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क्या संभल में अपनाया गया हिंसा का कश्मीर पैटर्न? महिलाओं को मिला था खास संदेश, ऐसे आए 3000 लोग

Dayitva Media sambhal violence
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‘जामा मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए न आएं। अपने आसपास की मस्जिदों में नमाज अता करें। जुमे की नमाज के लिए भी यहां आने की जरूरत नहीं है।’ अब जब संभल सुलग कर कुछ हद कर शांत हुआ है तो आम लोगों से ये अपील संभल शहर काजी ने अपील की है। 19 नवंबर को आए कोर्ट के फैसले के बाद उपजी हिंसा आज थोड़ा शांत हुई है। इस बीच सरकार अब एक्शन पर आ गई है। पुलिस ने भी करीब 100 आरोपियों की पहचान की है। इसमें से 27 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। आरोपियों में 4 महिलाएं शामिल हैं। अब जैसे-जैसे मामले की जांच बढ़ रही है। इसके पीछे की साजिश का खुलासा हो रहा है कि किस तरह से वहां लोगों को बुलाया गया और महिलाओं को छतों से हमला बोलने का संदेश दिया गया था।

बता दें 19 नवंबर कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अपील पर मजिस्द के सर्वे के आदेश दिए थे। इसके बाद टीम ने पहले राउंड का सर्वे किया। हालांकि, जब ASI की टीम दूसरे राउंड के सर्वे के लिए पहुंची तो वहां भारी मात्रा में भीड़ पहुंच चुकी थी। भीड़ ने पुलिस पर हमला किया और उसके बाद से हिंसा भड़क गई। अब इसे घटना को लेकर कई खुलासे हो रहे हैं।

महिलाओं को मिला था खास संदेश

जेल भेजे गए 27 आरोपियों से जब पुलिस ने पूछताछ की तो सुनियोजित साजिश का खुलासा हुआ। पुलिस के मुताबिक, घटना से पहले छतों पर ईंट, पत्थर और कांच की बोतलों का भंडारण किया गया था। महिलाओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि यदि पुलिस जवाबी कार्रवाई करे तो छतों से हमला कर देना। ठीक ऐसा ही हुआ। जब पुलिस ने स्थिति पर काबू पाने की कोशिश की, तो छतों पर मौजूद महिलाओं ने मोर्चा संभाला। पुलिस और प्रशासन पर ईंट, पत्थर और कांच की बोतलों से हमले किए गए, जिससे पुलिस को पीछे हटना पड़ा। इसी बीच, उपद्रवियों ने फायरिंग शुरू कर दी।

ऐसे जमा हुए 3000 लोग

संभल की शाही जामा मस्जिद में सामान्य दिनों में 40-50 लोग नमाज अदा करते हैं। जुमे को रोज यहां 300 से 500 लोग नमाज करने के लिए आते हैं लेकिन पिछले शुक्रवार की करीब 3000 लोग पहुंचे थे। हमेशा के मुकाबले यह संख्या काफी अधिक थी। इससे साफ जाहिर होता है कि इतनी भारी संख्या में लोग जुमे की नमाज के लिए नहीं शाही जामा मस्जिद के सर्वे का विरोध करने के लिए ही पहुंचे थे।

कश्मीर पैटर्न में हुई हिंसा

रविवार को हुई हिंसा में शामिल लोग शहर के अलग-अलग इलाकों से आए थे। गिरफ्तार हुए आरोपियों में से 13 तो हिंसा प्रभावित क्षेत्र के रहने वाले ही नहीं हैं। वो 3 से 6 किलोमीटर की दूर से यहां आए थे। पुलिस बल ने सर्वे के लिए अपना मूवमेंट शुरू किया तो मुस्लिम समुदाय में हलचल तेज हो गई। पुलिस का मानना है कि सभी उपद्रवी वाट्सएप पर बल्क मैसेज भेजकर जामा मस्जिद के पास जुटाए गए थे। आरोपियों ने कश्मीर शैली में पथराव किया। उन्होंने अपने चेहरों को कपड़े से ढक रखा था। उनके हाथों में पत्थर थे।

क्या है संभल का विवाद?

दावा है कि मस्जिद, मंदिर को तोड़कर बनवाया गया था। इसे लेकर जो याचिका लगाई गई है। इसमें ASI की 1875 की रिपोर्ट को पेश किया गया है। ASI की 1875 की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के अंदर और बाहर के खंबे पुराने मंदिरों के खंबो सरीखे हैं। मस्जिद खंभे से प्लास्टर हटाने पर लाल रंग के प्राचीन खंबे नजर आए जो हिंदू मंदिरों में इस्तेमाल होने वाली संरचना के हैं। मस्जिद में एक शिलालेख भी मिला है। इसमें इसके निर्माण को लेकर जानकारी है। इसमें बताया गया है कि इसे 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने पूरा कराया था जो बाबर का सिपहसालार था। इसी दावे के आधार पर कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था जिसके बाद संभल सुलग उठा।

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