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– श्यामदत्त चतुर्वेदी:
हाईलाइट्स
- राजधानी के आसपास के इलाके को विकसित करने के लिए NCR का गठन
- हवाई अड्डे की वजह से NCR में गुरुग्राम का तेजी से विकास
- गुड़गांव की बराबरी करने के लिए नोएडा में जेवर एयरपोर्ट का प्लान
- 23 साल के इंतजार के बाद दिसंबर 2024 में जेवर एयरपोर्ट बनकर तैयार
- नोएडा को 23 सालों में क्या-क्या नुकसान उठाना पड़ा
- रियल एस्टेट के मामले में गुरुग्राम नोएडा के कई ज्यादा आगे
- MNC और कारखानों के विकास की तुलना
- दोनों शहरों का बजट और राजस्व का विश्लेषण
- अब क्या नोएडा का खोया वक्त वापस लौटेगा?
आजादी के बाद से ही देशभर से लोग रोजगार की तलाश में दिल्ली की तरफ पलायन कर रहे थे। कुछ सालों में हालात ऐसे हुए कि राजधानी की आबादी लगातार बढ़ने लगी और संसाधन कम होने लगे। इसी समस्या को हल करने के लिए आज से करीब 60 साल पहले यानी साल 1962 में चर्चा शुरू हुई। तय हुआ कि दिल्ली और इसके आसपास के शहरों को एक महानगरीय क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाए। हालांकि इसे अमली जामा पहनाते-पहनाते 20 साल से ज्यादा का समय लग गया। फिर 1985 में NCR (नेशनल कैपिटल रीजन) का गठन किया गया। तय हुआ कि इसमें दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिलों को शामिल किया जाएगा। इसके पीछे इरादा दिल्ली के आसपास के इलाकों संतुलित विकास करना था। हालांकि, NCR के गठन के साथ ही गुड़गांव समेत हरियाणा के जिलों के विकास में चार चांद लग गए और वो तरक्की के रास्ते में सरपट दौड़ पड़े। जबकि नोएडा इसमें कहीं पीछे रह गया। इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली का हवाई अड्डा था। ये गुरुग्राम से नजदीक था और देश विदेश की तमाम कंपनियों को अपने उद्योगों के लिए मुफीद लगा। कंपनियां आईं और दिल्ली हवाई अड्डे के सहारे गुरुग्राम का विकास लगातार ऊंचाइयों पर उड़ता चला गया।
गुरुग्राम के लगातार विकास को देखते हुए नोएडा को भी विकास की वही रफ्तार देने के लिए साल 2001 में नोएडा में एयरपोर्ट बनाने का विचार आया। जगह भी चुनी गई जेवर। हालांकि कई कारणों से ये प्रस्ताव साल-दर-साल अटका रहा। आखिरकार, उत्तर प्रदेश में साल 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनती है और नोएडा को नई उड़ान देने का प्लान तैयार होता है। तमाम कागजी कार्रवाई के बाद साल 2001 में उभरा जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विचार 2024 में हकीकत बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर 2021 को इसका भूमिपूजन किया और महज 3 साल में यानी 9 दिसंबर 2024 को यहां पहली फ्लाइट उतर गई। इस ऐतिहासिक घटना से नोएडा के विकास को नई उड़ान मिलने की उम्मीद बढ़ गई। अब उम्मीद है कि नोएडा, गुरुग्राम की तर्ज पर विकसित मॉडल वाले शहर के रूप में उभरेगा। जेवर एयरपोर्ट न केवल यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाएगा बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बुलेट की तरह रफ्तार देगा।
काश 23 साल पहले ही जेवर एयरपोर्ट की परियोजना जमीन पर उतर जाती तो नोएडा आज संभवतः गुरुग्राम की तरह ही तरक्की के आसमान पर होता। अब आप सोच रहे होंगे की आखिर हम इन दोनों शहरों के विकास को केवल हवाई अड्डे के आधार के साथ क्यों जोड़ रहे हैं और आखिर इससे क्या इतना ज्यादा फर्क पड़ा होगा और कैसे? इसका जवाब है दोनों शहरों में विभिन्न आयामों में हुआ विकास, उससे मिलने वाला रोजगार और सरकार के राजस्व में आवक। हम ये सब ऐसे ही नहीं कह रहे हैं इसके पीछे हैं ठोस आंकड़े जो बताते हैं कि अगर समय से नोएडा के पास एयरपोर्ट होता तो बात ही कोई और होती।
रियल एस्टेट बताता है कितना हुआ विकास
देश के मिलेनियम सिटी के नाम से जाने जाने वाला गुरुग्राम 2000 के दशक की शुरुआत में MNC को आकर्षित करने में भारत के अन्य शहरों से आगे निकल गया था। वहीं इसका प्रतिद्वंदी नोएडा 2010 के दशक से अपनी बेहतर सार्वजनिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के साथ तेजी से आगे बढ़ा। इसका असर सबसे अधिक रियल एस्टेट सेक्टर में हुआ। गुरुग्राम में तेजी से निर्माण हुए और जमीनों के दाम आसमान पर पहुंच गए। लोगों ने हाथों हाथ इन्हें खरीदा भी।
जाहिर है, शहर के विकास के साथ लोगों के पास पैसे आए। अच्छी कंपनियों के आने से देशभर से लोग यहां पहुंचे। तभी उन्होंने इतना खर्च भी किया। रियल एस्टेट बाजार में नोएडा और गुड़गांव संपत्ति निवेश के लिए पसंदीदा स्थानों के रूप में अधिक से अधिक लोकप्रिय हैं। हालांकि दोनों शहरों में विकास की रफ्तार अलग-अलग रही है।
2005 से 2024 तक कितने बढ़े प्रॉपर्टी के रेट
2005 गुड़गांव रियल एस्टेट हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा था। आज की तुलना में कीमतें काफी कम थीं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 की शुरुआत में गुरुग्राम में करीब 1600 वर्ग फीट का तीन बेडरूम के फ्लैट 20 से 25 लाख रुपये में मिल जाया करता था। वहीं 2024 में 1 BHK की शुरुआती कीमत ही 60 लाख रुपये से अधिक हैं। यहां 3 बीएचके की कीमत 5 करोड़ रुपये तक चली जाती है। दूसरी तरफ नोएडा में 2005 में यही प्रॉपर्टी 12 से 18 लाख रुपये में मिलती थी। आज नोएडा में भी फ्लैट की कीमत करोड़ों में जा रही है। हालांकि, अभी भी ये गुरुग्राम के मुकाबले काफी कम है।

गुरुग्राम के इस फ्लैट की कीमत ने उड़ा दिए होश
गुरुग्राम की डीएलएफ कैमेलियाज सोसाइटी में अभी हाल में ही एक पेंटाहाउस बिका है, जिसका सौदा 190 करोड़ रुपये में हुआ है। साथ ही यह देश का सबसे महंगा पेंटाहाउस बन गया है। इसकी कीमत 1 लाख 80 हजार रुपये प्रति फीट है। 16 हजार 290 वर्ग फीट की इस प्रापर्टी की रजिस्ट्री 2 दिसंबर को हुई है।
2024 के सर्किल रेट
गुरुग्राम और नोएडा इन दोनों शहरों के प्राधिकरण ने साल 2024-25 के लिए अपना सर्किल रेट जारी किया था। इसमें अलग-अलग इलाकों में कलेक्टर दर पर जमीन की कीमतें बढ़ाई गई थीं। हालांकि यह बढ़ोतरी नोएडा में अधिकतम 20 फीसदी और गुड़गांव में 30 फीसदी थी। यानी इन नए रेट के बाद भले जमीन और घर खरीदना महंगा हो गया हो पर इससे सरकार का राजस्व खासा बढ़ा है।

रेंटल प्रॉपर्टी के दाम
दोनों शहरों में रेंटल प्रॉपर्टी की तुलना की जाए तो नोएडा में आवासीय मकान, 1BHK फ्लैट 5 से 7 हजार रुपये में मिलना शुरू हो जाते हैं। इनका रेट इनके आकार और स्थान के अनुसार बढ़ता जाता है। वहीं कमर्शियल प्रॉपर्टी की बात करें तो 100 स्क्वायर फिट की दुकान 20 से 30 हजार रुपये प्रति महीने के रेंट पर मिल जाती है। इनकी कीमत भी स्थान और आकार के हिसाब से बढ़ जाती हैं।
वहीं अगर गुरुग्राम में आवासीय प्रॉपर्टी की बात करें तो यहां 1BHK फ्लैट की का किराया 7 से 9 हजार में शुरू होता है। इसके अधिकतम रेट कितने भी हो सकते हैं। रेंट की महंगाई के कारण कई बार गुरुग्राम खबरों में भी रहता है। वहीं कमर्शियल प्रॉपर्टी की बात की जाए तो गुरुग्राम में 100 स्क्वायर फीट की दुकान का किराया 30 हजार रुपये से शुरू होता है। आगे बढ़ते बढ़ते ये कई लाख रुपये तक जाता है।

साल दर साल बढ़ते दाम
दिसंबर 2023 में रियल एस्टेट परामर्श कंपनी सैविल्स इंडिया ने अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए बताया था कि एक साल में NCR के दोनों प्रमुख शहरों में प्रॉपर्टी के दाम तेजी से बढ़े हैं। हालांकि, गुरुग्राम के मुकाबले नोएडा इसमें थोड़ा पीछे था। रिपोर्ट में बताया गया कि गुरुग्राम में प्रॉपर्टी 45 फीसदी तक महंगी हुई है, जबकि नोएडा में ये बढ़ोतरी 37 फीसदी तक ही सीमित रही है।
MNC के ऑफिस
गुरुग्राम भारत के बड़े कॉर्पोरेट केंद्रों में से एक है। विकास की तेज रफ्तार और उससे होने वाली आवक के कारण ये शहर ‘मिलेनियम सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां Google, IBM और Microsoft जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने दफ्तर खोले हैं। हालांकि, नोएडा भी कई मामलों में गुरुग्राम से पीछे नहीं है, लेकिन विकास की दौड़ में थोड़ा पीछे रहने के कारण ये MNC को आकर्षित नहीं कर पाया। इसी कारण अभी NCR में ज्यादातर MNC के ऑफिस गुड़गांव में ही हैं।
20 बड़ी MNC की बात करें तो इसमें से 14 कंपनियों के दफ्तर गुरुग्राम में हैं। वहीं नोएडा में महज 5 कंपनियों ने अपने दफ्तर खोल रखे हैं। इसके अलावा एक कंपनी का ऑफिस दिल्ली में स्थित है। इससे साफ है कि गुरुग्राम विकास की राह पर आगे रहा है। इस कारण उसने MNC को अपनी ओर आकर्षित किया है। जाहिर है इसका फायदा वहां के लोगों और सरकार को मिल रहा है।

शहर और उनके आसपास कारखाने
मारुति सुजुकी प्राइवेट लिमिटेड पहली कंपनी थी, जिसने 1970 में मानेसर में अपना कारखाना लगाया। इसके बाद एक के बाद एक कंपनियां यहां आती गईं। गुड़गांव में पहला प्रमुख अमेरिकी ब्रांड जनरल इलेक्ट्रिक 1997 में आया। इसके बाद लगातार यहां उद्योग बढ़ते चले गए। 2005 में नूंह तहसील गुड़गांव से अलग होकर नए बने मेवात जिले में चली गई। उन दिनों यहां गिनती की रजिस्टर्ड फैक्टरियों थी। हालांकि, करीब 400 बड़ी और मध्यम आकार की इंडस्ट्रियल यूनिट्स हैं। वहीं 8,000 छोटे पैमाने के उद्योग यहां चल रहे हैं।
दूसरी तरफ नोएडा में भी 2005 के समय गिनती के कारखाने हुआ करते थे। हालांकि, आज करीब 2,000 फैशन डिजाइन और गारमेंट्स एक्सपोर्ट कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। वहीं लगभग 4,000 कारखाने सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. भारत के सबसे बड़े गारमेंट्स उत्पादन हब के रूप में शहर उभर जरूर रहा है, लेकिन अभी भी इन कारखानों और यहां से मिलने वाला रोजगार गुड़गांव के मुकाबले काफी कम है।
दोनों शहरों का राजस्व और प्रदेश में योगदान
– वित्तवर्ष 2023-24 के लिए नोएडा ने 2,763 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली की। दूसरी तरफ गुरुग्राम में वित्तवर्ष 2023-24 में 3872 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली हुई।
– गुरुग्राम में प्रति व्यक्ति आय 8.5 लाख रुपये हैं। वहीं पूरे प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2.5 लाख रुपये हैं। जबकि, नोएडा की प्रति व्यक्ति आय 6.71 लाख रुपये सालाना है। वहीं उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 84 हज़ार रुपये है।
– गुरुग्राम की संपत्ति का आकलन इससे भी कर सकते हैं कि 11 जिलों में बिजली देने वाली DHBVN कंपनी हर महीने 1200 करोड़ रुपये का बिल वसूल करती है। इसमें गुरुग्राम अकेले 550 करोड़ का बिल देता है।
– एक मामले में नोएडा गुड़गांव से आगे हैं। हालांकि इसके पीछे शहर को तेजी से विकसित करना कारण हैं। साल 2024-25 में विकास के लिए नोएडा में 7,000 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया था। वहीं गुड़गांव के लिए 2,887 करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया था।
क्या लौटेगा नोएडा का वक्त?
अब नोएडा ने एयरपोर्ट बनकर तैयार हो गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि 20 साल में शहर ने जो खोया क्या वो वापस आएगा? इसका उत्तर एकदम सटीक तौर पर नहीं दिया जा सकता है। पर इतना साफ है कि एयरपोर्ट बनने के बाद यहां कंपनियां आकर्षित होंगी। इससे शहर के विकास को बूस्ट मिलेगा। साल 2021 में एयरपोर्ट का भूमि पूजन होने के बाद से कई कंपनियों ने यहां निवेश शुरू किया है। इसके साथ ही जेवर के आसपास प्रॉपर्टी के दाम भी बढ़े हैं। जेवर से नोएडा तक यमुना एक्सप्रेस वे के आसपास तेजी से विकास हो रहा है। नोएडा में फिल्म सिटी बनना प्रस्तावित है। हर्बल पार्क बन रहे हैं, नाइट सफारी पार्क बन रहा है। अब अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट शुरू होने के बाद यहां की कनेक्टीविटी बढ़िया होगी। बहुराष्ट्रीय कंपनियां नोएडा-ग्रेटर नोएडा की तरफ आकर्षित होंगी। ऐसे में पूरी संभावना है कि एयरपोर्ट न होने की वजह से नोएडा ने जो कुछ भी पिछले 23 सालों में खोया है, गुरुग्राम से तरक्की की रेस में जितना पीछे हुआ है, कुछ ही सालों में यह अंतर बहुत कम हो जाएगा।