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जरा इस नजारे का तसव्वुर करिए। जब सर्दियों की ठिठुरन अपने पूरे शबाब पर हो, जिस्म को गलाने वाली ठंडी हवा आपके गालों को थपथपाकर अपने होने की हाजरी दर्ज कराती हो, जब सारा आलम गर्म मुलायम कंबल या रजाई की गर्माहट में खुद समेट लेने को बेताब रहता हो, जिस मौके पर आग का एक शरारा ठंडे पड़ते जिस्म को जान दे देता हो, उस मौसम में चीन के एक शहर में बर्फ का मेला लगता है जिसको देखने के बाद ही पूरी दुनिया की आंखों में ठंडक उतरती है।
इस मेले में चलें उससे पहले जरा एक शेर समाद फरमाएं।
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते
इस अकेले शेर में वो सब कुछ है जो सर्द रातों में कोई अकेला इंसान अपनी तन्हाई में सोच सकता है। यह एक शेर सर्द रातों की उन तीखी हवाओं का अहसास भी दिला रहा है और रात की आवारगी के आलम में बोझिल होती आंखों की तस्वीर भी दिखा रहा है। उम्मीद फ़ाज़ली का यह शेर एक हसरत की नुमाइश तो करता ही है। लेकिन हम आपको इस शेर के जंजीर में बांधना नहीं चाहते बल्कि आपको इस शेर की बंदिश से थोड़ा और आगे लेकर चलते हैं।
हम आपको एक ऐसे शहर से मिलवाने ले चलते हैं जिसे देखने के बाद शायद आप सर्द रात की चुभन को भूल जाएं। उस शहर की खूबसूरती के उस मुलायम अहसास में खुद को हर बार पाना चाहें। चलिए चीन के हार्बिन शहर का रुख करते हैं जो किसी तार्रुफ का मोहताज नहीं है।
इन दिनों ये शहर सारी दुनिया के सैलानियों की आंखों का तारा बना हुआ है। दुनिया के करोड़ों घुमक्कड़ों के कदम इस शहर का रुख कर चुके हैं। क्योंकि यहां रंगीनियां बर्फ में घुलकर और रोशनी से नहाकर एक ऐसी खूबसूरत तस्वीर में तब्दील हो चुकी है, जिसे देखने की तलब हर उस आंख को हो सकती है, जिसे सुंदरता देखने का शौक है।
हर्बिन शहर में बर्फ में घुलती रोशनी को देखकर ऐसा लग सकता है मानों हमारी आंखों के सामने किसी परी कथा के पन्ने खुद ब खुद खुलते चले जा रहे हैं। यूं तो बर्फ के ऊपर किसी भी चीज का टिकना करीब करीब नामुमकिन सा हो जाता है। मगर रंगीन रोशनी का रोमांच यहां ऐसा आलम बना देता है मानों इस बर्फ की फिसलन पर आकर बहार टिक गई हो। दिसंबर के महीने में जब सारा आलम बर्फ की चादर में ढक जाता है और सारा जमाना खुद को गर्म लिहाफ में समेट लेना चाहता है, उस वक्त हर्बिन शहर का ये बर्फीला मेला ऐसा गुल खिलाता है कि लोग इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं। यहां जिस तरह से बर्फ के ऊपर एक रंगीन शहर सांस लेता है उसे नजदीक से देखने के लिए पूरी दुनिया दीवानी दिखाई देती है और पूरा साल इंतजार करती है।
बर्फ की जादूगरी
चीन के हार्बिन शहर में लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा बर्फ का मेला लगता है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि हर्बिन शहर ही मेले में रहने लगता है। बर्फ से बनी मूर्तियां और उसमें से होकर गुजरती रंगीन रोशनियां। सिर से पांव तक दिलफरेब रोशनियों के झरने से तरबतर ऊंची ऊंची इमारतें यानी हर चीज़ इस कदर लुभाती लगती है मानों चांदनी रात में किसी बर्फ की झील पर तैरता हुआ कोई सपना आकर ठिठक गया हो। अक्सर किताबों के पन्नों पर ऐसी इबारतें दिखती हैं।
बर्फ के इस मेले में देखने को न सिर्फ अद्भुत नजारे हैं, बल्कि आइस स्केटिंग, स्लाइडिंग और स्नो फाइट जैसे वो खेल भी मौजूद होते हैं जो यहां इस मेले में रोमांच का जबरदस्त तड़का लगा देते हैं। आपने मिट्टी से महल बनाने की कहावत तो जरूर सुनी होगी, मगर इस हार्बिन शहर में बर्फ को तराशकर जो कारीगरी पेश की जाती है उसे देखकर संगमरमर के महल भी फीके पड़ते दिखाई देते हैं।
हार्बिन आइस फेस्ट
फेस्ट आइस एंड स्नो थीम पार्क जिसे आम बोलचाल मं हार्बिन आइस फेस्ट भी कहा जाता है। हर साल दिसंबर के महीने की सख्त होती बर्फ को तराशकर बनाए गए पंडालों वाले इस मेले को अब लोगों के लिए खोला जा चुका है। 3 लाख क्यूबिक मीटर बर्फ से तैयार आइस एंड स्नो की ये सपनों जैसी दुनिया करीब करीब 10 लाख वर्ग मीटर में फैली होती है जिसे हर साल एक अलग और अनोखी थीम के साथ सजाया और संवारा जाता है। इस हार्बिन शहर के बर्फीले मेले का सबसे बड़ा आकर्षण होती हैं यहां की बर्फीली इमारतें और दुनिया भर की जानी पहचानी वो कलाकृतियां जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि रंगों को पिघलाकर इन्हें बनाया गया हो।
आमतौर पर चीन के इस हार्बिन शहर की ठंड ऐसी होती है जो इंसान की हड्डियों को चीरकर भीतर समा जाती है लेकिन यहां बर्फ की सफेद चादर पर बिखरा हुनर देखकर अच्छे अच्छों को पसीने से तरबतर कर देता है। खासतौर पर बर्फ से बनी दुनिया भर के तमाम नामचीन बुलंद इमारतें। इन इमारतों पर जैसे ही सूरज की पहली किरण पड़ती है तो ऐसा लगता है मानों सोना का पानी बह रहा हो। लेकिन इसी बर्फीली कलाकारी पर जैसे ही रात के अंधेरे में रोशनी पड़ती है तो ऐसा लगता है मानों किसी ने जमीन पर आकर इन इमारतों को तारों की चादर से ढक दिया हो।
बर्फ का ताजमहल
चीन की जमीन पर ये दुनिया का इकलौता ऐसा मेला है जिसकी उम्र 50 साल से ज्यादा की हो चुकी है। हालांकि ये आयोजन 26वां है। जिसे नाम दिया गया है ‘ड्रीम ऑफ विंटर, लव अमंग एशिया’। दुनिया भर में मोहब्बत की निशानी के तौर मशहूर ताजमहल की बर्फ से बनी हूबहू शक्ल चीन के इस शहर में देखकर कोई भी चौंक सकता है।
मेले का इतिहास
हार्बिन आइस फेस्टिवल को चीन के लोग अक्सर क्वीन ऑफ विंटर यानी सर्दियों की रानी के नाम से भी पुकारते मिल जाएंगे हैं। इतने बड़े इलाके में फैले इस मेले को सही ढंग से सैलानियों की सहूलियत के मद्देनज़र इसे 9 जोन में बांटा गया है। 1960 के दशक में इस मेले का वजूद पहली बार जमाने के सामने आया था लेकिन बाद में इस फेस्ट यानी मेले को चीन की आंतरिक दिक्कतों और परेशानियों की वजह से बंद कर दिया गया था। जिसे फिर 1985 में एक बार फिर शुरू किया गया था। लेकिन पिछले 26 सालों से ये लगातार आयोजित किया जा रहा है। यहां हर बार एशियाई ओलंपिक परिषद के 42 देशों की पहचान कहलाने वाली कलाकृतियों को बर्फ में उकेरा जाता है। जिसमें चीन का टेंपल ऑफ हेवन और जापान का ओसाका कैसल शामिल है।
कब से शुरू होता है मेला?
ये हार्बिन बर्फ महोत्सव दिसंबर के आखिरी दिनों में शुरू होता है और करीब करीब दो महीने तक चलता है। मजे की बात ये है कि इस मेले का उद्घाटन समारोह तो होता है जो इस बार 5 जनवरी 2025 को होगा। लेकिन बर्फ पर की गई कलाकारी को देखने के लिए लोगों को दिसंबर में ही यहां आने की इजाजत दे दी गई है। अगले दो महीने तक यानी जबतक बर्फ है तब तक ये मेला यूं ही चलता रहेगा। लेकिन इस मेले का कोई समापन समारोह नहीं होता। मार्च में जब बर्फ पिघल जाती है तो मेला भी बंद हो जाता है।
पर्यटकों का जमावड़ा
अलग देश, अलग संस्कृति, अलग सभ्याता से जुड़े अलग अलग भाषा के लोग यहां आकर एक ही तरह के रंग में घुल मिल जाते हैं जिसे मस्ती का रंग कहा जा सकता है। बताया जा रहा है कि चीन के हार्बिन आइस फेस्ट में बीते बरस 6.7 करोड़ सैलानी आए थे। और यहां के आयोजकों को उम्मीद है कि इस बार ये गिनती 8 करोड़ तक जा सकती है।
सैलानियों की इतनी बड़ी संख्या का जिक्र आते हैं हिन्दुस्तान में प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ मेला याद आ सकता है। फर्क बस इतना है कि प्रयागराज में कुंभ मेला हर 12 साल में लगता है जबकि हार्बिन बर्फ का मेला सिर्फ 12 महीने के इंतजार के बाद फिर लग जाता है। प्रयागराज में महाकुंभ में इस बार यानी महाकुंभ 2025 में करीब करीब 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओँ के आने की उम्मीद जाहिर की जा रही है।
हार्बिन शहर के इस बर्फीले मेले को तीन अलग अलग हिस्सों में बांटा गया है।
- हार्बिन आइस एंड स्नो वर्ल्ड – एक रंगीन ‘आइस डिज्नीलैंड’ की जीती जागती मिसाल होता है
- सन आइलैंड – यहां बर्फ की मूर्ति बनाने की कला की नुमाइश होती है।
- झाओलिन पार्क – में बर्फ के बने छोटे मगर बेहद खूबसूरत लालटेन देखे जा सकते हैं

सुरक्षा के अहम कदम
जाहिर है जिस जगह करोडो़ं जोड़े कदम पड़ते हों वहां हिफाजत के लिए भी खासतरह के कदम उठाए जाते हैं। तो हार्बिन शहर के इस बर्फ के मेले की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं। लोगों के हर एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर मेटल डिटेक्टर तो लगे होते हीं है, जगह जगह पर बैक स्कैनिंग मशीने भी तैनात कर दी जाती हैं। इस मेले का चप्पा चप्पा CCTV की नज़र में रहता है। जो चीज या जो जगह सीसीटीवी की जद से बाहर होती है तो वो ड्रोन के उन कैमरों में कैद हो जाती है जिन्हें मेले के दौरान बाकायदा तैनात किया जाता है। बाकी सैलानियों की सहूलियत और गुनहगारों की दुश्वारी के लिए मेले के लिए खासतौर पर ट्रेंड किए गए पुलिस के लोग या सुरक्षा कर्मी मौजूद रहते ही हैं। इसके अलावा फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और मेडिकल टीमें चौबीसो घंटे तैनात रहती हैं।
चीन कोविड जैसी महामारी के प्रकोप को देख चुका है लिहाजा एहतियात के तौर पर उसने कुछ ऐसे कायदे और कानून लागू कर दिए हैं जिसके मुताबिक मास्क पहनना, कदम कदम पर तापनान की जांच करना और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम लागू कर दिए जाते हैं।
चीन का ये हार्बिन आइस फेस्ट दुनिया के एक और सीख भी देता है। आखिर कैसे सीमित साधनों से भी किसी भी कला और कुदरत का ऐसा संगम तैयार किया जा सकता है जिसे देखकर दुनिया दंग भी हो सकती है। अब अगर आप भी घुमक्कड़ी का शौक रखते हैं तो अपनी लिस्ट में चीन के इस शहर का नाम जरूर लिख लीजिए, कहीं ऐसा न हो कि एक शानदार चीज को देखने का मौका हाथ से निकल जाए।