Getting your Trinity Audio player ready...
|
– गोपाल शुक्ल:
आज की इस तेज रफ्तार दौड़ती भागती जिंदगी में और दिन भर अपने मोबाइल पर सिर खपाती भीड़ के बीच कई दफा हम कुछ ऐसे शब्दों से रू ब रू होते हैं जिन्हें सुनकर चौंकना लाजमी है।
नई उम्र के बच्चे जब आपस में बात करते हैं तो कुछ शब्द ऐसे हैं जो पिछली पीढ़ी के सिर के ऊपर से निकल जाते हैं। ये ऐसे शब्द हैं जो न तो इंग्लिश में आते हैं और न ही हिन्दी के कुनबे में इनका कोई शुमार होता है। बल्कि हिन्दी और इंग्लिश की मिली जुली हिंग्लिश में भी उन शब्दों का कोई वजूद नहीं होता मगर आज की युवा होती जेनरेशन उनका धड़ल्ले से इस्तेमाल करती है।
नौजवान पीढ़ी में ‘स्लैंग टर्म्स’ हैं पॉपुलर
जैसे IYKYK (If You Know You Know) , GOAT (Greatest of All Time) , OG (Original Gangster) , FLEX (Show Off) ये और इनसे मिलते जुलते अनगिनत शब्द इन दिनों आम बोलचाल में नौजवानों की बातचीत का हिस्सा बन चुके हैं। असल में ये शब्द किसी बड़े वाक्य का संक्षिप्त रूप हैं या फिर कोई ऐसा शब्द जिसे शायद कभी सुना भी नहीं गया है। दरअसल इसे ही स्लैंग टर्म्स कहा जाता है जो आज की नौजवान पीढ़ी में काफी पॉपुलर हैं। डिजिटल युग और सोशल मीडिया के इस दौर में कानों में जब ऐसे शब्द दस्तक देते हैं तो नजर उठने से पहले सवाल उठ जाते हैं।
इससे पहले सवालों की तरफ ताकें, कुछ शब्दों को और गौर से सुन लेते हैं। ब्लर्ट, परसोना नॉनग्राटा, यो ब्रो, यू आर सो प्रो…इस तरह के कई अल्फाज हमको सुनाई पड़ ही जाते हैं। सामान्य बातचीत के दौरान जब इस स्लैंग टर्म्स का इस्तेमाल होता है तो यही सवाल खड़ा होता है कि आखिर ये क्या बला है? लेकिन उससे भी बड़ी बात जो मतलब उस शब्द का है, क्या वाकई में उसे उसी संदर्भ में इस्तेमाल किया गया है।
नए नए शब्दों का इस्तेमाल करने वाली पीढ़ी
मसलन ब्लर्ट यानी Blert का मतलब होता है मूर्ख, बेवकूफ या परेशान करने वाला। अब अगर आपके सामने कोई इस तरह से बात करता सुनाई पड़े कि उसे वहां जॉब करनी है, जहां कोई Blert न हो। तो यकीनन एक बार ठहरकर सोचने को मजबूर हो ही जाएंगे कि आखिर ये ब्लर्ट का इस्तेमाल क्यों कर रहा है। ये ब्लर्ट शब्द इसे कहां से पता चला। असल में उत्तरी इंग्लैंड के देहाती इलाकों के लोग इस ब्लर्ट (Blert) शब्द का इस्तेमाल अपनी आम बोलचाल में करते ही रहते हैं, जिसका एक मतलब निकम्मा भी होता है। यानी जो किसी काम का न हो। इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल 1905 के आस पास मिलता है, जब इस शब्द को कमजोर या कायर के संदर्भ में किया गया था। अब आप हिसाब किताब लगाते रहिए कि इस शब्द के इस्तेमाल के साथ आज की ये नई नौजवान होती पीढ़ी क्यों चिपकी हुई है।

चलिए एक और शब्द देख लेते हैं। आम तौर पर हमने कुछ रेस्टोरेंट या लॉबी में अपनी ही धुन में खोई किशोर या युवा पीढ़ी के लड़के या लड़कियों को ये कहते सुना कि दिस पार्टी, इट्स बसन (Bussin)। यानी वो लोग आपस में ये कहना चाह रहे हैं कि वो जिस पार्टी या जिस जगह से आए हैं वो जगह वाकई तारीफ के लायक है और वहां का सब कुछ उनके लिए बेहतरीन था।
हालांकि उसी जगह इस बसन शब्द के साथ अपने साथियों का मजाक उड़ाते हुए भी हमने देखा। असल में बसन यानी Bussin का इस्तेमाल पॉजिटिव तरीके से तारीफ करने के लिए ही किया जाता है जो कि एक म्यूजिक या किसी ड्रामे के सिलसिले में पहली बार 90 के दशक में होते देखा। इसका इस्तेमाल आमतौर पर अमेरिकी अफ्रीकी समुदाय के लोग आपसी बातचीत में किया करते थे।
इसी तरह का एक और शब्द हमारे कानों से गुजरा। परसोना नॉन ग्राटा (Persona Non Grata)। ये पूरा एक अल्फाज है जो लैटिन भाषा से आया है और इसका सीधा सा मतलब होता है एक ऐसा इंसान जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अगर हम वक्त में थोड़ा पीछे जाएं तो इजराइल ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला द सिल्वा को Persona Non Grata कहकर नकार दिया था। क्योंकि लूला ने गाजा पर इजराइल के हमलों के सिलसिले में इसे इजराइल की तरफ से किया गया नरसंहार कहा था। लूला के इस बयान के बाद इजराइल ने जब अपनी प्रतिक्रिया दी तो दोनों देशों के बीच तनाव के हालात पैदा हो गए थे। वैसे इस लैटिन शब्द को पहली बार 1850 में इस्तेमाल किया गया था। वो भी संदर्भ ये था कि जिस शख्स के लिए ये शब्द कहे गए थे उसे देश छोड़कर जाने को कहा गया था।
बहुत तेज पीढ़ी है ये Gen Z
इन जैसे नए और न जाने कितने अनजान शब्दों के साथ हम रोज मर्रा की जिंदगी में खेलते हुए देखते हैं उन नौजवान और बच्चों को हम और आप जेन जी (Gen Z) जेनरेशन कहकर पुकारते हैं। एक ऐसी पीढ़ी जो हर लिहाज से बहुत तेज है। पिछली पीढ़ी के मुकाबले जो इंटरनेट से बहुत ज्यादा जुड़ी हुई है। जिसका दुनिया को देखने और उसके साथ तालमेल मिलाने का अपना ही तौर तरीका है। इनकी भाषा और इनका लहजा भी हम दूसरों से अलग हटकर पाते हैं। सच कहा जाए तो ये वो पीढ़ी है जो अपनी पिछली पीढ़ी के केबल टीवी और लैंडलाइन के मुकाबले ज्यादा तकनीकी जानकारी से लबरेज है। ये पीढ़ी पूरी तरह से डिजिटली कनेक्टेड पीढ़ी है।
आज के दौर में जब तकनीक की बात होती है तो सबसे पहले जेन-जी का ही नाम सामने आता है। ये वे लोग हैं जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ और 2024 में इनकी उम्र 12 से 27 साल के बीच है। ये पीढ़ी कई मायनों में बहुत काबिल है। बेहद हुनरमंद है। इनके फैसलों में तेजी है और इनके निर्णयों में एक कड़वापन भी है।
Gen Z का टेक्नोलॉजी से है नजदीकी याराना
आज का एक सच ये भी है कि आने वाला समय टेक्नोलॉजी का है। हर दिन कोई न कोई नई टेक्नोलॉजी या कोई नया आविष्कार सामने आता है। ये वही पीढ़ी है जिसके बारे में अब ये साबित हो चुका है कि टेक्नोलॉजी के इस नए बदलाव को बहुत जल्दी सीखती है और उसका इस्तेमाल एकदम पेशेवर तरीके से करने में माहिर हो जाती है। दिमाग के मामले में Gen-जी पीढ़ी बहुत तेज होती है। इनकी उंगलियां और इनके दिमाग के बीच का तालमेल देखते ही बनता है। इंटरनेट की दुनिया में जन्मे ये नए जमाने के बच्चे मोबाइल पर कुछ इस अदा से उंगलियां चलाते हैं मानों उनकी उंगली और की-बोर्ड के बीच को पुराना याराना हो। तभी इंटरनेट की दुनिया में आज इस पीढ़ी को किंग भी कहा जाता है।
नई पीढ़ी को नौकरी नहीं देना चाहती कंपनियां
इतनी खासियत और इतनी खूबियों से भरी पूरी इस पीढ़ी के सामने एक सबसे बड़ी मुश्किल आ रही है। वो ये है कि इनके मानसिक रवैये और इनके तौर तरीकों की वजह से अब दुनिया भर की कंपनियां इस पीढ़ी को नौकरी पर नहीं रखना चाहती। ये बात जितनी गंभीर है उससे कहीं ज्यादा चौंकाने वाली है। क्योंकि जो पीढ़ी हर चीज में माहिर हो जिसके सामने नई टेक्नोलॉजी बच्चों का खेल हो उसे ही कंपनियां अपने यहां कामगार बनाने से कतराने लगी हैं।

कॉलेज से निकले नौजवानों को काम देने से बच रहीं कंपनियां
एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि दुनिया की कई टॉप कंपनियां जेन जी को नौकरी देने से कन्नी काट रही हैं। या फिर अगर उन्हें नौकरी दे भी देती हैं तो कुछ ही महीनों के भीतर उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। सर्वे में कंपनियों ने दावा किया है कि वो हाल ही में कॉलेज से निकले नौजवानों को काम पर रखने से हर हाल में बचना चाहती हैं। वजह है उनका काम करने का तौर तरीका, उनकी कम्युनिकेशन स्किल्स और काम के लेकर उनका लापरवाह रवैया। वैसे अगर देखा जाए तो ये वही पीढ़ी है जो इंटरनेट के साथ बड़ी हुई। ऐसे नौजवान जोश से भरे हुए होते हैं बावजूद इसके कंपनियां इन्हें काम देने से कतरा रही है।
इंटेलिजेंट डॉट कॉम की तरफ से किए गए सर्वे से ये बात सामने आ गई है कि 10 में से छह कंपनियों ने इसी साल कई ऐसे लोगों को नौकरी से निकाला है जो हाल ही में कॉलेज से पास हुए है। इतना ही नहीं सात में से एक कंपनी का यही कहना है कि आने वाले दिनों में भी कंपनी में नए ग्रैजुएट्स को काम पर रखने से बचना चाहेगी।
कॉलेज की दुनिया और कामकाज के माहौल में फर्क
सर्वे करने वाली कंपनी इंटेलिजेंट डॉट कॉम के सलाहकार ह्यू गुयेन का कहना है कि हाल ही में कॉलेज से पास होकर निकले नौजवानों को ऑफिस के माहौल में खुद को ढालना मुश्किल हो रहा है। क्योंकि दोनों ही माहौलों में जमीन आसमान का अंतर है। कॉलेज की दुनिया एकदम अलग होती है। जबकि ऑफिस में काम करने के लिए वक्त की पाबंदी बेहद जरूरी है और इसको लेकर नौजवानों में काफी परेशानी देखने को मिल रही है।

ये भी सच है कि इस Gen Z पीढ़ी को टेक्नोलॉजी का किंग भी कहा जाता है क्योंकि इनकी शुरुआत ही इसके साथ हुई है। Gen Z दुनिया की वो पहली पीढ़ी है जिसने इंटरनेट के युग में आंख खोली और हाथ पैर चलाते ही सारी नई और आधुनिक सुविधाएं मिली हैं। जबकि दूसरी पीढ़ियों को इंटरनेट, स्मार्टफोन से पहले और बाद के जीवन का भी अच्छा खासा तजुर्बा है। जबकि जेन- जी ने जिंदगी का सारा वक्त तकनीक और आधुनिक उपकरणों के आस पास ही बिताया ।
Gen Z को ऑफिस के माहौल में ढालना मुश्किल
ह्यू गुयेन बताते हैं कि कंपनियों के मालिक असल में इस पीढ़ी के लोगों को काम पर रखने को लेकर दुविधा में हैं। इसी लिए ये लोग ऐसे युवाओं को काम पर रखने से बचना चाह रहे हैं। इंटेलिजेंस डॉट कॉम के सर्वे में दुनिया भर की करीब एक हजार से ज्यादा कंपनियों ने भाग लिया। इस सर्वे की पहली रिपोर्ट न्यूज वीक में प्रकाशित हुई थी।

ह्यू गुयेन का मानना है कि इस पीढ़ी के पास कॉलेज से मिला सैद्धांतिक ज्ञान तो जरूर होता है, मगर इन लोगों के पास आमतौर पर कामकाज की असल दुनिया के तजुर्बे और दफ्तर में काम करने के तौर तरीकों की कमी जरूर होती है। ह्यू गुयेन के मुताबिक नए नौजवानों को ऑफिस के कामकाजी माहौल में खुद को ढालने में कुछ जरूरी दिक्कतें हो भी सकती हैं और ये बड़ा ही स्वाभाविक है।
युवाओं के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं 75 फीसदी कंपनियां
जाने माने HR कन्सल्टेंट ब्रायन ड्रिस्कॉल ने न्यूजवीक के साथ बातचीत में कहा आज की शिक्षा जमीनी पहलू से कहीं ज्यादा प्रिंसिपल यानी सिद्धांत पर ज्यादा जोर देती है। सबसे जरूरी बात ये है कि जब तक आप अपनी शिक्षा में कॉर्पोरेट कल्चर के बारे में बच्चों को नहीं बताएंगे और समझाएंगे तब तक उन्हें ऐसी मुश्किलें आएंगी ही। लिहाजा नए दौर और नई टेक्नोलॉजी के साथ साथ काम काज के नए कल्चर को लेकर भी बच्चों को पाठ पढ़ाने और समझाने की जरूरत है। फिर ये पीढ़ी सभी को पीछे छोड़कर एक नई ऊंचाई हासिल कर लेगी।
सर्वे में शामिल करीब 75 प्रतिशत कंपनियों का कहना है कि हाल ही में कॉलेज से पास युवाओं का काम कंपनी की जरूरतों के मुताबिक संतोषजनक नहीं है। सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा रिक्रूटर्स का कहना है कि जेनरेशन Z लोगों में मोटिवेशन का जबरदस्त अभाव है। जबकि 39 फीसदी कंपनियां मानती हैं कि जेनरेशन Z पीढ़ी बेशक बेधड़क बात कर लेती है, लेकिन उसमें बातचीत के लहले और जरूरी कम्युनिकेशन योग्यता की बेहद कमी है।
सोशल मीडिया से प्रभावित है Gen Z
सर्वे में ये बात भी सामने आई है कि Gen Z में काम पर फोकस की बेहद कमी है। इनमें जबरदस्त आलस भरा है और काम को लेकर गंभीरता की भी कमी है। जानकारों का मानना है कि बेशक जेन Z डिजिटल दुनिया में पले-बड़े हैं और यही वजह है कि ये बुरे नतीजे सामने आ रहे हैं। इसके अलावा Gen Z सोशल मीडिया से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। सोशल मीडिया के पॉलिटिकल कैंपेन का असल इस पीढ़ी पर सबसे ज्यादा पड़ता है और उसके लिए ये लोग काफी उत्साहित भी रहते हैं। इसकी वजह से भी इनका काम प्रभावित होता है। ये सारी बातें किसी भी कंपनी के लिए खासा सिरदर्द साबित हो जाती हैं। इसी सर्वे में ये भी देखा गया है कि करीब आधे यानी 46 प्रतिशत कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि जेनरेशन Z लोगों में प्रोफेशनलिज्म की बेहद कमी है।

Gen- Z को आम बोलचाल की भाषा में ज़ूमर्स Zoomers भी कहा जाता है। यानी ऐसे लोग जिन्हें बेहद कम उम्र में ही डिजिटल तकनीक के साथ साथ इंटरनेट और सोशल मीडिया का पता चल गया। जो बच्चे Gen-जी होते हैं, उनका सोशल मीडिया पर काफी वक्त बीतता है। ये नौजवान पीढ़ी अपने आसपास हमेशा इंटनेट की मौजूदगी चाहती है। दरअसल इनको कोई भी जानकारी लेनी होती है तो उसके लिए इंटरनेट का होना लाजमी हो जाता है। इसके साथ साथ ये सोशल मीडिया के इन्फ्लूएंसर भी हो जाते हैं। ऐसे में अगर आपके इर्द गिर्द 12 से 27 साल का कोई किशोर या नौजवान यानी Gen-जी है तो उसके काम करने के तौर तरीकों को गौर से देखने की जरूरत है। आपको उसमें और अपने बीच टेक्नोलॉजी की समझ को लेकर फर्क देखने को मिलेगा। मौजूदा वक्त में केवल हिन्दुस्तान में ही 35 करोड़ लोग Gen-जी हैं, जिनके लिए नई टेक्नोलॉजी को देखना और समझना उनके बायें हाथ का काम है। ऐसे में अगर इन लोगों को कोई हल्के में लेता है सचमुच वो बहुत बड़ी गलती कर रहा है।