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– गोपाल शुक्ल:
1000 दिनों से जारी रूस यूक्रेन की जंग ने उस वक्त जबरदस्त मोड़ ले लिया जब उत्तर कोरिया ने रूस के साथ अपनी दोस्ती निभाने का दम भरा और सात समंदर पार बैठे अमेरिका को मिर्ची लग गई। हालांकि जंग के इस ताजा सूरतेहाल ने दुनिया के सामने भी एक अजीबो गरीब हालात पैदा कर दिए हैं। अब इस बात को लेकर बहस छिड़नी शुरू हो गई है कि अमेरिका आखिर चाहता क्या है? बाइडन क्या चाहते हैं? ये दो सवाल इस वक्त पूरी दुनिया के लोगों के जेहन में है, इसकी दो वजह हैं। एक तो रूस यूक्रेन जंग, दूसरा ईरान-इजरायल जंग।
रूस की मदद के लिए तोपें भेजीं उत्तर कोरिया ने
असल में ये बहस इसलिए भी तेज हो गई है, क्योंकि यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के बीच उत्तर कोरिया ने रूस को बड़ी मदद भेजी है। उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन ने रूस को सहयोग देने के लिए और तोपें भेजी हैं। इसके साथ ही रूस में मौजूद हजारों उत्तर कोरियाई सैनिकों में से कुछ ने युद्ध में भाग लेना भी शुरू कर दिया है। दक्षिण कोरिया की जासूसी एजेंसी ने देश के सांसदों को यह जानकारी दी। उत्तर कोरिया के इस कदम से व्लादिमीर पुतिन को बड़ी ताकत मिली है। इस बदलाव के बाद अब हर तरफ इस बात को हवा मिलने लगी है कि उत्तर कोरिया के जंग के मैदान में उतरने के बाद यूक्रेन को अब ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
आग में घी डाला है बाइडेन ने
दक्षिण कोरिया का यह आकलन रूस की ओर से सोमवार को दी गई उस चेतावनी के बाद आया है, जिसमें उसने कहा था कि यूक्रेन को अमेरिका की तरफ से दी गईं लंबी दूरी की मिसाइलों से रूस के अंदर लक्ष्यों पर हमला करने की जो बाइडन की अनुमति युद्ध में ‘आग में घी डालने’ का काम करेगी। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि बाइडेन ने यह फैसला उत्तर कोरिया के लगभग पूरी तरह से युद्ध में भाग लेने के कारण लिया था।
हथियार चलाने के लिए सैनिक भी भेजे
बैठक में भाग लेने वाले सांसद ली सियोंग क्वे उन ने बताया कि संसद में बंद कमरे में हुई बैठक में खुफिया एजेंसी के हवाले से कहा गया कि उत्तर कोरिया ने रूस को 170 मिमी की स्वचालित बंदूकें और 240 मिमी की बहु-रॉकेट प्रक्षेपण प्रणालियां निर्यात की हैं। ली ने संवाददाताओं को बताया कि एनआईएस का अंदाजा है कि रूसी सेना इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल नहीं करती, इसलिए उत्तर कोरिया ने संभवतः इनका इस्तेमाल करने तथा इनके रखरखाव का प्रशिक्षण देने के लिए अपने कर्मियों को भेजा है।
उत्तर कोरिया की कोकसन तोप रूस पहुंची
पिछले सप्ताह ‘रूसी टेलीग्राम’ और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट ने तस्वीरें प्रकाशित कीं, जिनमें उत्तर कोरिया की 170 मिमी स्व-चालित तोप ‘‘कोकसन’’ को रूस के अंदर रेल के जरिये ले जाते दिखाया गया था। ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने यूक्रेनी खुफिया के अनुमान का हवाला देते हुए एक खबर में कहा कि उत्तर कोरिया ने हाल के हफ्तों में रूस को घरेलू स्तर पर निर्मित पचास 170 मिमी स्वचालित हॉवित्जर और बीस 240 मिमी मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम भेजे हैं।
रूस में है उत्तर कोरिया के 10 हजार सैनिक
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का कहना है कि उत्तर कोरिया के कुछ सैनिक पहले ही रूस पहुंच चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस में उत्तर कोरिया की सेना की तैनाती को बेहद खतरनाक बताया है। बाइडेन ने कहा कि उत्तर कोरिया ने रूस में 10 हजार सैनिक भेजे हैं और वह कह रहा है कि उसने ट्रेनिंग के लिए सैनिकों को मॉस्को भेजा है।
दुनिया को पुतिन के अगले कदम का इंतजाम
यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाज़त से रूस भड़का हुआ है। सारी दुनिया पुतिन के अगले कदम का इंतजार कर रही थी. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस इंतजार को खत्म करते हुए बहुत बड़ा ऐलान किया है। रूस के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन को अपडेट करते हुए पुतिन ने तय कर दिया है कि अगर परमाणु हथियारों से लैस एक देश उस पर मिसाइल हमले का समर्थन करता है तो फिर रूस परमाणु हथियारों का उपयोग करने पर विचार कर सकता है।
पुतिन और किम जोंग में हुई डील
अब सवाल उठता है कि उत्तर कोरिया ने अपने सैनिक रूस की मदद के लिए क्यों भेजे। तो इसकी पहली वजह को जान लेते हैं। जून में रूस और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेताओं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन ने रक्षा संधि की थी। मकसद था, देश में आपातकाल की स्थिति में दोनों एक-दूसरे की मदद करेंगे। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया एजेंसी KCNA ने भी इस बात पुष्टि की।
एक दूसरे की मदद का वादा
एजेंसी के मुताबिक उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने सोमवार को समझौते की पुष्टि के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस संधि पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बना दिया है, जिसमें यह प्रावधान है कि अगर देश में युद्ध की स्थिति बनती है तो संधि में शामिल देश मुश्किल में पड़े मुल्क को सभी जरूरी साधन और सैन्य सहायता प्रदान करेंगे। किम ने जून में पुतिन के साथ एक शिखर सम्मेलन में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इसे द्विपक्षीय संबंधों को एक गठबंधन के स्तर तक बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया गया है।
ट्रम्प रुकवाएंगे युद्ध!
20 जनवरी 2025 को अमेरिका में डॉनल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। अपने चुनावी भाषणों में ट्रंप ने बाइडन की नीति का विरोध करते हुए दावा किया था कि वो तीन दिन में रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकवा सकते हैं। तो क्या शपथ ग्रहण के बाद ट्रंप रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकवा पाएंगे?