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कमल के ‘कमाल’ में योगी का दम, हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक चला ‘महाराज’ का ‘महामंत्र’, योगी बने जीत की गारंटी

Dayitva Media Yogi Mahamantr
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– श्याम दत्त चतुर्वेदी:

‘ये तो होना ही था, क्योंकि, जहां हिंदुत्व होगा, वहां विकास अवश्य होगा।’ ये शब्द उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हैं जो उन्होंने साल 2022 में गुजरात चुनाव के दौरान अपने एक लेख में लिखे थे। दो साल बीतने के बाद यूपी के सीएम के समर्थक इसे कमल के ‘कमाल’ में योगी का हिस्सा मान रहे हैं। आंकड़ों की भाषा भी कुछ ऐसा ही किस्सा सुना रही है।

9 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ जहां भी बीजेपी का झंडा लेकर पहुंचे वहां करीब-करीब जीत पक्की होती गई। कम से कम उन सीटों पर जीत तो जरूर मिली जहां योगी ने प्रचार किया।


2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही योगी बीजेपी के स्टार प्रचारक बन गए। देश के अलग अलग प्रदेशों में जहां जहां भी चुनाव हुए बीजेपी और उसके सहयोगी दलों में योगी की डिमांड बढ़ती चली गई। आम चुनाव, विधानसभा चुनाव के साथ ही उनको उपचुनाव और स्थानीय चुनावों तक में बुलाया जाने लगा। लगातार बढ़ते स्ट्राइक रेट के बीच उत्तर प्रदेश में मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट जीतकर योगी ने अपना कद और भी ऊंचा बना लिया।

UP के बाहर भी योगी का जलवा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जलवा उत्तर प्रदेश तक की सीमित नहीं रहा बल्कि बाकी राज्यों के चुनाव में भी देखने को मिलने लगा। योगी का सबसे ताजा नारा है है ‘बटेंगे तो कटेंगे’। यह नारा बीते दो चुनाव में गेम चेंजर साबित हुआ, जिसकी काट विपक्षी दलों के पास फिलहाल है ही नहीं। विपक्ष के जातिगत जनगणना की मुहिम के मुकाबले योगी ने बीजेपी को इस नारे के साथ ही जीत का महामंत्र दे दिया। इससे योगी पार्टी और संघ दोनों की पसंद तो बने ही, हिंदू हृदय सम्राट वाली उनकी छवि को भी और मजबूती मिल गई।

  • हाल ही में संपन्न हुए दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव पर अगर नजर डालें तो जीत और हार के बीच योगी आदित्यनाथ एक बड़े फैक्टर बन गए। बीजेपी के गठबंधन ने यूपी की 9 में से 7 विधानसभा सीटों पर जीत की पताका लहराई।
  • स्टार प्रचारक होने के नाते महाराष्ट्र में 11 रैलियों के जरिए उन्होंने 17 प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। इसमें से 15 उम्मीदवारों को जीत मिली । यानी यहां उनकी जीत का प्रतिशत करीब 85 फीसदी से ज्यादा रहा। जिन 2 सीटों पर NDA को हार मिली वहां भी फासला ज्यादा नहीं था।
  • झारखंड के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां भले NDA को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन योगी आदित्यनाथ के प्रचार वाली सीटों पर NDA का प्रदर्शन बाकी के मुकाबले बेहतर रहा है। CM योगी ने यहां 18 सीट पर चुनाव प्रचार किया जिसमें से 8 सीटों पर जीत मिली है। बाकी की सीटों पर हार का अंतर महज कुछ हजार के फासले से अटक गया।

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में योगी का जादू

बात ज्यादा पुरानी नहीं है, जब तीन महीने पहले हुए हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों हुए थे। अद्भुत और अजेय आदित्यनाथ का पराक्रम उस वक्त अपने चरम पर दिखा। इन चुनावों ने योगी की लोकप्रियता पर एक मजबूत मुहर लगा दी। जम्मू में भारतीय जनता पार्टी के लिए जिन चार विधानसभा सीटों पर योगी आदित्यनाथ ने सभाएं कीं, वो चारों सीट बीजेपी के खाते में गईं। इसके साथ ही उन्होंने हरियाणा में 9 सीटों के लिए 14 सभाएं की थी। इसमें भारतीय जनता पार्टी को सभी 9 सीटों पर जीत मिली।

आम चुनाव में खास रहे योगी

इस साल के शुरुआत में देश में आम चुनाव हुए। हालांकि, बीजेपी समेत NDA के सहयोगी दलों की सीटों में खासी कमी देखने को मिली। जिसे विपक्ष और उनके समर्थकों ने भाजपा की हार के रूप में बढ़ा चढ़ाकर प्रचारित किया, लेकिन आंकड़े तो कुछ और ही कहानी सुनाने लगे। क्योंकि अगर ठीक ढंग से गौर करें तो यहां भी योगी की फैक्टर साफ नजर दिखता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने 204 रैलियां और सभाएं की थीं। चुनाव समिति को कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पार्टी अध्यक्षों ने पत्र लिखकर योगी की डिमांड की थी। ये वही वक्त था जब लोकसभा के साथ साथ आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, सिक्किम और उड़ीसा में विधानसभा चुनाव का भी फैसला होना था।

योगी की लोकप्रियता और पार्टी के प्रति समर्थन ने उनको आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के बाहर भी पोस्टर बॉय बना दिया था। चुनाव प्रचार के लिए 18 दिनों तक अन्य राज्यों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 46 चुनावी कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने 44 जनसभाएं की और दो रोड शो में शामिल हुए। इतना ही नहीं बीजेपी के स्टार प्रचारक के रूप में योगी ने कई केंद्रीय मंत्रियों और NDA के प्रमुख नेताओं के लिए भी सभाएं कीं। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के अलावा ज्यादातर सीटों में बीजेपी या उसके समर्थक दलों को जीत मिली। 2 राज्य में BJP सरकार लौटी, 2 में सहयोगियों ने सरकार बनाई।

पूरे देश में बढ़ी योगी की लोकप्रियता

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इंडिया टुडे ग्रुप ने ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे पेश किया था। इसमें उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ दोबारा सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री का खिताब जीत गए थे। पिछले साढ़े सात साल में अलग पहचान बनाने वाले योगी आदित्यनाथ को इस सर्वे में देशभर में 1.36 लाख लोगों में से 33 प्रतिशत ने अपनी पहली पसंद माना। सबसे बड़ी बात इस सर्वे में देश के 30 राज्यों की जनता ने हिस्सा लिया था।

पिछले विधानसभा चुनावों में एक्टिव

पिछले कुछ सालों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। इसमें से उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, गोवा, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अपनी सरकार बनाई है। इसके अलावा मेघालय, नागालैंड और सिक्किम में वो सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है। फिलहाल कांग्रेस के पास केवल कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना की सरकार ही बची है। इन राज्यों में चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ काफी एक्टिव नजर आए हैं। ज्यादातर स्थानों में जहां उन्होंने प्रचार किया वहां पार्टी को जीत मिली।

हैदराबाद की होती है चर्चा

जब भी देश में योगी आदित्यनाथ के लोकप्रियता की चर्चा होती है तो GHMC यानी ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन चुनाव की चर्चा जरूर होती है। साल 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी पहले बार साउथ में किसी निकाल चुनाव में प्रचार के लिए पहुंचे थे। इन चुनावों में बीजेपी को भारी बढ़त मिली थी। ग्रेटर हैदराबाद 2020 के चुनाव में बीजेपी के पक्ष में 24.26% वोट गिरे थे। इसी की बदौलत उसे 4 से बढ़कर 46 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि, उससे पहले 2016 के चुनावों में बीजेपी को 10.34% वोट मिले थे। इन्हीं चुनावों के बाद CM योगी के नाम का साउथ में बूम हुआ था।

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