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नवजोत सिद्धू ने बताया किचन से कैंसर का इलाज? ‘हल्दी और नीम’ वाली थेरेपी डॉक्टरों के गले से नहीं उतरी

Sidhu News Today - Dayitva Media
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– गोपाल शुक्ल:

ओ.. बजाओ गुरू, बाबा जी का ठुल्लू, खटाक…ये सारे जुमले जैसे ही जुबान पर आते हैं, नवजोत सिंह सिद्धू का चेहरा जेहन में घूमने लगता है। क्योंकि इन जुमलों के जनक वहीं है। और इन्हीं की बदौलत वो हिन्दुस्तान के घर घर में मशहूर हो गए। बीच में कॉमेडी शो से बाहर निकलकर अपने सियासी दांव पेंच की वजह से सुर्खियों में आने की फिराक में लगे नवजोत सिद्धू अचानक एक बार फिर घर घर में पूछे जा रहे हैं, लेकिन इस बार वजह थोड़ी अलग है। मामला बेहद सीरियस भी है और गौर करने लायक भी।

हिन्दुस्तान में हैं 14 लाख से ज्यादा कैंसर मरीज

दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछले दिनों एक दावा किया कि उनकी पत्नी नवजोत कौर ने अपनी कैंसर की बीमारी से छुटकारा पा लिया। सिद्धू के इस दावे के बाद देश के करोड़ों लोग ये जानने को बेताब हो गए कि आखिर इस लाइलाज बीमारी का इलाज नवजोत सिंह सिद्धू को कैसे मिल गया और कहां से मिला। क्योंकि इस देश में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 के करीब है। ये वो मामले हैं जो रजिस्टर्ड हैं। और ये आंकड़ा साल 2022 का है।

स्टेज 4 कैंसर से जूझ रही थीं नवजोत सिद्धू कौर

बहरहाल तो हम नवजोत सिंह सिद्धू की बात कर रहे थे। नवजोत सिंह सिद्धू ने दावा किया कि उनकी पत्नी यानी नवजोत कौर बीते कुछ अरसे से कैंसर की खतरनाक बीमारी से जूझ रही थीं। उन्हें स्टेज 4 का कैंसर था। लेकिन अब नवजोत कौर काफी हद तक इस बीमारी के चंगुल से बाहर निकल आई हैं।

किचन से कैंसर का इलाज

सिद्धू ने दावा किया कि उनकी पत्नी को ये कामयाबी डॉक्टरों के इलाज से कम घरेलू नुस्खों से ज्यादा मिली। अपने अमृतसर वाले घर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सिद्धू ने ये बात अपने ही अंदाज में कही। किचन से कैंसर के इलाज के बारे में बात करते हुए सिद्धू ने कहा कि उनकी पत्नी के आहार में नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब का सिरका, नीम की पत्तियां, तुलसी, कद्दू, अनार, आंवला, चुकंदर और अखरोट जैसी चीजें शामिल थीं, जिसकी वजह से वह स्वस्थ हो गईं।

लाइफस्टाइल बदला तो हो गया कैंसर ठीक

नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने ही अंदाज में पूरी ठसक से कहा है कि कि शुगर, डेयरी प्रोडक्ट से परहेज ने उनकी पत्नी का कैंसर ठीक करने में बहुत अहम रोल निभाया है। सिद्धू का कहना है कि अपनी दिनचर्या और लाइफस्टाइल चेंज करने से इस बीमारी से लड़ने और उसे हराने में कामयाबी हासिल हुई है।

सिद्धू का इलाज सोशल मीडिया पर वायरल

सिद्धू ने ये दावा क्या किया सोशल मीडिया में सिद्धू के इस दावे को लेकर आग सी लग गई। देखते ही देखते सिद्धू का ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और जिसे देखो वही सोशल मीडिया में छाये इस दावे को लेकर इधर उधर कानाफूसी करता दिखाई पड़ गया। कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज को लेकर कांग्रेसी नेता और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू का ये दावा है ही ऐसा। क्योंकि इस मुल्क में अगर किसी बीमारी से सबसे ज्यादा लोग डरते हैं तो वो कैंसर ही है। क्योंकि कहा जाता है कि कैंसर वो बीमारी है जो बेशक होती किसी एक को है, लेकिन वो बीमारी पूरे परिवार को खोखला कर देती है। मरीज के साथ पूरा घर तिल तिलकर मरता है।

दावे पर यकीन न करने की कोई वजह नहीं

लेकिन जब सिद्धू सरीखे सेलेब्रिटी ऐसा दावा करें तो हर कोई जानने को बेताब हो जाता है कि आखिर ऐसा हुआ तो कैसे? तब सिद्धू का ये खुलासा कि हल्दी और नीम के सेवन ने इस बीमारी से निजात दिलाने में मदद की, बात और भी ज्यादा वजनदार हो जाती है। क्योंकि हम अपने बड़े बूढ़ों से हल्ती और नीम का फायदे के बारे में तो बचपन से सुनते आए हैं, लेकिन कभी आजमाने की हिम्मत नहीं पड़ पाती थी। उसकी अलग अलग वजह भी हो सकती हैं। लेकिन सिद्धू के इस बयान के बाद इस बात की चर्चा हर घर में होने लगी।

डॉक्टरों तक पहुँचा बयान

जाहिर है जब जमाने में किसी बात को लेकर खुसर फुसर चल रही हो, बातें सोशल मीडिया तक में शोर मचाने लगी हो तो बात उन लोगों तक भी जरूर जाएगी जिनका इस बीमारी के साथ नजदीकी का रिश्ता है, यानी वो डॉक्टर जो इस जानलेवा बीमारी का इलाज करते हैं।

इलाज सुनकर बिफर गई डॉक्टरों की बिरादरी

नवजोत सिंह सिद्धू की बात सुनते ही डॉक्टरों की बिरादरी बिफर गई। देश के सबसे बड़े कैंसर के अस्पताल के तौर पर मशहूर टाटा मेमोरियल के डॉक्टरों का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू का ये दावा सरासर कोरी बकवास है। टाटा मेमोरियल अस्पताल के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने इस दावे पर असहमति जताई है। एक पत्र जारी करके डॉक्टरों कहा कि इन बयानों का समर्थन करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

262 डॉक्टर उतरे मैदान में

टाटा मेमोरियल अस्पताल में काम करने वाले 262 कैंसर विशेषज्ञों के अलावा कुछ पूर्व कैंसर विशेषज्ञों का इस सवाल पर उनका जवाब ना है। डॉक्टरों ने अपने एक बयान में कहा है कि, ”सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। एक पूर्व क्रिकेटर अपनी पत्नी के कैंसर के इलाज के बारे में जो दावे कर रहा है वो सरासर गलत है।क्योंकि उसके बयान का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।” वीडियो के कुछ हिस्सों में सिद्धू कहते सुनाई दे रहे हैं कि हल्दी और नीम के उपयोग से उनकी पत्नी के “लाइलाज” कैंसर को ठीक करने में मदद मिली। इन बयानों का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।”

‘कैंसर के लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाओ’

अपनी चिट्ठी में डॉक्टरों ने लिखा, “हम लोगों से अपील करते हैं कि वे अप्रमाणित उपचारों का पालन न करें और अपने इलाज में देरी न करें। बल्कि, अगर किसी को अपने शरीर में कैंसर के कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो उनको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और यह सलाह एक कैंसर विशेषज्ञ से लेनी चाहिए।”

खुद भी डॉक्टर रह चुकी हैं नवजोत कौर

अब ये बहस इसलिए भी दिलचस्प हो जाती है कि नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू खुद भी एक डॉक्टर हैं। और उससे भी बड़ी बात ये है कि वो पंजाब के स्वास्थ्य विभाग में काम कर चुकी हैं। ऐसे में उनके कहे को या उनको सामने रखकर नवजोत सिद्धू के कहे को भी लोग नज़रअंदाज तो कर नहीं देंगे।

डॉक्टरों की राय इलाज के लिए सोशल मीडिया पर भरोसा करना घातक

कैंसर की जानी मानी डॉ. कनुप्रिया भाटिया पंजाब के लुधियाना में मोहन दाई ओसवाल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट के रूप में काम करती हैं। उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, “मेरे क्लीनिक में आने वाले कम से कम 30-40 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें लंबे समय से कैंसर है, लेकिन, वे इलाज के लिए जड़ी-बूटियों पर निर्भर हैं।” डॉक्टर कनुप्रिया का दावा है कि देश का एक बड़ा वर्ग ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है, जिसकी वजह से मरीज़ अक्सर डॉक्टर से सलाह लेने के बजाय जड़ी बूटी और टोने टोटके के चक्कर में पड़ जाता है। ऐसे मरीजों के यकीन को सोशल मीडिया और भी ज्यादा भरोसा देता है क्योंकि ये लोग सोशल मीडिया में किसी भी तरह के प्रामाणिकता को जानें और जांचे बगैर कही गई बात पर यकीन कर लेते हैं। डॉक्टर का कहना है कि कैंसर जैसी बीमारी का इलाज खुद से करना घातक हो सकता है।

खाने पीने से इलाज की बात गले नहीं उतरी

कैंसर को केवल खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करके ठीक नहीं किया जा सकता है। ये दावा भी एक डॉक्टर का ही है। पंजाब स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर हैं डॉक्टर जसबीर औलख। डॉक्टर औलख का कहना है कि उचित खान-पान कैंसर के इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। डॉक्टर औलख कहते हैं, ”पहले के जमाने में लोग सूर्यास्त के बाद खाना नहीं खाते थे और सुबह का पहला भोजन 10 बजे के आसपास कर लिया करते थे, जिसे अब इंटरमिटेंट फास्टिंग कहा जाता है। डॉक्टर साहब कहते हैं कि यही बात तो हम भी अपने मरीजों और उनके तीमारदारों को बताते और समझाते हैं। लेकिन सिर्फ इन चीजों से ही कैंसर का इलाज किया जा सकता है, ये बात कुछ गले नहीं उतर पा रही।

कैंसर के खतरनाक आंकड़े

जब कैंसर पर बात हो ही रही है तो अब एक और आंकड़ा है जिस पर गौर करने की खासतौर पर जरूरत है

  • भारत में कैंसर से जुड़ी कुछ ऐसी सच्चाई जो अब तक सामने आई है।
  • भारत में हर साल करीब 10 लाख से ज़्यादा नए कैंसर के मामले सामने आते हैं.
  • भारत में कैंसर होने की संभावना करीब नौ में से एक व्यक्ति को होती है.
  • कैंसर से मौत होने की संभावना करीब नौ में से एक पुरुष और 12 में से एक महिला को होती है.
  • पुरुषों में फेफड़े और महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे ज़्यादा होता है.
  • उत्तर प्रदेश में कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले होते हैं.

इलाज की मजबूत रीढ़ है खानपान

डॉक्टर कनुप्रिया भाटिया ये बात पूरे जोर देते हुए कही है कि, ”अगर हम सिर्फ कैंसर के इलाज की बात करें, तो इसे चार भागों में बांटा गया है। पहला है सर्जरी। दूसरा कीमोथेरेपी। तीसरा रेडिएशन और चौथा है इम्यूनोथेरेपी। मगर इन चारों इलाज की रीढ़ है अच्छा खान-पान।” वह कहती हैं, जरूरी यह है कि मरीज का खानपान या डाइट डॉक्टर या कैंसर स्पेशलिस्ट ही तय करे। क्योंकि उसे पता है इलाज कैसे करना है।

डॉक्टरों ने सिद्धू की बात को झुठलाया

बहरहाल बहस तो छिड़ चुकी है। सिद्धू ने कहा था कि उनकी पत्नी नवजोत कौर स्टेज-4 के कैंसर से जूझ रही थीं। एक साधारण सी डाइट और व्यवस्थित लाइफस्टाइल से उनका कैंसर ठीक हुआ है। लेकिन टाटा मेमोरियल के डॉक्टर प्रमेश ने सिद्धू की प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक क्लिप भी एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘ऐसी बातें सुनकर किसी को मूर्ख नहीं बनना चाहिए, क्योंकि नवजोत कौर की सर्जरी और कीमोरथैरेपी भी हुई थी। उसी इलाज की वजह से उन्हें आज कैंसर से छुटकारा मिला है। इसमें उनका संतुलित खानपान अहम हो सकता है लेकिन हल्दी, नीम या किसी भी चीज के मददगार होने का दावा शायद गैर-वैज्ञानिक है।

Author

  • गोपाल शुक्ल - दायित्व मीडिया

    जुर्म, गुनाह, वारदात और हादसों की ख़बरों को फुरसत से चीड़-फाड़ करना मेरी अब आदत का हिस्सा है। खबर का पोस्टमॉर्टम करने का शौक भी है और रिसर्च करना मेरी फितरत। खबरों की दुनिया में उठना बैठना तो पिछले 34 सालों से चल रहा है। अखबार की पत्रकारिता करता था तो दैनिक जागरण और अमर उजाला से जुड़ा। जब टीवी की पत्रकारिता में आया तो आजतक यानी सबसे तेज चैनल से अपनी इस नई पारी को शुरु किया। फिर टीवी चैनलों में घूमने का एक छोटा सा सिलसिला बना। आजतक के बाद ज़ी न्यूज, उसके बाद फिर आजतक, वहां से नेटवर्क 18 और फिर वहां से लौटकर आजतक लौटा। कानपुर की पैदाइश और लखनऊ की परवरिश की वजह से फितरतन थोड़ा बेबाक और बेलौस भी हूं। खेल से पत्रकारिता का सिलसिला शुरू हुआ था लेकिन अब तमाम विषयों को छूना और फिर उस पर खबर लिखना शौक बन चुका है। मौजूदा वक्त में DAYITVA के सफर पर हूं बतौर Editor एक जिम्मेदारी का अहसास है।

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