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– साहिल सिंह:
इन मसलों पर हुई बातचीत
- कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करना
- सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करना
- भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें शुरू करना
भारत चीन के रिश्ते में सालों से दरार देखने को मिली है। जिसके चलते आजतक भारत चीन एक नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन हाल ही में हुई घटना का उल्लेख किया जाए तो भारत-चीन के रिश्ते में कड़वाहट कम हुई है। ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के इतर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुलाकात की। पूरी दुनिया की नजरें इस मुलाकात पर थीं। इस मुलाकात में दोनों मंत्रियों ने भारत चीन के रिश्ते में स्थिरता की बात दोहराई, कई महत्वपूर्ण निर्णय भी किए।
ब्राजील में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के विश्व मंच पर केंद्र में भारत ही देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 नवंबर को ब्राजील में दो दिवसीय जी-20 सम्मेलन के लिए रियो डि जेनेरियो पहुंचे थे। समिट दो दिन 18 और 19 नवंबर तक थी। पिछली बार G20 समिट का आयोजन भारत में हुआ था। समिट के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी रियो पहुंचे थे।
विदेश मंत्रियों की मुलाकात
ब्राजील में जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुलाकात की। इस मुलाकात को महत्वपूर्ण बताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने महसूस किया कि संबंधों को स्थिर करने, मतभेदों को दूर करने और आगे व्यापक कदम उठाने पर ध्यान देना जरूरी है। दोनों देशों ने सीधी उड़ान और कैलाश मानसरोवर यात्रा भी जल्द ही शुरू करने के लिए सहमति बनाने की ओर भी कदम बढ़ाए हैं। दोनों पक्षों ने यह भी माना है कि एलएसी से सैनिकों की वापसी ने शांति बनाए रखने के लिए बड़ा योगदान दिया है।
चीन सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार
हाल ही में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से रूस के कजान शहर में मुलाकात हुई थी। इसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, ‘दोनों नेताओं के बीच रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। इस तरह की मुलाकातें भविष्य में भी होंगी। चीन भारत के साथ मिलकर कार्य करने के लिए तैयार है। इसके लिए दोनों नेताओं के बीच वार्ता से राह बनेगी। दोनों देश संवाद और सहयोग बढ़ाएंगे, इसके बाद आपसी विश्वास से रणनीतिक सहयोग होग।’
एलएसी के समझौते से शुरू हुई बात
साल 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में 20 भारतीय सैनिकों के साथ कई चीनी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। एलएसी में गतिरोध वाले दो जगह देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी हो गई है। 4 साल तक भारत चीन में पूर्वी लद्दाख को लेकर विवाद था, जो दो साल की लंबी बातचीत के बाद स्थिर हुआ है। 21 अक्टूबर 2024 समझौते के बाद दोनों सेनाएं विवादित पॉइंट्स देपसांग और डेमचोक से पीछे हट चुकी है।
LAC के समझौते पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि सैनिकों की वापसी पहला कदम है। अगला कदम तनाव कम करना है। ये तनाव तभी कम होगा, जब भारत को यकीन हो जाए कि चीन भी ऐसा ही चाह रहा है। तनाव कम करने के बाद, बॉर्डर को कैसे मैनेज किया जाए, इस पर चर्चा की जाएगी।