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खतरे में गौतम अदाणी का सपना, अजित पवार के बयान ने बिछाए कांटे

Dayitva Dharavi Gautam Adani Ajit Pawar
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-साहिल सिंह

सियासत की बिसात पर कब कौन सा प्यादा आगे बढ़कर वजीर बन जाए और कब किसी की ढाई चाल शहंशाह को शह दे, कोई नहीं जानता। ठीक ऐसी ही बिसात इस वक्त महाराष्ट्र की राजनीति में बिछी नजर आ रही है। सच कहा जाए तो जिस चेहरे को किंग मेकर समझा जा रहा था वह इस वक्त महाराष्ट्र की सियासत का सबसे कमजोर चेहरा बनता दिखाई पड़ने लगा है। वह चेहरा है अजित पवार का। मजे की बात यही है कि जो चेहरा सबसे कमजोर है उसी के पिटारे से ऐसी खबरें झांक रही हैं, जिसे सामने देखकर अब लोग मजा ले रहे हैं।

फिसली बाजी तो खोले पत्ते

कहा जा रहा है कि जैसे ही अजित पवार को अपने हाथ से बाजी फिसलती दिखाई पड़ी तो बाजी पलटने की गरज से उन्होंने अपने हाथ के सारे पत्ते ही खोल कर रख दिए और सामने मुकाबले में मौजूद सारे साथी खिलाड़ियों को भौचक्का कर दिया। किसी को भी समझ में नहीं आ रहा है कि अब करें तो क्या करें।

गौतम अदाणी का नाम और सियासी सूनामी

देश में एक बड़ी सियासी सूनामी आने वाली है। क्योंकि अजित पवार के मुंह से एक ऐसा नाम निकल गया है जिसको सुनते ही सियासत का पारा तेजी से बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। अब अगर ऐसा हुआ तो देश की राजनीति में अच्छा खासा बवाल खड़ा हो सकता है। महाराष्ट्र के चुनाव के दौरान एनसीपी यानी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार यानी अजित दादा ने उद्योगपति गौतम अदाणी का नाम लेकर जो धमाका किया उसने राजनीति की जमीन को बुरी तरह हिलाकर रख दिया।

राजनीतिक कलह तेज

अजित पवार के मुंह से जो बात फिसल कर बाहर आई या लाई गई, उससे राजनीतिक कलह का तेज होना लाजमी है। ऐन चुनाव के बीचो बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान जिस बात का जिक्र किया, वो बात अब दूर तलक पहुँच गई है। आलम ये है कि सियासत के धुर विरोधी चुनावी जंग के दौरान अब अलग से सियासी अखाड़े में आमने सामने खड़े होकर ताल ठोंकने लगे हैं। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या कह दिया अजित पवार ने जिसने महाराष्ट्र के साथ-साथ राजनीतिक पारा इस कदर बढ़ा दिया कि बात हद से गुजरने को हो गई।

सामने आया मीटिंग का सच

असल में अजित पवार ने अपने इंटरव्यू में गठबंधन के एक सवाल पर गड़े मुर्दे कुछ इस कदर उखाड़े कि बात हत्थे से उखड़ गई। अजित दादा ने गठबंधन की जिस बैठक का जिक्र किया वो असल में एक सनसनीखेज खुलासा साबित हुआ। एक सवाल के जवाब में अजित पवार ने कहा कि 2019 में जब महाराष्ट्र में बीजेपी और तबकी शिवसेना अपनी गठबंधन सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई थी, उस वक्त बातचीत का सिलसिला BJP के साथ चल रहा था और उस मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस, उद्योगपति गौतम अदाणी, शरद पवार, प्रफुल पटेल और खुद अजित पवार शामिल हुए थे।

निशाने पर धारावी प्रोजेक्ट

असल में अजित पवार के बयान के बाद अब 2019 के बाद के महाराष्ट्र सरकार के फैसले फिर से सुर्खियों में आ गए। उनमें से ही एक फैसला है मुंबई की सबसे बड़ी स्लम धारावी का। धारावी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्‍लम बस्‍ती है और एशिया की सबसे बड़ी स्‍लम बस्ती भी। धारावी का ये इलाका 625 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें करीब 13,000 हजार से ज्यादा छोटे और मझोले कारोबार चलते हैं। धारावी बस्ती में लगभग 8 से 10 लाख लोग रहते हैं। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने साल 2022 में अदाणी समूह को धारावी रिडेवेलमेंट प्रोजेक्ट अलॉट कर दिया। बताया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट दो दशकों से रुका हुआ था। इस परियोजना पर करीब 20,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है।

अजित पवार के इस खुलासे का असर अब ये हो रहा है कि ये पूरा प्रोजेक्ट अचानक खटाई में पड़ता दिखाई पड़ने लगा। हाल ही में दिए एक बयान में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आती है तो मुंबई में अदाणी समूह को मिले ‘धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट’ का टेंडर रद्द कर देगी।

राहुल गांधी के पाले में अजित पवार!

अजित पवार का गौतम आदाणी का नाम लेना था कि सियासी गहमागहमी तेज हो गई। अजित पवार के बयान से पता चलता है कि 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने में उद्योगपति गौतम अदाणी की भी खासी भूमिका थी। अजित दादा के मुताबिक उस बैठक में बीजेपी नेताओं के साथ गौतम अदाणी की मौजूदगी खासतौर पर गौरतलब थी। अजित पवार के इस बयान के सामने आते ही एक बार फिर राहुल गांधी का नाम सुर्खियों का हिस्सा बनने लगा। वजह यही है कि विपक्षी नेता अब एक बार फिर राहुल गांधी के इन इल्जामों को हवा देने लगे जिसमें वो गौतम अदाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी रिश्तों को लेकर जिक्र करते रहते थे। मंच कोई भी हो, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ये बात कहने से नहीं चूकते कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अदाणी न सिर्फ मित्र हैं बल्कि उनकी सरकार सिर्फ उद्योगपति के इशारों पर ही काम करती है।

अजित पवार का विवादों से चोली दामन का साथ

यूं तो अजित पवार ने पहली दफा ऐसा बयान नहीं दिया। बल्कि इसके पहले भी अजित पावर अपने ऐसे ही खुलासे वाले विवादित बयानों को लेकर काफी दफा सुर्खियों में रह चुके हैं। अक्सर देखा गया है कि जब से अजित पवार ने बीजेपी के साथ गठबंधन में आए, तभी से उनके बयान बीजेपी या महायुति गठबंधन में बेचैनी पैदा करते रहे हैं। बता दें कि बीजेपी ने मुंबई के मानखुर्द से अजित पवार गुट के उम्मीदवार नवाब मलिक को समर्थन देने से इनकार किया है। नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर बीजेपी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार सार्वजनिक तौर पर विरोध करते दिखाई दिए।

अब चलने लगे बयानों के तीर

अजित पवार के टीवी इंटरव्यू के बाद महाराष्ट्र में सियासी सरगर्मी जबरदस्त तरीके से तेज हो गई। अजित पवार की बात पर पहली प्रतिक्रिया शिवसेना (UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी की आई। सोशल मीडिया प्लेटफार्म X प्रियंका ने पर लिखा ” एक डिजिटल चैनल को दिए इंटरव्यू के अजित पवार के मुताबिक गौतम अडानी ने महाराष्ट्र में असंभावित गठबंधनों को ठीक करके भाजपा को सत्ता में लाने के तरीके पर निर्णय लेने के लिए बैठकें कीं. क्या उन्हें गठबंधन तय करने की जिम्मेदारी दी गई है? एक बिजनेसमैन महाराष्ट्र में किसी भी कीमत पर बीजेपी को सत्ता में लाने के लिए इतने उतावले होकर और इतनी बारीकी से काम क्यों कर रहा है? “

गले से नहीं उतर रही बात

जब इस बैठक के बारे में NCP शरद पावर गुट की सांसद सुप्रिया सुले से सवाल पूछा गया तो उन्होंने ने तो बैठक की जानकारी होने से ही इनकार करके सवाल से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। सुप्रिया सुले ने कहा कि “मैं आपको बता देती हूं कि मुझे उस बैठक के बारे में कुछ भी नहीं पता जिसका जिक्र अजित पवार ने इंटरव्यू में किया है”।

सुप्रिया सुले की बात किसी के भी गले नहीं उतर रही। वजह साफ है कि जब बैठक में अजित पवार और शरद पवार के साथ साथ प्रफुल पटेल तक मौजूद थे तो ये बात सुप्रिया को न पता हो, ऐसा मुमकिन नहीं लगता। सबसे हैरानी की बात ये सामने देखने को मिली कि इस बारे में इंटरव्यू के हवा में तैरने के 72 घंटे बीत जाने के बाद भी BJP ने चुप्पी साधे रखी है।

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  • साहिल सिंह

    पढ़ने-लिखने में इतनी खुशी मिली कि कब किताबों से इश्क़ हो गया, पता ही नहीं चला। इस किताबों के प्रेम ने मुझे कब खबरों की दुनिया में ला खड़ा किया, यह भी समझ नहीं पाया। किताबें मेरी माशूका हैं, तो पत्रकारिता मेरी बेगम। इन दोनों के बीच मैंने अपने सफर की शुरुआत दायित्व मीडिया के माध्यम से जिम्मेदारी और जुनून के साथ की है। मुझे उम्मीद है कि मेरा लिखा हुआ आपको पसंद आएगा।

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