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डिजिटल इंडिया के बजट से भी ज्यादा तो साइबर लुटेरे लूट ले गए, दो सालों में 27 लाख शिकायतें और लूट की रकम 2100 करोड़ के पार

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– गोपाल शुक्ल:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो नारे बड़े मशहूर हैं। एक नारा तो है, सबका साथ और सबका विकास। और दूसरा नारा है नए भारत का ‘डिजिटल इंडिया’। इन दोनों ही नारों के पीछे प्रधानमंत्री के मन की बात तो यही रही होगी कि सबका साथ और सबका विकास के जरिए मुल्क को डिजिटली मजबूत बनाया जाए और देश का विकास किया जाए। अब प्रधानमंत्री की मुहिम से लोगों को कितना फायदा हुआ इसका तो ठीक ठीक अंदाजा शायद ही किसी को हो, मगर इतना तो तय है कि प्रधानमंत्री के इन नारों का सही मतलब अगर कोई समझ सका तो वो हैं साइबर ठग। इस डिजिटल इंडिया वाले भारत में इन साइबर जेब कतरों ने सबका साथ और सबका विकास के साथ खुद को डिजिटली इतना मजबूत बना लिया कि घर बैठे देश भर के 27 लाख से ज्यादा लोगों की जेब काट ली और अपना विकास तो कर ही लिया।

डिजिटल मिशन के बजट से ज्यादा ठगी गई रकम

बीते दो सालों में इस डिजिटल इंडिया के जरिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक साइबर ठगों ने करीब दो हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी कर डाली। केंद्र सरकार ने डिजिटल मिशन के लिए 1510 करोड़ रुपये का बजट रखा था लेकिन साइबर ठग अब तक पिछले दो सालों में लाख से ज्यादा मामलों में 2145 करोड़ रुपयों की ठगी कर चुके हैं।

डेढ़ साल में 1500 करोड़ से ज्यादा की ठगी

सबसे ज्यादा साइबर लूट तो बीते डेढ़ साल के दौरान हो गई जब साइबर शातिरों ने डिजिटल इंडिया मिशन के बजट से भी ज्यादा की रकम यानी करीब 1572 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली है। जबकि डिजिटल इंडिया का बजट ही 1510 करोड़ रखा गया था।

साइबर ठगी की शिकायतें 27 लाख से ज्यादा

यानी इस एक मामले के साथ ही बीते दो सालों के दौरान अब तक देश में साइबर ठगी के मामलों की गिनती 27 लाख से ज्यादा को पार कर चुकी है। किसी के पास भी एक कॉल आती है। कभी नौकरी देने के नाम पर तो कभी पार्सल की सप्लाई की सूचना देने के लिए, और कभी उनके किसी अपने के बारे में ऐसी इत्तेला देने के लिए जिसके बारे में शायद वो सपने में भी न सोच सकें। असल में साइबर शातिरों के ये वो पैतरें है जिनके जरिए वो पहले तो अपने शिकार को जाल में फंसाते हैं, और फिर लूट खसोट का सिलसिला शुरू कर देते हैं।

शेयर बाजार के नाम पर सबसे ज्यादा लूट

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा ठगी की शिकायतें स्टॉक ट्रेडिंग से जुड़े मामलों की दर्ज हुईं। यानी ऑनलाइन शेयर बाजार में फायदा कराने का झांसा दिया और डिजिटली जेब काट ली। इस डिजिटल स्कैम में देश को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। ताजा मिले आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें 2 लाख 28,094 शिकायतें दर्ज हुईं और करीब 4,636 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं इन्वेस्टमेंट से जुड़े घोटालों में 1 लाख 360 शिकायतें सामने आईं और 3,216 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया।

डिजिटल अरेस्ट की सुर्खियां

  • हाल ही में कुछ समय से डिजिटल अरेस्ट शब्द बार बार सुर्खियों में आ रहा है, इसकी एक बानगी देख लीजिए।
  • राजस्थान में गूगल में काम करने वाली महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर को साइबर ठगों ने कर लिया डिजीटल अरेस्ट
  • उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली एक महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजीटल अरेस्ट किया और 1.38 लाख रुपये ठग लिए

शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता है जब अखबार के पन्नों पर ऐसी सुर्खियां नज़र नहीं आती। पिछले कुछ अरसे के दौरान ऐसा लग रहा है ये ट्रेंड सा बन गया है। साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के इस नए हथियार से लोगों की तिजोरियों पर डाका डालना शुरू किया है। जबसे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में मोबाइल उनकी सबसे बड़ी जरूरत बन गया है। ऐसा लगता है कि साइबर ठगों ने लोगों की इसी जरूरत को अपनी जरूरत भी बना लिया और दे दनादन साइबर फ्रॉड को अंजाम देने लगे।

डिजिटल अरेस्ट

राजस्थान में महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर हुई डिजिटल अरेस्ट

सबसे ताजा वाकया सामने आया है राजस्थान के अलवर से। क्योंकि यहां गूगल में काम करने वाली एक महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाकर बस उसे हलाल करने ही वाले थे तभी अचानक उसके घरवाले उसके पास पहुँच गए और वो लुटने से बच गई। लेकिन गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली एक महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर इतनी किस्मत वाली नहीं थी। साइबर शातिरों ने उसे कई घंटे डिजिटल अरेस्ट करके उससे 1.38 लाख रुपये ठग लिए।

डिजिटल अरेस्ट से 1616 करोड़ का चूना

बीते डेढ़ सालों के दौरान 63,481 शिकायतें डिजिटल अरेस्ट को लेकर सामने आई हैं और इस डिजिटल अरेस्ट जैसी नामुराद आफत ने 1,616 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

4.5 लाख खातों को किया गया फ्रीज

एक रिपोर्ट बताती है कि साइबर फ्रॉड के मामलों पर जब गौर किया गया तो पता चला है कि डिजिटली चोरी या लूटी गई  रकम अक्सर चेक, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), फिनटेक क्रिप्टो, ATM, मर्चेंट पेमेंट और ई-वॉलेट का इस्तेमाल करके निकाल ली जाती है। खुलासा है कि बीते एक साल के दौरान I4C, यानी Indian Cyber Crime Coordination Centre ने ऐसे करीब 4.5 लाख बैंक खातों को फ्रीज किया। इन खातों का इस्तेमाल आमतौर पर साइबर फ्रॉड से जुटाई गई रकम को ट्रांसफर करके निकालने के लिए किया जाता था।

यूपीआई से बढ़ी धोखाधड़ी की वारदात

देश में जिस तेजी से यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उतनी ही रफ्तार से इससे जुड़े धोखाधड़ी के मामले ने भी पकड़ी है। आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि पिछले डेढ़ साल में साइबर जालसाजों ने UPI से धोखाधड़ी करके लोगों के गाढ़ी कमाई के करीब 1500 करोड़ से ज्यादा की रकम पर हाथ साफ कर दिए। यह रकम कई सरकारी योजनाओं के बजट से भी कहीं ज्यादा है। ये बात और भी ज्यादा हैरान करती है कि ये आंकड़े वित्त मंत्रालय ने संसद में पेश किए।

साइबर ठगी के मामले 85 प्रतिशत तक बढ़े

बीते साल से लेकर अब तक यूपीआई से जालसाजी के 27 लाख मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसमें लोगों ने 2,145 करोड़ रुपये गंवाए। जबकि, इसी साल की यानी साल 2024 की बात करें तो ठगों ने 1,087 करोड़ रुपए की चपत लगाई। इन मामलों में 85 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई जो किसी भी कारोबार के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इसी साल सितंबर तक साइबर जालसाज 485 करोड़ रुपए पर हाथ साफ कर चुके हैं।

साइबर सुरक्षा से ज्यादा तवज्जो प्रचार प्रसार पर

जाहिर है जब इतनी तादाद में शिकायतें हुईं तो उसका डाटा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय यानी आईटी डिपार्टमेंट तक भी पहुँचा।  मजे की बात यही है कि डिजिटल इंडिया के प्रचार-प्रसार को साइबर सुरक्षा से ज्यादा तवज्जो दी गई है। 2018-19 में आईटी मंत्रालय ने प्रचार-प्रसार के लिए 1510 करोड़ रुपए का बजय रखा है। जबकि साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रोजेक्ट पर सिर्फ 150 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

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– रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मंत्रालय ने केंद्र से प्रचार-प्रसार की योजनाओं पर जितना पैसा मांगा था, केंद्र ने उससे कहीं ज्यादा पैसा मंजूर किया है। जबकि डिजिटल इंडिया को ठीक से लागू कराने वाली योजनाओं के लिए कम राशि मंजूर की गई है।

– समिति रिपोर्ट में डिजिटल इंडिया की तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी दिखाया है। इसके मुताबिक, साइबर सुरक्षा के लिए जरूरत से कम पैसे ऐसे समय मंजूर हुए जब देश में डेबिट और क्रेडिट कार्ड फ्रॉड केस बढ़े हैं।

– आरबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के मुकाबले 2017 में डेबिट-क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के मामलों में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई। जबकि पांच सालों में इन केसों में 75 फीसदी का भारी इजाफा हुआ है।

सतर्क रहें, सावधान रहें

जाहिर के तस्वीर का ये रुख कहीं से भी प्रधानमंत्री के नारों को बुलंद करता तो दिखाई नहीं देता। लिहाजा अब लोगों को यही समझना है कि सावधान रहें और सतर्क रहें।

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  • गोपाल शुक्ल - दायित्व मीडिया

    जुर्म, गुनाह, वारदात और हादसों की ख़बरों को फुरसत से चीड़-फाड़ करना मेरी अब आदत का हिस्सा है। खबर का पोस्टमॉर्टम करने का शौक भी है और रिसर्च करना मेरी फितरत। खबरों की दुनिया में उठना बैठना तो पिछले 34 सालों से चल रहा है। अखबार की पत्रकारिता करता था तो दैनिक जागरण और अमर उजाला से जुड़ा। जब टीवी की पत्रकारिता में आया तो आजतक यानी सबसे तेज चैनल से अपनी इस नई पारी को शुरु किया। फिर टीवी चैनलों में घूमने का एक छोटा सा सिलसिला बना। आजतक के बाद ज़ी न्यूज, उसके बाद फिर आजतक, वहां से नेटवर्क 18 और फिर वहां से लौटकर आजतक लौटा। कानपुर की पैदाइश और लखनऊ की परवरिश की वजह से फितरतन थोड़ा बेबाक और बेलौस भी हूं। खेल से पत्रकारिता का सिलसिला शुरू हुआ था लेकिन अब तमाम विषयों को छूना और फिर उस पर खबर लिखना शौक बन चुका है। मौजूदा वक्त में DAYITVA के सफर पर हूं बतौर Editor एक जिम्मेदारी का अहसास है।

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