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जेवर एयरपोर्ट की ‘उड़ान’: अब गुड़गांव की रफ्तार में दौड़ेगा नोएडा, जानें 23 सालों का सफर

Jewar International Airport - Dayitva Media
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– श्यामदत्त चतुर्वेदी:

साल 1996 में हुए चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश के संसदीय इतिहास में चले ‘युद्धकाल’ का आखिरी दौर था। साल 2000 में राजनाथ मुख्यमंत्री बनते हैं और उनके साथ आता है नोएडा के जेवर में एक एयरपोर्ट बनाने का सपना जो नोएडा को रॉकेट की रफ्तार से विकास में आगे ले जा सकता था। हालांकि, 1 साल 131 दिनों में उनकी सरकार गिर जाती है। इसी के साथ टूटने की कगार पर आ जाता है जेवर के आलीशान एयरपोर्ट का सपना। तब से इस प्रोजेक्ट ने 3 प्रधानमंत्री और 5 मुख्यमंत्रियों के राज को देख लिया। सियासी दांव पेच में ये करीब 21 सालों तक लटका रहा। अब कहीं 23 साल बाद वो सपना साकार हो पाया है। इस बीच ये प्रोजेक्ट कई सियासी खेलों का गवाह रहा है। अगर ये एयरपोर्ट की परियोजना साल 2001 में ही फाइनल हो जाती तो आज नोएडा भी गुड़गांव की तरह ही पंख लगाकर उड़ रहा होता।

नोएडा के इंटरनेशनल एयरपोर्ट यानी जेवर एयरपोर्ट में 9 दिसंबर को पहली फ्लाइट लैंड हो गई। दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) से उड़ान भरकर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का विमान जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ट्रायल के तहत उतारा। पहली लैंडिंग के साथ ही एयरपोर्ट कमर्शियल सेवाओं के लिए तैयार हो गया है और देश के सबसे विशाल एयरपोर्ट का उद्घाटन हो गया। ये ट्रायल 15 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान रनवे पर विमान लैंड व टेक ऑफ होंगे। इसके बाद डीजीसीए में एरोड्रम के लाइसेंस के लिए आवेदन किया जाएगा।

उम्मीद की उड़ान

अब उम्मीद की जा रही है कि एरोड्रम के लाइसेंस के बाद 17 अप्रैल 2025 से कमर्शियल फ्लाइट्स की उड़ानें शुरू हो जाएंगी। एयरपोर्ट पर कोहरे में विमान की ऊंचाई और दृश्यता की जानकारी देने वाले कैट-1 और कैट-3 उपकरण लग चुके हैं। इसके साथ ही इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) भी लगाया जा चुका है। यहां से सेवाएं शुरु होने के बाद 60 घरेलू विमान सेवा होंगी। इसके साथ ही ज्यूरिख, सिंगापुर और दुबई के लिए इंटरनेशनल फ्लाइट्स के साथ कार्गो सेवा भी शुरू होगी। ये एयरपोर्ट आलीशान होने के साथ ही भारतीय संस्कृति की झलक दिखाने वाला होगा। यहां तमाम सुविधाएं होंगे।

कितनी लागत आ रही है?

नोएडा के जेवर में बने जेवर इंटरनेशनल हवाई अड्डे का निर्माण 30 साल में कुल 4 चरणों में होना है। शुरुआत में इस हवाई अड्डे के निर्माण पर कुल 29,650 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया था। 1,334 हेक्टेयर में पहले चरण का काम करीब 8 हजार करोड़ रुपये में पूरा हो गया है। अगले तीन चरणों में कुल 4,752 हेक्टेयर जमीन पर एयरपोर्ट के विकास की योजना है। इसमें जमीन, मुआवजा, तकनीकी समेत तमाम चीजों पर करीब 50 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

कब से पूरी तरह शुरू होंगी सेवाएं?

जेवर में बन रहा मल्टी-नोडल एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट माना जा रहा है। यहां से 17 अप्रैल 2025 से वाणिज्यिक उड़ानों का संचालन शुरू होगा। प्रारंभ में, इसे देश के 25 घरेलू रूटों और 3 इंटरनेशनल रूटों से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, इस हवाई अड्डे से दो कार्गो फ्लाइट्स का संचालन भी किया जाएगा। घरेलू उड़ानें भारत के 25 प्रमुख शहरों के लिए उपलब्ध होंगी।

कहां से इसकी कितनी दूरी होगी?

जेवर एयरपोर्ट एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, जिसको पूरी तरह से नए सिरे से विकसित किया जा रहा है। यह इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) से लगभग 72 किलोमीटर दूर है। साथ ही NCR के प्रमुख शहरों नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर है। इस इंटरनेशनल एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी मल्टी-मॉडल होगी। यानी इसे दिल्ली-नोएडा के अलावा आगरा, मथुरा, गुरुग्राम, फरीदाबाद से भारतीय रेल, रैपिड रेल, मेट्रो ट्रेन, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से सीधे जोड़ा जाएगा। इसके लिए पूरा प्लान तैयार है।

कितने रनवे होंगे?

नोएडा का ये एयरपोर्ट 60 मीटर चौड़े 6 रनवे और 4 टर्मिनल के साथ तैयार हो रहा है। इसके रनवे की लंबाई 3.9 किलोमीटर है। यानी इसे आप 4 किलोमीटर कह सकते हैं। आगे के चरणों में संभव है कि इसमें रनवे और टर्मिनल की संख्या बढ़ाई जा सकती है। ये एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक है।

दुनिया की नजर में जेवर एयरपोर्ट

जेवर एयरपोर्ट ही दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में गिना जा रहा है। पूरे विकास के बाद यह शिकागो-ओ’हारे (8 रनवे) और डलास/फोर्ट वर्थ (7 रनवे) जैसे प्रतिष्ठित हवाई अड्डों की श्रेणी में जगह बना लेगा। 6 रनवे वाले हवाई अड्डों की सूची में जेवर एयरपोर्ट का नाम एम्स्टर्डम, डेट्रॉइट, बोस्टन और डेनवर जैसे प्रमुख एयरपोर्ट के साथ आता है। इसका रनवे 60 मीटर चौड़ा और 3900 मीटर लंबा है और अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित है। ये एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश का 5वां और दिल्ली-NCR का तीसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट है।

क्या-क्या सुविधा होगी?

विश्वस्तरीय टर्मिनल, एयरपोर्ट आधुनिक और विशाल टर्मिनल के साथ तैयार हुआ है। इसमें यात्रियों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसमें नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। जिससे चेक-इन आदि के साथ लोगों का एयरपोर्ट पर एक्सेस आसान होगा। साथ ही इसे आसपास के इलाकों से बेहतर कनेक्टिविटी के साथ जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही यहां होटल के साथ बिजनेस सेंटर भी बनाए जा रहे हैं।

आसपास के इलाकों का विकास?

जेवर एयरपोर्ट के निर्माण से आसपास के इलाकों में तेजी से विकास हो रहा है। परियोजना के कारण क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ-साथ औद्योगिक, व्यावसायिक और आवासीय विकास को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। मेट्रो कनेक्टिविटी, हाई-स्पीड रेल, और सड़क नेटवर्क के विस्तार से यातायात आसान हुआ है। आसपास के इलाकों का दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से जुड़ना आसान हो गया है। रियल एस्टेट क्षेत्र में भी तेजी देखी जा रही है, क्योंकि आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं की मांग बढ़ रही है।

इसके अलावा एयरपोर्ट के आस-पास औद्योगिक पार्क, लॉजिस्टिक हब, और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स स्थापित हो रहे हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। हवाई अड्डे से क्षेत्र के ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं। छोटे व्यवसाय, होटल, रेस्टोरेंट और सेवा क्षेत्र का विकास तेज हो रहा है। जेवर एयरपोर्ट न केवल क्षेत्रीय विकास का केंद्र बन रहा है, बल्कि पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान कर रहा है।

चरणवार विकास कैसे होगा?

जेवर हवाई अड्डे की निर्माण योजना चार चरणों में विभाजित है। पहले चरण में टर्मिनल 1 बिल्डिंग, एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, कार्गो सुविधा, रनवे, और मेट्रो व हाई-स्पीड रेल स्टेशनों का विकास होगा। दूसरे चरण में टर्मिनल 2 और एक नए रनवे के साथ टैक्सीवे का निर्माण किया जाएगा। तीसरे चरण में टर्मिनल 3, दूसरे टैक्सीवे, 3 रैपिड एग्जिट टैक्सीवे, और 37 नए एप्रन खंडों का विस्तार किया जाएगा। अंतिम चरण में टर्मिनल 4, कार्गो टर्मिनल का विस्तार और 3 एग्जिट टैक्सीवे का निर्माण किया जाएगा।

विचार से कैसे साकार हुआ?

28 अक्टूबर 2000 को मुख्यमंत्री बने राजनाथ सिंह ने वर्ष 2001 में जेवर एयरपोर्ट का प्रस्ताव केंद्र को भेजा, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। हालांकि, 2002 में उनकी सरकार गिर गई। अगले चुनाव के बाद भाजपा के समर्थन से मायावती मुख्यमंत्री बनीं लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल की कमी से यह प्रोजेक्ट अटका रह गया। हालांकि, 2003 में उनकी सरकार गिर गई, और मुलायम सिंह यादव सत्ता में आए। मुलायम सिंह ने जेवर के बजाय आगरा के आसपास एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव रखा, जिससे इसमें और अड़चन आने लगी।

केंद्र की उलझन और पेच

मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में जेवर एयरपोर्ट को लेकर केंद्र और राज्य में अलग-अलग राजनीतिक दलों की सरकारों के कारण प्रोजेक्ट फंसता रहा। केंद्र को BSP और SP दोनों समर्थन दे रहे थे। ऐसे में धर्मसंकट में फंसी केंद्र सरकार ने सपा सरकार की मांग को इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे के 100 किमी के दायरे में होने का हवाला देकर एयरपोर्ट पर रोक लगा दी। इसके बाद अखिलेश यादव आए और उन्होंने हिरण गांव में शिफ्ट कर बजट भी जारी किया। हालांकि, केंद्र ने इसपर रोक लगा दी।

योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट

2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जेवर एयरपोर्ट को राज्य का ड्रीम प्रोजेक्ट घोषित किया गया। गौतमबुद्ध नगर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने विधानसभा की पहली बैठक में इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की मांग की, जिसे मुख्यमंत्री ने तुरंत मंजूर कर लिया। योगी सरकार की सक्रियता से यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ा और जेवर एयरपोर्ट अब क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विकास का प्रतीक बन गया है।

3 प्रधानमंत्री और 5 मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल

इस दौरान जेवर ने 3 प्रधानमंत्री और 5 मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल देखा। प्रोजेक्ट प्रकाश में आया तो अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री थे। इसके बाद केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार आई। अब जब एयरपोर्ट से उड़ान शुरू हो रही है तो केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। वहीं इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद उत्तर प्रदेश में 5 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। राजनाथ सिंह ने प्रोजेक्ट का सपना देखा। इसके बाद मायावती आई और इसे आगे बढ़ाने की कोशिश की। मुलायम सिंह के दौर में ये प्रोजेक्ट थोड़ा अंटक गया। फिर मायावती आई तो इसे आगे नहीं बढ़ा पाई। अखिलेश यादव के कार्यकाल में प्रोजेक्ट कुछ आगे बढ़ा। हालांकि, योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में प्रोजेक्ट ने उड़ान भरी है।

देश के परिवहन ढांचे की नई ऊंचाइयां

जेवर हवाई अड्डा विकास योजना उत्तर प्रदेश और देश के परिवहन ढांचे को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का एक महत्वाकांक्षी कदम है। चार चरणों में विभाजित यह योजना हवाई यातायात को बेहतर बनाने और क्षेत्रीय विकास को गति देने के उद्देश्य से तैयार की गई है। भले ही ये राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री काल में देखा गया ये सपना कुछ समय के लिए साकार नहीं हो राया लेकिन इस हवाई अड्डे का विस्तृत मास्टर प्लान भविष्य के लिए एक मजबूत नींव साबित होगा।

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  • श्यामदत्त चतुर्वेदी - दायित्व मीडिया

    श्यामदत्त चतुर्वेदी, दायित्व मीडिया (Dayitva Media) में अपने 5 साल से ज्यादा के अनुभव के साथ बतौर सीनियर सब एडीटर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इससे पहले इन्होंने सफायर मीडिया (Sapphire Media) के इंडिया डेली लाइव (India Daily Live) और जनभावना टाइम्स (JBT) के लिए बतौर सब एडिटर जिम्मेदारी निभाई है। इससे पहले इन्होंने ETV Bharat, (हैदराबाद), way2news (शॉर्ट न्यूज एप), इंडिया डॉटकॉम (Zee News) के लिए काम किया है। इन्हें लिखना, पढ़ना और घूमने के साथ खाना बनाना और खाना पसंद है। श्याम राजनीतिक खबरों के साथ, क्राइम और हेल्थ-लाइफस्टाइल में अच्छी पकड़ रखते हैं। जनसरोकार की खबरों को लिखने में इन्हें विशेष रुचि है।

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