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– गोपाल शुक्ल:
हम लोग बचपन में टीवी पर एक विज्ञापन अक्सर देखते थे। जिसमें एक क्लास रूम में मास्टर साहब ब्लैकबोर्ड पर दांतों की बनावट का चित्र बनाकर बच्चों को दांतों के बारे में बता रहे थे, तभी उनकी नजर सामने की बेंच पर बैठे एक छात्र पर जाती है जो मुस्कुरा रहा था, और उसके सफेद दांत दिख रहे थे। वो देखकर मास्टर साहब से रहा नहीं जाता और वो झट से उस छात्र से पूछते हैं राजू तुम्हारे दांत तो मोतियों जैसे चमक रहे हैं। तब वो छात्र अपने दंत मंजन के बारे में बताता है, इसी बीच एक छात्र मास्टर से चुहल बाजी करता है और कहता है मास्टर जी आपके दांत, और मास्टर अपने खराब दांत की वजह से झेंप जाते हैं।
महकती सांस का कारोबार
एक और टीवी कॉमर्शियल पर गौर कीजिए। अक्सर आज भी कुछ टूथपेस्ट के विज्ञापन ऐसे आते हैं जिसमें कुछ ऐसा दिखाया जाता है कि उस टूथपेस्ट को करने से दिन भर आपकी सांस महकती रहती है और मुंह में बदबू का नामों निशान नहीं रह जाता।
दांत का दर्द और सांस की बदबू कितनी बड़ी दुश्मन
असल में इन कॉमर्शियल में जो कुछ भी दिखता है, उसको अगर आप अपने रोज मर्रा के जीवन से जोड़कर देखें तो आपको खुद ही लग जाएगा कि कहीं मुंह में बदबू हुई और उसका पता चल गया तो बहुत मुमकिन है कि आप किसी ऐसी जगह जाने से बचें जहां आपके मुंह की बदबू से आपकी इमेज को चकनाचूर न कर दे, दूसरा अगर दांत में दर्द हुआ तो वो शायद सबसे भयानक दर्द लगता है, क्योंकि तब दर्द सिर्फ दांत में नहीं बल्कि दांत से लेकर पूरे मुंह और पूरे सिर में दर्द होता है, तब न तो आप कोई काम कर सकते हैं और न ही किसी काम में ध्यान लगा सकते हैं। नतीजा आपको हाथ में आया कोई मौका आपके हाथ से फिसल भी सकता है।

हमारे आप पास घूमते मरीज
अब टीवी की इस दुनिया से निकलकर जरा हकीकत की जमीन पर कदम रखते हैं। अक्सर हम सब आपस में बात करते हैं तो कई बार किसी किसी के सामने हमें अपना मुंह घुमाना पड़ जाता है। वजह है सामने वाले की सांस के साथ उसके मुंह से बदबू आती है। हम लिहाज में कुछ कहते तो नहीं हैं, मगर उसकी बदबू हम सभी को बुरी तरह से बेचैन कर देती है। ऐसे हालात से हम सभी हर रोज गुज़रते हैं और फिर आगे जाकर भूल जाते हैं।
मुंह की समस्या बहुत आम बात
मुंह से बदबू आना. दांतों में कीड़े लग जाना. मसूड़ों में सूजन आ जाना. दांत पीले पड़ जाना। मुंह से जुड़ी ये कुछ बहुत ही आम दिक्कतें हैं। अब सवाल ये है कि क्या इन दिक्कतों को वक्त रहते रोका जा सकता है?
देश में दांतों की बढ़ती दिक्कतें
हमारे रोजमर्रा के जीवन में मुँह से जुड़ी समस्याओं का सामना करना बहुत आम बात है। ये समस्याएँ गम यानी मसूढ़ों की, होंठों की, जीभ की, दाँत की , तालू की, गले की, और मुँह के भीतर के बाकी हिस्सों से जुड़ी हो सकती हैं। भारत में दांतों की समस्याएं काफी सामान्य हैं। जिसे ज्यादातर लोग नज़रअंदाज ही करते हैं। भारतीय डेंटल एसोसिएशन के अनुसार, लगभग 85% लोग किसी न किसी ओरल हेल्थ समस्या से जूझते हैं।
पहले अपने दांतों को जान लें
हम इंसानों के मुंह में चार प्रकार के दांत होते हैं जिनके बारे में हमनें या तो कभी बचपन में पढ़ा होता है लेकिन बाद में हम सब भूल जाते हैं।
Incisors (आगे के दांत)
Canines (दांत के कोने वाले)
Premolars (मध्य दांत)
Molars (पीछे वाले दांत)
हमारे मुंह के दातों की बनावट भी समझना बेहद जरूरी है तभी हम इनकी दिक्कतों के बारे में समझ सकते हैं। सच कहें अगर हम वाकई अपने अपने दांतों को समझ लें और उनकी संरचना जान लें तो डॉक्टर के लिए भी हमारी समस्या को समझकर हमें समझाना आसान हो सकता है।
Enamel (ऊपरी परत): दांत की सबसे कठिन परत, जो दांत को सुरक्षा देती है।
Dentin (मध्य परत): यह ऊतक दांत को संरचना और ताकत प्रदान करता है।
Pulp (कोर): इसमें रक्त वाहिकाएं और तंत्रिका होती हैं।
सेहत की समस्याओं की जननी है हमारा मुंह
मुंह और दांतों से जुड़ी समस्याएं न केवल दर्दनाक होती हैं, बल्कि यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकती हैं। आइए, कुछ आम समस्याओं को विस्तार से समझें।
पायरिया (गम डिज़ीज़)- यह समस्या तब होती है, जब मसूड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। इसका लक्षण मसूड़ों से खून आना, सूजन, और मसूढ़ों में दर्द है। इसे नज़रअंदाज़ करने पर दांत कमजोर होकर गिर सकते हैं। जबकि दांतों के सारे मरीजों में से 45 फीसदी मरीज ऐसे होते हैं जो पायरिया की तकलीफ से गुज़र रहे होते हैं। मगर न तो उन्हें पता चलता है और न ही वो स्वीकार करते हैं।
यह एक वायरल संक्रमण है जो आमतौर पर गले में शुरू होता है। इसके लक्षणों में बुखार, गले में खराश, गले में छाले, सिरदर्द, और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर छाले के साथ दाने शामिल हैं। यह बीमारी 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ज़्यादा आम है, लेकिन किशोरों और बड़ों को भी यह हो सकता है। यह संक्रामक है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।
- मसूड़ों से जुड़ी समस्याएं, जैसे गिंगिवाइटिस और पीरियोडोंटाइटिस, भारत में व्यापक हैं।
- महाराष्ट्र में 50% से अधिक वयस्कों में मसूड़ों की समस्याएं पाई जाती हैं।
- तमिलनाडु में 40% वयस्कों में मसूड़ों की बीमारी पाई जाती है।
दांतों में कैविटी यानी दातों में कीड़ा लगना- कीड़ा लगना या दांतों में कैविटी तब होती है, जब दांतों की सतह पर प्लाक यानी गंदगी जमना शुरू हो जाती है जिसकी वजह से बैक्टीरिया एसिड बनाते हैं। यह एसिड धीरे-धीरे दांतों को नुकसान पहुंचाता है। दातों के करीब 60% मरीज इसी दांतों में कीड़ा लगने यानी कैविटी की समस्या से पीड़ित होते हैं। यह बीमारी भारत में सबसे आम है, जो छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को प्रभावित करती है।

- दिल्ली में लगभग 70% बच्चे और 60% वयस्क इस समस्या से पीड़ित हैं।
- जबकि उत्तर प्रदेश में 45% बच्चों और 30% वयस्कों को दांतों की सड़न का सामना करना पड़ता है।
बदबूदार सांस यानी खराब साँस (Bad Breath)- मुँह से लगातार बदबू आना। खराब ओरल हाइजीन, दाँतों की सड़न, गम की बीमारियाँ। खराब ओरल हाइजीन यानी दांतों की सड़न या पेट की समस्याओं के कारण मुंह से बदबू आने लगती है। दांतों के ऐसे मरीजों की संख्या करीब करीब 30% बताई जाती है जो बदबूदार सांस के साथ हमारे और आपके आस पास होते हैं।
मुंह के छाले-मुंह में अक्सर होंठ, जीभ, या गाल के भीतर छाले हो जाते हैं। ये कई विकारों के कारण हो सकते हैं, जैसे कि कैंकर घाव, ल्यूकोप्लाकिया, मसूड़े की सूजन, मौखिक कैंसर, ओरल लाइकेन प्लेनस, ओरल थ्रश। मसालेदार खाना, स्ट्रेस, विटामिन की कमी, इस समस्या की मूल वजह हैं। अक्सर खराब खानपान, एसिडिटी या किसी प्रकार के इंफेक्शन की वजह से भी ये दिक्कत होती है।
ड्राई माउथ (मुँह सूखना)- मुँह का बार-बार सूखना या लार का कम बनना। अक्सर देखा जाता है कि दवाइयों के साइड इफेक्ट, या कम पानी पीने की वजह से डिहाइड्रेशन, उम्र का बढ़ना, और मुंह में मौजूद लार ग्रंथियों की समस्याओं की वजह से इस तरह की परेशानी होती है।
दांत पीसना (Teeth Grinding)- इसे ब्रुक्सिज़्म कहते हैं। यह समस्या तनाव या खराब आदतों की वजह से होती देखी जाती है। लगातार दांत पीसने से दांतों की सतह घिस जाती है जिसकी वजह से दांतों में सेंस्टिविटी बढ़ जाती है। तब ठंडा और गर्म सब कुछ झनझनाकर रख देता है।
ओरल यानी मुंह का कैंसर- धूम्रपान, तंबाकू, और अल्कोहल का सेवन मुंह के कैंसर का मुख्य कारण है। आंकड़े बताते हैं कि दांतों के मरीजों में से 5 % मरीजों में मुंह के कैंसर की समस्या देखी जाती है। मुंह का कैंसर भारतीय समाज में एक गंभीर समस्या है, खासकर तंबाकू और गुटखा के सेवन से।
- पंजाब में 15% से अधिक लोगों में मुंह के कैंसर का खतरा रहता है।
- बिहार में ये प्रतिशत पंजाब से बहुत ज्यादा कम नहीं करीब 12% है।
- गुजरात में मुंह के कैंसर से पीड़ित मरीजों की संख्या करीब 10% है।

क्या माउथवॉश लेगा ब्रश की जगह?
कई बार हम आपस में ये कहते भी देखे जाते हैं कि दातों में ब्रश करने के साथ साथ माउथवॉश का इस्तेमाल करना चाहिए। तो क्या क्या इन सारी दिक्कतों का इलाज माउथवॉश है? माउथवॉश असल में एक लिक्विड है, जिसे मुंह में घुमा-घुमाकर कुल्ला किया जाता है। अब तो इसे कई लोग रोज इस्तेमाल भी करते हैं। माना जाता है कि माउथवॉश मुंह से जुड़ी कई दिक्कतों से छुटकारा दिला सकता है। सवाल यही है कि क्या वाकई ये काम करता है? या ये सिर्फ़ हवाबाज़ी है?

माउथवॉश और ब्रशिंग पर बहस
दांतों और मुंह की देखभाल हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। अकसर लोग इस दुविधा में रहते हैं कि क्या केवल माउथवॉश का इस्तेमाल ब्रशिंग का विकल्प हो सकता है। माउथवॉश एक सहायक उत्पाद है, जो मुंह की सफाई और ताजगी बनाए रखने में मदद करता है। यह बैक्टीरिया को खत्म करने, सांस को ताज़ा रखने और प्लाक को हटाने में मदद कर सकता है। लेकिन क्या यह ब्रशिंग का विकल्प बन सकता है? इसको लेकर अब मेडिकल साइंस में एक नई बहस शुरू हो गई है।
ब्रशिंग और माउथवॉश के बीच अंतर
- दांतों में ब्रश का असली काम दांतों से प्लाक और अन्न और खाने के टुकड़ों को हटाना है। जिससे बैक्टीरिया होने की संभावना कम हो जाती है।
- माउथवॉश केवल तरल है, जो दांतों के बीच फंसे कणों को हटा तो नहीं सकता अलबत्ता मुंह में पनप रहे बैक्टीरिया को काफी हद तक कम कर देता है। लेकिन ये एक समय की हद तक ही काम कर सकता है। जबकि दांतों के बीच फंसा अन्न का सड़ना जारी रहता है।
- माउथवॉश से दांतों की सतह पर मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो सकते हैं, लेकिन यह दांतों की जड़ों या मसूड़ों में गहराई तक सफाई नहीं कर सकता।
जानकारों का कहना है कि माउथवॉश ब्रशिंग का विकल्प कभी नहीं बन सकता। यह केवल एक अतिरिक्त कदम है, जो आपकी ओरल हेल्थ को बेहतर बनाने में सहायक है।
ऐसे में आखिर क्या हो जिससे आपके मुंह की सेहत अच्छी रहे। ओरल हेल्थ को कैसे सुधारें इसके लिए जरूरी है कि –
1)- दैनिक ब्रशिंग: दिन में कम से कम दो बार ब्रश करें। फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का उपयोग करें।
2)- फ्लॉसिंग: दांतों के बीच फंसे खाने के कणों को हटाने के लिए फ्लॉस का इस्तेमाल करें।
3)- माउथवॉश: एंटीसेप्टिक माउथवॉश से कुल्ला करें।
4)- तंबाकू और धूम्रपान से बचें: यह ओरल कैंसर और अन्य समस्याओं का मुख्य कारण है।
5)- नियमित डेंटल चेकअप: हर 6 महीने में एक बार डेंटिस्ट के पास जरूर जाएं।
6)- स्वस्थ आहार: फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करें। विटामिन C और D से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं। चीनी और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कम करें।

हर राज्य की अलग समस्या
भारत में मुंह से जुड़ी बीमारियां राज्यवार भिन्नता दर्शाती हैं। शहरीकरण, खानपान की आदतें, और तंबाकू सेवन जैसी आदतें इन बीमारियों के प्रसार के प्रमुख कारण हैं। इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों को स्वास्थ्य शिक्षा, जागरूकता अभियानों और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है।
देश में इलाज की कोई कमी नहीं है
भारत में दांतों के इलाज के लिए कई प्रमुख शहरों और अस्पतालों में विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। जहां उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते हैं
1. दिल्ली- मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल: यहां के डेंटल डिवीजन में विशेषज्ञ दंत चिकित्सक होते हैं, जो दांतों की सर्जरी, इम्प्लांट्स, रूट कैनाल ट्रीटमेंट (RCT), और अन्य उपचारों में माहिर हैं।
– एम्स (AIIMS): दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एक सरकारी अस्पताल है, जो दंत चिकित्सा में उच्चतम मानक के उपचार प्रदान करता है।
2. मुंबई- नारायण हेल्थ (Narayana Health): मुंबई में स्थित यह अस्पताल उच्च गुणवत्ता वाले दंत चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें इम्प्लांट्स, ब्रेसेस, और कॉस्मेटिक दंत चिकित्सा शामिल हैं।
– मिलन डेंटल क्लिनिक: यह क्लिनिक मुंबई में एक प्रमुख नाम है, जहां आप प्रोफेशनल ट्रीटमेंट पा सकते हैं, विशेष रूप से इम्प्लांट्स और रूट कैनाल ट्रीटमेंट के लिए।
3. बेंगलुरू- एशियन डेंटल क्लिनिक: यहां के दंत चिकित्सक विभिन्न प्रकार के दांतों के उपचार जैसे इम्प्लांट्स, दांत सफाई और ब्लीचिंग प्रदान करते हैं।
– बेंगलुरू के कावेरी अस्पताल में दंत चिकित्सा: कावेरी अस्पताल बंगलोर में एक प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान है, जो उन्नत दंत चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है, जैसे कि इम्प्लांट्स और कॉस्मेटिक उपचार।
4. चेन्नई- दंत चिकित्सा अस्पताल (Chennai Dental Hospital): चेन्नई का यह अस्पताल बहुत ही प्रसिद्ध है, और यहां दांतों की सर्जरी, इम्प्लांट्स, ब्रेसिज़ आदि की सर्वोत्तम सेवाएं दी जाती हैं।
– स्माइल सेंटर: यह एक प्रमुख दंत चिकित्सा केंद्र है जहां आप सभी प्रकार के दांतों के इलाज पा सकते हैं, खासकर ब्लीचिंग और इम्प्लांट्स के लिए।
5. हैदराबाद- हाईटेक डेंटल क्लिनिक: यह क्लिनिक हैदराबाद में एक प्रमुख नाम है, और यहां पर पेशेवर दंत चिकित्सा सेवाएं दी जाती हैं।
क्लिनिक 32: हैदराबाद के इस क्लिनिक में आपको इम्प्लांट्स, रूट कैनाल ट्रीटमेंट और अन्य आधुनिक दंत चिकित्सा सेवाएं मिलेंगी।
6. कोलकाता- कोलकाता डेंटल कॉलेज: यह स्थान सरकारी दंत चिकित्सा इलाज प्रदान करता है, जहां आप रूट कैनाल, दांतों की सफाई और सर्जरी जैसे उपचार प्राप्त कर सकते हैं।
– स्माइल डिज़ाइन सेंटर: कोलकाता में यह सेंटर दांतों के इम्प्लांट्स और कॉस्मेटिक उपचार के लिए प्रसिद्ध है।
7. पुणे – डेंटल एक्सीलेंस: पुणे में स्थित यह क्लिनिक दांतों के इम्प्लांट्स, गम सर्जरी, और रूट कैनाल ट्रीटमेंट में माहिर है।
– स्माइल डेंटल क्लिनिक: यह क्लिनिक पुणे में एक प्रमुख नाम है जो दांतों के सजावटी इलाज और इम्प्लांट्स में विशेषज्ञता रखता है।
8. अहमदाबाद – एडवांस डेंटल क्लिनिक: अहमदाबाद में स्थित इस क्लिनिक में उच्च गुणवत्ता वाले दंत चिकित्सा उपचार मिलते हैं, जैसे इम्प्लांट्स और ब्रेसिज़।
– आधुनिक दंत चिकित्सा संस्थान: अहमदाबाद में यह क्लिनिक विभिन्न दंत रोगों के इलाज में प्रमुख है।
9. जयपुर – जयपुर डेंटल कॉलेज: जयपुर में यह एक प्रमुख सरकारी अस्पताल है जहां आप दांतों का उचित इलाज करवा सकते हैं।
– स्माइल केयर डेंटल क्लिनिक: यह क्लिनिक कॉस्मेटिक डेंटिस्ट्री और इम्प्लांट्स के लिए प्रसिद्ध है।
10. कोच्चि – कोच्चि डेंटल कॉलेज: यहां पेशेवर दंत चिकित्सक द्वारा दांतों के इलाज की सर्वोत्तम सेवाएं दी जाती हैं।
– स्माइल स्टूडियो: यह क्लिनिक दांतों के इम्प्लांट्स और कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट में माहिर है।
ये क्लिनिक दांतों की सुंदरता बढ़ाने के लिए ब्लीचिंग, व्हाइटनिंग, और ब्रेसिज़ जैसी सेवाएं भी प्रदान करते हैं। उचित इलाज और कीमत भी अन्य देशों की तुलना में काफी कम होती है, लेकिन सेवा की गुणवत्ता काफी बेहतर होती है।
अपना मुंह साफ रखना भी तो हमारा दायित्व है
स्वस्थ मुँह न केवल अच्छे स्वास्थ्य का संकेत है बल्कि आपके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। उचित सफाई, संतुलित आहार, और नियमित चिकित्सा जांच से आप अपने मुँह की समस्याओं को दूर रख सकते हैं। मुँह से जुड़ी छोटी समस्याओं को नजरअंदाज न करें। यह हमारी पूरी सेहत का जरूरी हिस्सा है और इसकी देखभाल करना बेहद जरूरी है। सही जानकारी और समय पर उपचार से इन समस्याओं से बचा जा सकता है।