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सोरेन की शपथ में INDIA का शक्ति प्रदर्शन, अकेले हाथ में सत्ता; क्या कांग्रेस से शुरू हो गई रस्साकशी?

Dayitva Media Hemant Soren
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झारखंड विधानसभा चुनाव में JMM और कांग्रेस के मेल यानी इंडिया गठबंधन ने बहुमत हासिल किया। ये जीत JMM और सोरेन परिवार के लिए कोई सामान्य जीत नहीं बल्कि इतिहास थी। इस विजय ने सोरेन को इतिहास रचने का मौका दिया जिसे आज उन्होंने अपने शपथ के साथ पूरा कर लिया। हेमंत सोरेन ने चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और वो झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री बन गए। उनके शपथ का मंच इंडिया गठबंधन के लिए शक्तिप्रदर्शन का भी एक मैदान बन गए। हालांकि, जब वो अकेले ही सरकार के सर्वेसर्वा बन गए तो तस्वीरें वायरल होने लगी और सरकार के गठन से पहले सवाल खड़े होने लगे।

बता दें झारखंड में दो चरणों में 81 विधानसभा सीटों के लिए मतदान कराए गए थे। इनका रिजल्ट 23 नवंबर को सबके सामने आया। इसमें इंडिया गठबंधन को बहुमत मिला। इन चुनावों में बीजेपी ने भले जीते हुए दल से 10 फीसदी अधिक वोट हासिल किए लेकिन उन्हें सीटों में बदलने में नाकाम रही।

परिवार से मिली प्रेरणा

शपथ ग्रहण से पहले, हेमंत सोरेन ने कुर्ता-पायजामा पहनकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष और अपने पिता शिबू सोरेन से आशीर्वाद लिया। इसके बाद वो अपने पिता को लेकर कार्यक्रम स्थल के लिए पहुंचे। इंडिया गठबंधन की जीत और शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी एकता ने भविष्य की राजनीति के लिए नए संकेत दिए हैं। झारखंड की जनता अब उनके नेतृत्व में विकास और सुधार की नई राह देख रही है।

INDIA गठबंधन की ताकत

हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में इंडिया गठबंधन की एकजुटता और ताकत साफ झलकी। समारोह में गठबंधन के कई प्रमुख नेता शामिल हुए। मंच पर राहुल, केजरीवाल, ममता समेत INDIA की 10 पार्टियों के नेता मौजूद रहे। यानी इस मंच को सोरेन की शपथ के साथ ये दिखाने के लिए भी उपयोग किया गया कि इंडिया गठबंधन के सभी साथी एक साथ हैं।

  • कांग्रेस अध्यक्ष- मल्लिकार्जुन खड़गे
  • कांग्रेस नेता- राहुल गांधी
  • पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री- ममता बनर्जी
  • आम आदमी पार्टी के नेता- अरविंद केजरीवाल
  • समाजवादी पार्टी प्रमुख- अखिलेश यादव
  • तमिलनाडु के नेता- उदयनिधि स्टालिन
  • कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री- डीके शिवकुमार
  • बिहार के नेता प्रतिपक्ष- तेजस्वी यादव

क्या कांग्रेस से शुरू हो गई रस्साकशी?

हेमंत सोरेन की शपथ से पहले तय यह अनुमान लगाया जा रहा था कि कम से कम उनके साथ कोर कैबिनेट के मंत्री तो शपथ जरूर लेंगे। हालांकि, ऐसा कुछ हुआ नहीं। मंच पर केवल हेमंत सोरेन ने शपथ लिया। इसके बाद से देश में JMM और कांग्रेस गठबंधन पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। सियासी जानकार तो ये तक कह रहे हैं कि सरकार गठन से पहले ही कांग्रेस के साथ हेमंत सोरेन की रस्साकशी शुरू हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के विधायकों में मंत्री पद को लेकर मची होड़ मच गई है। JMM 2019 के 5 विधायकों पर एक मंत्री पद वाले फॉर्मूला पर आगे बढ़ना चाहती है लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को ये मंजूर नहीं। इसके साथ ही कांग्रेस के विधायकों में मंत्री पद को लेकर रस्साकशी चल रही है। इस कारण गठबंधन में अभी तक मंत्रियों के नाम को लेकर फैसला नहीं हो पाया है। कांग्रेस के ज्यादातर नवनिर्वाचित विधायक दिल्ली में आला नेताओं के दरबार में हैं।

आदिवासी नेतृत्व की पहचान

हेमंत सोरेन का चौथी बार मुख्यमंत्री बनना न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि झारखंड की आदिवासी राजनीति की सशक्त उपस्थिति का प्रतीक भी है। उनकी सरकार से राज्य की जनता विशेषकर आदिवासी समुदाय को नई उम्मीदें हैं। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, और आदिवासी अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने के दावे किए थे। इसमें कुछ काम हुए भी। अब जनता को पहले से ज्यादा उम्मीदें हैं।

ये नेता तीन बार रह चुके हैं मुख्यमंत्री

हेमंत सोरेन से पहले प्रदेश में केवल 3 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड था। इसे उन्होंने तोड़ दिया है। शिबू सोरेन और अर्जुन मुंडा तीन-तीन बार प्रदेश की सत्ता संभाल चुके हैं। वहीं लेकिन हेमंत सोरेन ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर राज्य की राजनीति में नया इतिहास रच दिया है।

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