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लियोनार्डो दा विंची की विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग मोनालिसा को आपने सदियों से कला प्रेमियों के दिलों में बसे देखा होगा लेकिन क्या आपने इसे भारतीय परिधान और ज्वेलरी में देखने की कल्पना की थी? दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा राशि पांडे ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर इस कल्पना को हकीकत में बदल दिया। उन्होंने मोनालिसा का भारतीय वर्जन बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया है जो जमकर वायरल भी हो रहा है। ऐसे में मोनालिसा के बारे में भी लोग खोज रहे हैं। हम आपको वायरल हो रही पेंटिंग और मोनालिसा के बारे में पूरी जानकारी यहां दे रहे हैं।
वायरल मोनालिसा को मांग टीका, गले में हार, कानों में झुमके और सिर पर पल्लू के साथ दिखाया गया है। उनके चेहरे पर हल्का मेकअप और बड़ी मुस्कान इस पेंटिंग को और भी खास बनाते हैं। इस अनोखी क्रिएटिविटी ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है। इसे लेकर सोशल मीडिया में कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही है।
सोशल मीडिया पर मजेदार प्रतिक्रियाएं
राशि पांडे ने इस तस्वीर को X पर शेयर किया है। उन्होंने लिखा ‘मैंने एआई का उपयोग कर मोनालिसा का भारतीय वर्जन बनाया है। आप इसके लिए एक नाम सुझाएं।’ इसके बाद यूजर्स ने अपनी क्रिएटिविटी और ह्यूमर दिखाय। कमेंट कर यूजर्स ने मजेदार नाम सुझाए जिसमें मोनाली शाह, मंजुलिका, मोना पांडे, मैथिली सिसौदिया, मोनिका भाभी जैसे कई नाम शामिल हैं। कुछ यूजर्स ने कहा कि भारतीय वर्जन असली मोनालिसा से भी ज्यादा खूबसूरत है।
वायरल हो रही है पोस्ट
राशि की पोस्ट को अब तक 1.20 लाख से ज्यादा व्यूज और 1,500 से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं। लोग इस पोस्ट पर जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और इसे बार-बार रीपोस्ट कर रहे हैं।
AI और कला का नया प्रयोग
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते इस्तेमाल ने कला और कल्पना की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। लोग अब AI की मदद से अपने विचारों को साकार कर रहे हैं। राशि पांडे का यह प्रयोग न केवल उनकी क्रिएटिविटी को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे पारंपरिक और आधुनिक तकनीक मिलकर नया इतिहास रच सकती हैं।
असली मोनालिसा को जानिए?
मोनालिसा का वास्तविक नाम लीजा डेल गियोकोंडो बताया जाता है। इसे लियोनार्डो दा विंची ने बताया था। इसके बारे में दो मत प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ये गियोकोंडो की पत्नी थी। वहीं कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि मोना लिसा के रूप में विंची ने अपनी मां दर्शाया है। इस पेंटिंग को विंची ने 1503 में बनाना शुरू किया था और 14 साल में इसे पूरा किया था। कहा जाता है कि इस पेंटिंग के केवल होठों को बनाने में ही 12 साल का समय लग गया था।
इस पेंटिंग की सबसे खास बात मोनालिसा की मुस्कान है। उसकी मुस्कान सदियों से कला प्रेमियों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करती है। यह मुस्कान एक ऐसा प्रभाव छोड़ती है जो हर कोण से अलग दिखाई देती है। 20वीं सदी में मोनालिसा की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। यह पेंटिंग न केवल अन्य कलाकृतियों और विज्ञापनों में दोहराई गई, बल्कि हर दिन करीब 6 मिलियन लोग इसे देखने आते हैं। इसकी मौजूदा कीमत करीब 900 मिलियन डॉलर आंकी गई है।
चोरी की कहानी और रहस्य
1911 में यह पेंटिंग पेरिस के लूव्र म्यूजियम से चोरी हो गई थी। बाद में पता चला कि इसे संग्रहालय के ही एक कर्मचारी विनसेंजा पेरुगिया ने चुराया था। इस घटना ने मोनालिसा को और भी प्रसिद्ध बना दिया। 16वीं सदी में यह पेंटिंग फ्रांस के राजा फ्रांसिस प्रथम ने अधिग्रहित की थी। फ्रांसीसी क्रांति के बाद यह फ्रांसीसी गणराज्य की संपत्ति बन गई। 1797 से यह पेंटिंग पेरिस के लूव्र म्यूजियम में स्थायी रूप से प्रदर्शित है।