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बर्बादी के बादशाह ‘बाबर’ ने डाली बवाल की बुनियाद, जलते हुए संभल का ये है सुलगता हुआ सच

Babar Connection With Sambhal Jama Masjid Violence Know Story And All References
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– श्याम दत्त चतुर्वेदी:

पिछले 48 घंटों के दौरान उत्तर प्रदेश के संभल में जो आग लगी, क्या उसके लिए मुगल शासक बाबर कसूरवार है? ये बात इसलिए क्योंकि यूपी के इस ताजा बवाल के गुबार में जो अक्स नज़र आ रहा है वो चेहरा करीब करीब बाबर जैसा दिखाई दे रहा है।

किस्से की शुरूआत हुई 500 साल पहले

यूपी के बवाल की बात को शुरू करने के लिए वक्त को थोड़ा पीछे लेकर चलते हैं। बात साल 1483 की है। फरगना घाटी के अंदीजान शहर में वहां के शासक उमर शेख मिर्जा द्वितीय और उसके बेगम कुतुलुग निगार खानम के एक बेटा हुआ। उसका नाम रखा जाता है जहीरुद्दीन मुहम्मद। हालांकि, बाद में उच्चारण की दिक्कत के कारण उसका नाम बाबर पुकारा जाने लगता है। महज 11 साल की उम्र यानी साल 1494 में वो फरगना का शासक बन गया था। जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती गई उसके साम्राज्य का विस्तार भी होता गया। उसने काबुल में अपनी हुकूमत कायम कर ली। लेकिन बाबर की उम्र और बाबर के कदम यहीं नहीं रुके।

मुगल शासन की बुनियाद में जुल्म-ओ-सितम का सिलसिला

समरकंद में तीन लड़ाइयों में मिली हार के बाद साल 1525 में बाबर ने भारत का रुख किया। हिन्दुस्तान पहुँचकर उसने मुगल शासन की नींव रखी। इसी के साथ हिंदुस्तान में मुगलिया जुल्मों सितम का सिलसिला शुरू होता है। मुगल शासन में भारत की पहचान मिटाने के साथ ही यहां के हिंदुओं पर उसने सितम ढाने शुरू कर दिए। उस दौर में मंदिरों को तोड़ा गया और उनकी जगह उसने अपने अल्लाह की इबादतगाह बनाने का एक नया सिलसिला शुरू कर दिया।

बाबर ने ही बोया बर्बादी का बीज

अपने शासन काल के दौरान बाबर ने बर्बादी का वो बीज बोया जिसे आज भी हिंदुस्तान किसी कोढ़ की तरह बर्दाश्त कर रहा है। हालांकि, अपनी मौत से पहले वो तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ लिखता है। उसी बाबरनामा के बारे में कहा जाता है कि आज के दौर में उसकी करतूतों का यही आधार माना जाता है।

कराहता हुआ संभल, बिलखता हुआ दर्द

इतनी कहानी पढ़ने के बाद अब आपके मन में भी सवाल पैदा हो रहा होगा कि आखिर इस वक्त बाबर के बारे में इतनी चर्चा क्यों? तो इसकी वजह है। और वो वजह है यूपी का कराहते हुआ संभल और उसका दर्द। जिसकी बुनियाद आज से करीब 500 साल पहले खुद को तैमूर वंश का सर्वश्रेष्ठ शासक साबित करने के लिए किए गए अत्याचारों से पड़ी थी।

सर्वे के आदेश पर हुआ बवाल

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के संभल में बाबर के दिनों में एक मस्जिद बनाई गई थी। जिसे जामा मस्जिद के नाम से यहां के लोग जानते हैं। दावा है कि इसे मंदिर को तोड़कर बनवाया गया था। लिहाजा उसी मस्जिद का सर्वे करने का जब आदेश हुआ तो बवाल हो गया। ये बवाल इस कदर बढ़ा कि सारा शहर जल उठा।

संभल में फसाद, चार लोगों की मौत

संभल की जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर रविवार को विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। इस फसाद में चार लोगों की मौत हो गई और करीब 20 लोग घायल हो गए। नाराज भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया और आगजनी की, जिसकी वजह से हालात बेकाबू हो गए। मजबूरन पुलिस को आंसू गैस के गोले चलाने पड़े और लाठीचार्ज भी करना पड़ा। इस सिलसिले में कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों को बंद कर दिया। इलाके में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया। पुलिस हिंसा को भड़काने वालों के खिलाफ NSA की कार्रवाई करने की तैयारी है।

याचिका में लगे दस्तावेजों की सच्ची गवाही

अब सवाल उठता है कि क्या संभल की शाही जामा मस्जिद वाकई में हरिहर मंदिर थी। जिसे बाबर के शासन काल में तोड़कर बनाया गया था। इस बात का दस्तावेज भी कोर्ट में लगाई गई याचिका में ही मिलता है। वही याचिका जिसे हिंदू पक्ष ने जामा मस्जिद को मंदिर बताते हुए सर्वे की मांग की थी। इसी याचिका पर कोर्ट ने सर्वे के आदेश दिए और इसके बाद संभल जल उठा।

कार्लाइल ने लिखा सच, ASI की 1875 की रिपोर्ट

संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर जो याचिका लगाई गई है इसमें दावा किया गया है कि एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर इसे बनाया गया है। इसके पक्ष में ASI की 1875 की रिपोर्ट को पेश किया गया है। ASI की 1875 की रिपोर्ट की बात करें तो इसे एसीएल कार्लाइल ने तैयार किया था। इसका और ‘Tours in the Central Doab and Gorakhpur 1874–1875 and 1875–1876’ के रूप में प्रकाशित किया गया था। इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं।

खंबों के प्लास्टर में छुपी थी असलियत

एसीएल कार्लाइल की रिपोर्ट में संभल की जामा मस्जिद को लेकर विस्तृत सर्वेक्षण दर्ज है। इसमें मस्जिद के अंदर और बाहर के खंबों को पुराने मंदिरों के खंबो सरीखा बताया गया है। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि मस्जिद खंबे से प्लास्टर हटाने पर लाल रंग के प्राचीन खंबे नजर आए जो हिंदू मंदिरों में इस्तेमाल होने वाली संरचना के हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मस्जिद में मौजूद एक शिलालेख में भी इसके निर्माण को लेकर प्रमाण मिलते हैं। ASI की 1875 की रिपोर्ट में बताया गया है कि मस्जिद में एक शिलालेख है। इसमें इसके निर्माण को लेकर बताया गया है कि इसे 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने पूरा कराया था। मीर हिंदू बेग बाबर का सिपहसालार था।

बाबरनामा में जामा मस्जिद का सच

मस्जिद का निर्माण किसी हिंदू धार्मिक स्थल को बदलकर करने का एक और आधार बाबरनामा भी है, जिसे खुद बाबर ने लिखा था। इसे बाद में अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद कराया गया। हिंदू पक्ष ने बाबरनामा का जिक्र करते हुए बताया कि इस आत्मकथा के (ब्रिटिश ओरिएंटलिस्ट एनेट बेवरिज, वर्जन) के पृष्ठ 687 पर लिखा कि बाबर के आदेश पर उसके दरबारी मीर हिंदू बेग ने संभल के हिंदू मंदिर को जामा मस्जिद में परिवर्तित किया। यह विवरण शिलालेख से भी मेल खाते है जिसमें मीर हिंदू बेग का नाम और 933 हिजरी वर्ष (1527 के आसपास) में मस्जिद के निर्माण का उल्लेख है।

शुरू हो गई संभल पर सियासत

एक ओर संभल जल रहा है। लोगों को कर्फ्यू जैसे माहौल में रहना पड़ा रहा है। दूसरी ओर मामले को लेकर सियासत तेज हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे सरकार की साजिश बताते हुए आरोप लगाया कि ये माहौल खराब करने और चुनावी मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने दावा किया कि प्रशासन ने दूसरे पक्ष को सुने बिना ही कार्रवाई कर दी। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस की फायरिंग में हुई मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं मायावती ने प्रशासन को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि पुलिस को दोनों पक्षों के बीच संवाद कराना चाहिए था।

एक दूसरे पर सियासी इल्जामों की गोलाबारी

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण ने कहा कि हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने सपा और अखिलेश यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो हमेशा समाज को तोड़ने का काम करते हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने घटना को लोकतंत्र और कानून पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि एक समुदाय का सरकारी तंत्र पर ऐसे हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। जबकि, संभल की जिया उर रहमान बर्क ने शांति की अपील करते हुए मामले को संसद में उठाने की बात कही है।

अब आगे क्या..?

संभल की शाही जामा मस्जिद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था। पहला सर्वे 19 नवंबर की रात हुआ। इसके बाद 24 नवंबर रविवार को दूसरा सर्वे करने के लिए टीम पहुंची तो उसके खिलाफ बड़ी संख्या में लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। जब पुलिस सुरक्षा में सर्वे का काम शुरू किया गया तो पथराव और हमला हो गया। वाहनों में आग लगा दी गई। नतीजा ये हुआ कि संभल में हिंसा बढ़ी और कर्फ्यू जैसा माहौल हो गया।

अधूर है अभी सर्वे का काम

पुलिस और प्रशासन अभी भी स्थिति को काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं। कई उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है। इसके बाद भी सर्वे का काम अभी रुका हुआ है। हालांकि, 29 नवंबर को अदालत में इस सर्वे की रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसमें सभी पक्षों को अपनी राय देने का मौका मिलेगा। इसके बाद तय होगी संभल में आगे की राह आखिर क्या होने वाली है।

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