लिखी हुई है उसे पढ़ने के बाद कोई भी चौंके बिना नहीं रह सकता।

शाही दावत में लजीज पकवानों का मेन्यू

क्योंकि उस भिखारी परिवार ने एक शानदार शाही दावत का इंतजाम किया जिसमें एक दो नहीं बल्कि पूरे सूबे के करीब 20 हजार से ज्यादा लोगों ने न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि शाही दावत के लजीज पकवानों का लुत्फ भी उठाया। पहले जरा इसके मेन्यू के बारे में जान लीजिए। इस परिवार ने अपने मेहमानों लिए दोपहर के भोजन में सिरी पाये, मुरब्बा और मीट की अलग-अलग डिशेज तैयार करवाई थीं।

दावत के लिए 250 बकरों की कुर्बानी

जबकि डिनर यानी रात के खाने में मेहमानों के लिए मटन, नान मटर गंज (मीठे चावल) के अलावा कई तरह की मिठाइयों का भी इंतजाम किया गया था। मिली जानकारी के मुताबिक इस दावत में करीब 20 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए और इतनी तादाद में मेहमानों के आने की वजह से इस परिवार ने 250 बकरों की कुर्बानी दी थी।

दादी के चालीसवें पर 1.25 करोड़ खर्च किए

दरअसल पूरा वाकया कुछ यूं है कि पाकिस्तान के गुजरांवाला में एक भिखारी फैमिली ने लगभग 20,000 लोगों के लिए एक शानदार दावत का आयोजन किया।गुजरांवाला के रहवाली रेलवे स्टेशन के पास रहने वाली दादी की मौत के 40वें दिन इस भिखारी परिवार ने ये दावत का इंतजाम करवाया था। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस दावत के इंतजाम के लिए उस परिवार ने करीब 1.25 करोड़ पाकिस्तानी रुपये यानी 38 लाख भारतीय रुपये खर्च कर डाले।

मेहमानों के लिए किया 2000 गाड़ियों का इंतजाम

अब सबसे ज्यादा हैरानी तो इसी बात की है कि जो परिवार भीख मांगकर अपना गुजारा करने का दावा करता है उसके पास इतनी बड़ी पार्उटी करने के लिए इतनी रकम आई कहां से। बताया तो यहां तक जा रहा है कि मेहमानों को लाने और ले जाने के लिए लगभग इस परिवार ने 2,000 गाड़ियों का इंतजाम किया था।

सोशल मीडिया पर वायरल हो गई दावत

ये शाही दावत इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। एक यूजर ने लिखा, ‘अगर ऐसा है तो फिर भीख मांगने को बिजनेस घोषित करके उस पर टैक्स लगाना शुरू कर देना चाहिए। क्या जबरदस्त मजाक बना दिया गया है।

भीख को लेकर छिड़ी नई बहस

इस खबर के वायरल होने के बाद अब इस बात की बहस शुरू हो गई है कि क्या वाकई भीख मांगने में इतना प्रॉफिट है कि लोग शाही दावत जैसा आयोजन भी कर सकते हैं?

Author

  • गोपाल शुक्ल - दायित्व मीडिया

    जुर्म, गुनाह, वारदात और हादसों की ख़बरों को फुरसत से चीड़-फाड़ करना मेरी अब आदत का हिस्सा है। खबर का पोस्टमॉर्टम करने का शौक भी है और रिसर्च करना मेरी फितरत। खबरों की दुनिया में उठना बैठना तो पिछले 34 सालों से चल रहा है। अखबार की पत्रकारिता करता था तो दैनिक जागरण और अमर उजाला से जुड़ा। जब टीवी की पत्रकारिता में आया तो आजतक यानी सबसे तेज चैनल से अपनी इस नई पारी को शुरु किया। फिर टीवी चैनलों में घूमने का एक छोटा सा सिलसिला बना। आजतक के बाद ज़ी न्यूज, उसके बाद फिर आजतक, वहां से नेटवर्क 18 और फिर वहां से लौटकर आजतक लौटा। कानपुर की पैदाइश और लखनऊ की परवरिश की वजह से फितरतन थोड़ा बेबाक और बेलौस भी हूं। खेल से पत्रकारिता का सिलसिला शुरू हुआ था लेकिन अब तमाम विषयों को छूना और फिर उस पर खबर लिखना शौक बन चुका है। मौजूदा वक्त में DAYITVA के सफर पर हूं बतौर Editor एक जिम्मेदारी का अहसास है।

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