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– गोपाल शुक्ल:
हम और आप जो नोट यानी जो रुपया खर्च करते हैं उसमें एक इबारत लिखी होती है, ‘मैं धारक को सौ रुपये अदा करने का वचन देता हूं।’ इस इबारत के नीचे एक दस्तखत होते हैं। यानी नोट या बैंकनोट, मुद्रा का एक रूप है। यह कागज़ का होता है और इसे किसी देश के केंद्रीय बैंक या राजकोष की तरफ से जारी किया जाता है। उस नोट में लिखी वो इबारत उसी राजकोष के सबसे बड़े अधिकारी की तरफ से दिया गयाा वचन होता है। वो नोट किसी भी वस्तू और सेवाओं के लेन-देन में इस्तेमाल किया जाता है। नोट पर जो दस्तखत होते हैं वो देश के रिजर्व बैंक के गवर्नर के होते हैं।
कुर्सी शान की कम काम की ज्यादा
भारत में रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद ऐसा है जैसे किसी क्रिकेट टीम में कप्तान का। देश की अर्थव्यवस्था की दिशा और दशा को तय करने का काम इस पद से ही तय होता है। जब भी कोई नया गवर्नर बनता है, तो न केवल बाज़ार, बल्कि आम जनता भी उसे उम्मीदों से देखती है। लिहाजा देश की जनता और बाजार की नब्ज़ पकड़ने का हुनर होना सबसे पहली और सबसे बड़ी काबिलियत जरूरी है। यह पद सिर्फ सम्मान का नहीं, बल्कि बहुत बड़ी जिम्मेदारियों और चुनौतियों से भरा होता है। अगर टकसाली जुबान में कहें तो, ये कुर्सी शान की नहीं, बल्कि काम की होती है।
गवर्नर का पद अर्थव्यवस्था की धूरी
रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद सिर्फ एक नाम या चेहरा नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था की धुरी होता है। भारत एक विकासशील देश है। साथ ही इसकी बड़ी आबादी है जिसमें ज्यादातर लोग गरीब हैं। ऐसे में नए गवर्नर के सामने कई तरह की चुनौतियां होती हैं। अभी तक ये दायित्व शक्तिकांत दास निभा रहे थे लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने संजय मल्होत्रा को नए रिज़र्व बैंक गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति का फैसला न केवल उनकी योग्यता बल्कि उनके प्रशासनिक अनुभव के मद्देनज़र किया गया है।
ऑलराउंडर मल्होत्रा की नई पारी
10 दिसंबर को शक्तिकांत दास का कार्यकाल पूरा हो गया। 1990 बैच के राजस्थान कैडर के IAS अधिकारी संजय मल्होत्रा की नियुक्ति 3 साल के लिए हुई है। 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के बाद अब तक कुल 25 गवर्नर इसकी कमान संभाल चुके हैं। आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद संजय मल्होत्रा ने आईआईएम लखनऊ से मैनेजमेंट में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। जाहिर है इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई ने उन्हें ऑलराउंडर बना दिया। 1990 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी मल्होत्रा ने राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर कई अहम पदों पर काम किया।
बड़ी कुर्सी के बड़े दायित्व
कुर्सी चाहे जितनी बड़ी हो, आदमी का दमखम ही उसे संभाल सकता है। संजय मल्होत्रा के पास न केवल बड़ी कुर्सी और बड़े दायित्व को संभालने का कौशल है, बल्कि उसे नई ऊँचाइयों तक ले जाने की क्षमता भी है। राजस्थान में उन्होंने ऊर्जा, वित्त और शहरी विकास जैसे बेहद अहम जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। इसके अलावा संजय मल्होत्रा केंद्र सरकार में वित्त मंत्रालय के अंतर्गत राजस्व सचिव रहे।
वित्तीय सुधारों में है गहरी पकड़
संजय मल्होत्रा के ट्रैक रिकॉर्ड पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि राजस्व और वित्तीय सुधारों में उनकी गहरी पकड़ है। राजस्व सचिव रहते हुए उन्होंने बैंकिंग और कर सुधारों के क्षेत्र में कई कामयाब नीतियों को लागू करवाने में अहम भूमिका निभाई है। रिज़र्व बैंक गवर्नर की नियुक्ति एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरती है। यह प्रक्रिया इसलिए खास है क्योंकि इसमें न केवल सरकार की प्राथमिकताएं, बल्कि देश के आर्थिक हितों का भी ध्यान रखा जाता है।
ऐसे चुना जाता है RBI गवर्नर
वित्त मंत्रालय प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को संभावित उम्मीदवारों की सूची भेजता है। इन नामों पर गहन विचार-विमर्श के बाद उपयुक्त उम्मीदवार चुना जाता है। उम्मीदवार का वित्तीय नीतियों, बैंकिंग और अर्थव्यवस्था के संचालन में अनुभव होना बेहद जरूरी है। जिस नाम का चयन कर लिया जाता है उसे अंतिम रूप देने के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती है। यह निर्णय लेते समय सरकार यह भी देखती है कि कौन व्यक्ति सरकार की आर्थिक नीतियों के साथ तालमेल बिठा सकता है।
गवर्नर का कार्यकाल : रिजर्व बैंक के गवर्नर का कार्यकाल तीन साल का होता है जिसे जरूरत पड़ने या सरकार चाहे तो उसे आगे बढ़ा भी सकती है।
गवर्नर के दायित्व
रिजर्व बैंक के गवर्नर का काम केवल नोट छापना या ब्याज दर तय करना नहीं है। उनके पास देश की पूरी अर्थव्यवस्था का संचालन और स्थिरता बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है।
मौद्रिक नीति तय करना: गवर्नर मौद्रिक नीति समिति (MPC) के प्रमुख होते हैं। यह समिति तय करती है कि देश में ब्याज दरें क्या होंगी और मुद्रा आपूर्ति कैसे नियंत्रित होगी।
मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: बढ़ती कीमतें यानी मुद्रास्फीति को काबू में रखना गवर्नर की प्राथमिक जिम्मेदारी है। अगर मुद्रास्फीति बढ़े तो लोगों की जेब पर असर पड़ता है।
बैंकों पर निगरानी: देश के सभी बैंकों की कार्यप्रणाली और उनके नियम-कायदे तय करना भी गवर्नर के अधीन होता है।
विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन: देश की विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति पर भी गवर्नर की नज़र रहती है।
नोटबंदी और नकदी प्रवाह: नोटबंदी जैसी ऐतिहासिक घटनाओं के संचालन में गवर्नर की भूमिका अहम होती है।
बाजार में स्थिरता बनाए रखना: शेयर बाजार, मुद्रा बाजार, और अन्य वित्तीय बाजारों में स्थिरता लाना भी गवर्नर का दायित्व है।
गवर्नर के अधिकार
मौद्रिक नीति की घोषणा: गवर्नर, रिजर्व बैंक की ओर से मौद्रिक नीति जारी करने का अधिकार रखते हैं।
बैंकों के लाइसेंस देना और रद्द करना: किसी बैंक का लाइसेंस रद्द करना या नया बैंक खोलने की अनुमति देना गवर्नर की स्वीकृति पर निर्भर करता है।
रेपो और रिवर्स रेपो दर तय करना: ब्याज दरों को तय करने का अधिकार गवर्नर के पास होता है।
आर्थिक सलाहकार: गवर्नर, प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं।
गवर्नर के सामने चुनौतियाँ
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना: खाद्य और ईंधन की बढ़ती कीमतें हमेशा एक चुनौती रहती हैं।
अर्थव्यवस्था की स्थिरता: आर्थिक मंदी और तेज़ी के बीच संतुलन बनाना गवर्नर के लिए कठिन होता है।
बैंकिंग घोटाले: पीएनबी घोटाले जैसे बैंकिंग घोटालों से निपटना एक बड़ी चुनौती है।
डिजिटल करेंसी का प्रबंधन: भारत में डिजिटल मुद्रा का आगमन हो चुका है। इसे लागू करना और साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित करना गवर्नर के लिए एक नया क्षेत्र है।
विदेशी मुद्रा भंडार: वैश्विक बाजार में डॉलर की मांग और आपूर्ति को संतुलित रखना।
गवर्नर की योग्यता-
अब सवाल यही उठता है कि क्या कोई भी IAS अफसर आरबीआई गवर्नर बनने के लिए जरूरी योग्यता रखता है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर वो कौन कौन सी योग्यता जरूरी है इस पद पर पहुँचने के लिए। उम्मीदवार को
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उम्र 40 से 60 साल के बीच होनी चाहिए।
- बैंकिंग एवं फाइनेंशियल सेक्टर में कम से कम 20 साल काम का अनुभव होना चाहिए।
- प्रतिष्ठित बैंकिंग, फाइनेंशियल या एकेडमिक इंस्टीट्यूशन में सीनियर पोजिशन पर काम किया हो
- किसी राजनैतिक दल के साथ किसी भी तरह का कोई नाता या रिश्ता नहीं होना चाहिए।
- क्या रिजर्व बैंक का गवर्नर बनने के लिए ऐसा कोई अनुभव जरूरी है।
- वर्ल्ड बैंक या आईएमएफ में काम का अनुभव।
- वित्त मंत्रालय में काम किया होना चाहिए।
- बैंकिंग और फाइनेंशियल इंडस्ट्री में काम का संतोषजनक अनुभव।
- किसी बैंक के चेयरमैन या जनरल मैनेजर पद पर काम किया होना चाहिए।
- किसी प्रतिष्ठित फाइनेंशियल या बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन में काम का अनुभव होना चाहिए।
रिजर्व बैंक के गवर्नर की तनख्वाह
आरबीआई के गर्वनर की सैलरी की बात की जाए तो नए गवर्नर संजय मल्होत्रा को 2.5 लाख रुपये की सैलरी मिलेगी। यह वेतन गवर्नर को मिलने वाले कुल पैकेज का केवल एक हिस्सा है। आरबीआई गवर्नर को सैलरी से अलावा भारत सरकार की ओर से मुफ्त आवास, गाड़ी, मेडिकल सुविधाएं और पेंशन समेत कई अन्य सुविधांए मिलती हैं। पिछले वित्त वर्ष में शक्तिकांत दास की मासिक तनख्वाह 2.5 लाख रुपये थी। शक्तिकांत दास से पहले आरबीआई गवर्नर रहे उर्जित पटेल की मंथली सैलरी भी इतनी ही थी। यह वेतन सरकारी सचिव के वेतन के बराबर है।
मालाबार हिल में 450 करोड़ का बंगला
बतौर आरबीआई गवर्नर सबसे बड़ा लाभ घर का है। मुंबई के मालाबार हिल में बहुत बड़ा घर मिलता है. Figuring Out पॉडकास्ट में यूट्यूबर राज शामानी के साथ बात करते हुए पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि एक बार मैंने कैलकुलेशन किया था, अगर हम अपने घर को बेच दें तो 450 करोड़ रुपये मिल जाएंगे।
हालांकि दूर से देखने में RBI के गवर्नर की कुर्सी बड़ी और शानदार लगती है, लेकिन सच्चाई ये है कि ये किसी भी अधिकारी के लिए कांटों के ताज से कम नहीं। जहां कदम कदम पर एक नई चुनौती सामने आती है। ऐसी चुनौती जिसके सामने आते ही अच्छे अच्छों का दम निकल जाए।
गर्म तवे पर सिक रही अर्थ व्यवस्था
देश की अर्थव्यवस्था इस वक्त ऐसी है जैसे गर्म तवे पर सिक रही हो। मुद्रास्फीति का कड़छा, विदेशी मुद्रा भंडार का बेलन और डिजिटल करेंसी का तराजू, सब एक साथ संभालना होगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि आसान कुर्सी पर बैठने के लिए कोई और होता, यह कुर्सी तो मेहनतकशों के लिए बनी है। संजय मल्होत्रा को यह साबित करना होगा कि हुनर का सिक्का हर हालात में चलता है। उनके फैसले न सिर्फ बैंकों को मजबूत करेंगे, बल्कि आम आदमी की जेब और उम्मीदों को भी राहत देंगे। अगर वे मौद्रिक नीति को सही दिशा में मोड़ सके, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि नया गवर्नर, नया दौर और उम्मीदों का नया जहाज। अब देखना यह है कि संजय की पतवार कितनी मजबूत है और यह अर्थव्यवस्था का जहाज किनारे तक कैसे पहुंचेगा।