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-श्यामदत्त चतुर्वेदी
प्रदूषण की मारी ‘अंधाधुंध’ दिल्ली के फेफड़ों से भरते धुएं की चर्चा इन दिनों दुनिया भर में सुर्खियां बटोरे हुए है। भारत में तो मामला अदालतों की चौखट में पहुंच गया है। लोगों को बचाने के लिए ग्रैप-4 लागू कर दिया है। दिल्ली-NCR में फूलती सांसों के बीच AQI 500 को पार करने के लिए बेताब है। दिल्ली के दर्द पर सियासत भी तेज हो गई है। केंद्र सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इस बीच दिल्ली के पर्यावण मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में प्रदूषण को हटाने के लिए कृत्रिम बारिश की जरूरत बताई है। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है और आपात बैठक बुलाकर कृत्रिम बारिश कराने की मांग की है। आइये जानें आखिर कृत्रिम बारिश क्या है? कैसे होती है? प्रदूषण रोकने में कितनी कारगर है? इसमें कितना खर्च लगता है और इसे कराने को लेकर कहां पेच फंसा हुआ है?
बता दें ति दिल्ली में हवा लगातार दम घोंटू होती जा रही है। NCR में ग्रैप-4 लागू कर दिया गया है। ज्यादातर इलाकों में AQI 450 के पास चला गया है। दिल्ली में 494, गुरुग्राम में 469, नोएडा में 423 के आसपास AQI बना हुआ है। इसी कारण सरकार ने स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। हालांकि, पाबंदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई है।
गोपाल राय का भूपेंद्र यादव को पत्र
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को कृत्रिम बारिश के लिए एक बार फिर चिट्ठी लिखी है। मंत्री गोपाल राय ने कहा कि, ‘प्रदूषण कम करने और नागरिकों की मदद के लिए आपातकालीन उपाय के रूप में दिल्ली में कृत्रिम बारिश की आवश्यकता है।’ गोपाल राय ने कहा कि स्मॉग कवर को हटाने के तरीके पर कई विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं। हमारा मानना है कि लोगों को राहत देने के लिए कृत्रिम बारिश का समय आ गया है। गोपाल राय ने इसे “मेडिकल इमरजेंसी” का दर्जा देते हुए कृत्रिम बारिश के उपाय को आवश्यक बताया है।
क्या होती है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए वैज्ञानिक मौसम में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं। इसमें बादलों को बारिश के लिए प्रेरित किया जाता है। आसान शब्दों में, वैज्ञानिक बादलों में कुछ विशेष पदार्थ डालते हैं, जैसे सिल्वर आयोडाइड या सूखा बर्फ। ये पदार्थ बादलों में मौजूद छोटे-छोटे पानी के कणों को एक साथ जोड़ने का काम करते हैं। जब ये कण काफी बड़े हो जाते हैं, तो वे बारिश की बूंदों के रूप में धरती पर गिरने लगते हैं।
कृत्रिम बारिश के फायदे और नुकसान
कृत्रिम बारिश एक जटिल वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसके कई फायदे हैं, लेकिन इसके नुकसान भी हैं। इसलिए, कृत्रिम बारिश का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी जरूरी हो जाती है। इसके साथ ही मौसम के साथ समय और स्थान के बारे में वैज्ञानिकों का पर्याप्त अध्ययन जरूरी है।
फायदे: सूखे से राहत, कृषि उत्पादन बढ़ाना, आग बुझाने में मदद, ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान को कम करना, हवा में फैसे प्रदूषण को कम करना
नुकसान: मौसम में अनिश्चितता, पर्यावरण को नुकसान के साथ ये काफी महंगी तकनीक है। सबसे बड़ी बात की इसमें सफलता की गारंटी हमेशा नहीं रहती है।
दिल्ली में कृत्रिम बारिश पर पेंच
इस बारिश से प्रदूषण कम होगा या नहीं इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं। अगर होगा भी तो ये कितना असरदार होगा। इसे लेकर कोई पुख्ता आंकड़े नहीं है। दुनिया के 53 देशों में इसका उपयोग किया गया है लेकिन किसी ने अभी इसका उपयोग प्रदूषण को कम करने के लिए नहीं किया है। ऐसे में वैज्ञानिकों का भी मानना है कि कृत्रिम बारिश स्मोग या गंभीर वायु प्रदूषण का स्थाई इलाज नहीं है।
दिल्ली में अभी से पहले भी 2019 में भी आर्टिफिशिल बारिश की तैयारी की गई थी. हालांकि, बादलों की कमी और ISRO के परमिशन की वजह से मामला टाल दिया गया था। विशेषज्ञ कृत्रिम वर्षा को बहुत व्यावहारिक नहीं मानते। पर्यावरणविद और सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि केवल वर्षा से प्रदूषण खत्म नहीं करती है। इसके साथ हवा भी चलना बहुत जरूरी है।
कृत्रिम वर्षा को लेकर प्रस्ताव मंगाने वाले आईआईटी कानपुर ने भी इसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। वहीं दिल्ली सरकार के 3 पत्रों के बाद भी केंद्र ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाए हैं। संभव है कि स्टडी के अभाव के कारण इसे टाला जा रहा है।
पाकिस्तान में कृत्रिम बारिश से राहत
गौर करने वाली बात है कि पाकिस्तान में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। कृत्रिम बारिश के जरिए लाहौर में वायु प्रदूषण को कम करने में सफलता मिली है। पंजाब की वरिष्ठ प्रांतीय मंत्री मरियम औरंगजेब ने दावा किया है कि कृत्रिम बारिश के सफल प्रयोग के बाद लाहौर और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार, इस परीक्षण के से झेलम और गुजर खान में प्रदूषण में कमी आई है।
Amit
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