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रूस-यूक्रेन जंग के 1000 दिन पूरे, पुतिन छेड़ेंगे परमाणु युद्ध या आग पर पानी डालेंगे ट्रंप!

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– गोपाल शुक्ल:

रूस-यूक्रेन युद्ध के 1,000 दिन पूरे हो गए हैं। 24 फरवरी 2022 को शुरु हुई इस जंग ने दुनियाभर की शक्ल और सूरत बदल डाली है। जिओ पॉलिटिक्स के हालात बदल गए, उनके मकसद बदल गए। ऊर्जा आपूर्ति को लेकर सारा कारोबार बदल गया यहां तक कि खाद्य सुरक्षा को लेकर भी कई और गहरे सवाल खड़े हो गए।

24 फरवरी 2022 को जब रूस ने यूक्रेन पर पहला हमला किया था तो शायद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ये गुमान था कि यूक्रेन ज्यादा दिनों तक इस जंग में रूस के सामने टिक नहीं पाएगा। रक्षा विशेषज्ञ भी मानकर चल रहे थे कि छोटा सा देश यूक्रेन इस युद्ध में महीने-दो महीने से ज्यादा टिक नहीं पाएगा। लेकिन करीब तीन साल से यूक्रेन की सेना रूस के हर हमले का करारा जवाब दे रही है। इतना ही नहीं,यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क पर कब्जा भी कर लिया है।

इस दौरान यूरोपीय संघ और अमेरिकी समर्थित देशों के बीच रूस और उसके खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर लंबी माथापच्ची तक हुई, लेकिन जंग जारी रही। अमेरिका ने रूस को भड़काने और उसकी हिम्मत तोड़ने के लिए हर चाल चली, लेकिन युद्ध नहीं थमा। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी सत्ता के जाते जाते एक ऐसा फैसला ले लिया जिसने रूस को बुरी तरह से भड़काकर इस जंग को परमाणु जंग के खतरे के और नजदीक पहुँचा दिया है।

रूस के सरकारी अख़बार रोज़ियस्काया गेज़ेटा की वेबसाइट पर सोमवार की सुबह इस मामले को लेकर एक टिप्पणी भी की गई। इसमें लिखा गया- ‘जाते-जाते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक ऐसा निर्णय ले लिया है, जो उनके शासनकाल में लिए गए निर्णयों में न सिर्फ़ सबसे ज़्यादा उकसाने वाला है, बल्कि बिना किसी विचार-विमर्श के लिया गया है, जिसके नतीजे बहुत ज़्यादा घातक हो सकते हैं।’

पूरे घटनाक्रम को क्रॉनोलॉजी में समझिये..

फरवरी 2022: रूस ने यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू किए। मकसद था कीव और दूसरे खास ठिकानों पर कब्जा करना। हालांकि यूक्रेन की सेना के जवाबी हमलों ने रूसी सेनाओं को कदम पीछे हटाने को मजबूर कर दिया।

2022 के मध्य: रूस ने डोनबास और दक्षिणी यूक्रेन में अपना कब्जा मजबूत किया। अमेरिका और नाटो से यूक्रेन को HIMARS जैसे आधुनिक हथियार मिलने से रूस की हमले की रफ्तार कुछ धीमी पड़ गई। यूक्रेन ने सितंबर 2022 में खारकीव इलाके में जोरदार जवाबी हमला करके रूसी सेना को पीछे धकेल दिया।

2023: यह साल खेरसॉन और बाकमुत जैसे स्थानों पर भयंकर लड़ाई के लिए जाना गया। रूस ने बेहिसाब मिसाइल और ड्रोन से हमले किए। हालांकि यूक्रेन ने कुछ सीमित इलाकों में कामयाबी भी हासिल की।

जून 2023: वैगनर समूह के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन की अगुवाई में बगावत ने रूस को झकझोरकर रख दिया। हालांकि, ये बगावत नाकाम रही और बाद में प्रिगोझिन की हत्या हो गई।

2024 तक का समय: यूक्रेन ने पश्चिमी सहयोगियों की मदद से अपने रक्षा तंत्र को मजबूत किया, लेकिन रूसी रक्षात्मक पंक्तियों को भेदने में संघर्ष किया। इसके साथ ही, रूस ने यूक्रेनी ऊर्जा और नागरिक बुनियादी ढांचे पर लगातार हमले जारी रखे।

मौजूदा हालात में यह संघर्ष और भी तीखा हो गया है। हाल के दिनों में रूस ने यूक्रेन के कई इलाकों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों को तेज किया है, जिसमें नागरिक बुनियादी ढांचे और ऊर्जा सुविधाओं को निशाना बनाया गया। इस वजह से कई शहरों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे सर्दी के मौसम में नागरिकों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

मौजूदा हालात और संभावनाएं-

युद्धक्षेत्र में गतिरोध: दोनों देश पूरे 1000 दिनों से एक मजबूत रक्षा पंक्ति से जूझ रहे हैं। मिसाइल युद्ध अब “आर्टिलरी युद्ध” में बदल गया है, जहां छोटे ड्रोन और पश्चिमी तकनीक का महत्वपूर्ण दखल बन गया है।

कूटनीति और राजनीति: पश्चिमी देश यूक्रेन को सैन्य सहायता के साथ साथ मानवीयत के नाम पर रूस के खिलाफ अपनी स्थिति बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके ठीक उलट पूरे इलाके में रूस अपने प्रभाव को बनाए रखने की जद्दोजहद में लगा हुआ है।

भविष्य के आसार: मौजूदा सूरते हाल में जो हालात बन रहे हैं उसके मद्देनजर कोई भी इस जंग के थमने के आसार नहीं देख रहा है। ये जंग और लंबी चल सकती है। हालांकि बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर करता है कि पश्चिमी देशों की मदद कितनी असरदार रहती है और रूस कितनी ताकत से अपनी स्थिति मजबूत कर पाता है।

पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन को मिल रही मदद ने असल में व्लादिमीर पुतिन सरकार की नींद उड़ा रखी है। हालांकि, रूस को उम्मीद है कि ट्रंप शासन में अमेरिका से यूक्रेन को मिल रही मदद पर विराम लग सकता है। ये बात यहां गौरतलब है कि चुनावी कैंपेन के दौरान डॉनल्ड ट्रंप कई बार यह बात बोल चुके हैं कि वह चाहें तो एक दिन में ही रूस-यूक्रेन का युद्ध रुकवा सकते हैं।

ट्रम्प रुकवाएंगे युद्ध!

ट्रंप ने कहा था कि उनकी सरकार की प्राथमिकता रूस यूक्रेन युद्ध रुकवाने की होगी, क्योंकि बेशक ये जंग दूर दो देशों के बीच चल रही लेकिन असल में इस जंग में अमेरिकी संसाधनों को बहाया जा रहा है। अमेरिकी संसाधनों से ट्रंप का मतलब यूक्रेन को दी जा रही सैनिक सहायता से है।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन यूक्रेन की मदद के लिए वचनबद्ध हैं, इसलिए वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यूक्रेन अगले साल रूस के आक्रमण से लड़ सके। इसी वजह से वो मदद भेज रहे हैं ताकि यूक्रेन रूसी सेनाओं को अपनी हदों से दूर रखने में सक्षम हो सके।

सर्दियों में यूक्रेन वासियों का जीना मुहाल

सर्दियों के समय जंग लड़ना यूक्रेन के लिए बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। रविवार को रूस में यूक्रेन के पावर ग्रिड पर हमला किया था। रूस का मकसद साफ है कि जैसे भी हो यूक्रेन को घुटने पर लाना। इसके लिए रूस ने यूक्रेन के ऊर्जा ग्रिड को निशाना बनाना शुरू किया है। कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि रूस ने यूक्रेन की बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर का आधा हिस्सा नष्ट कर दिया है। यूक्रेन में कड़ाके की सर्दी के आसार हो रहे हैं। और यूक्रेन पहले से ही ऊर्जा की बड़ी कमी से जूझ रहा है। इस समय सैकड़ों यूक्रेन वासियों ने मेट्रो स्टेशनों में बने बंकरों में शरण ले ली।इस जंग ने भारी तबाही दिखाई है। लाखों लोगों का अपने घरों से दूर शरणार्थी कैंप में रहने को मजबूर कर दिया। यूक्रेन की बड़ी आबादी दाने दाने को मोहताज हो रही है। अब तक लगभग 11,700 नागरिक मारे जा चुके हैं और 27,000 से ज्यादा घायल हुए हैं। आशंका यही बनी हुई है कि रूस की आक्रामक रणनीति लंबे समय तक जारी रह सकती है।

इस जंग के संभावित भविष्य को लेकर चार मुख्य परिदृश्य सामने रखे जा रहे हैं:

लंबा युद्ध – जहां संघर्ष कई वर्षों तक खिंच सकता है।
जमे हुए संघर्ष – एक अस्थायी युद्धविराम के साथ सीमाएं तय की जा सकती हैं।
यूक्रेन की जीत – यदि यूक्रेन अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत से रूस को पीछे धकेलने में कामयाब होता है।
रूस की जीत – जिसमें रूस यूक्रेन के बड़े हिस्सों पर स्थायी नियंत्रण स्थापित कर सकता है

फिलहाल, दोनों पक्षों के बीच कोई कूटनीतिक समाधान नहीं दिख रहा, और जंग का तीखापन कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, युद्ध को समाप्त करने के लिए नई कोशिशों की संभावना बेशक बनी हुई है लेकिन जंग को भड़काने वाली हरकतों में भी कोई कमी आती दिखाई नहीं दे रही। ऐसे में इलाके में स्थायी शांति स्थापित करना कठिन चुनौती बनी हुई है।

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  • गोपाल शुक्ल - दायित्व मीडिया

    जुर्म, गुनाह, वारदात और हादसों की ख़बरों को फुरसत से चीड़-फाड़ करना मेरी अब आदत का हिस्सा है। खबर का पोस्टमॉर्टम करने का शौक भी है और रिसर्च करना मेरी फितरत। खबरों की दुनिया में उठना बैठना तो पिछले 34 सालों से चल रहा है। अखबार की पत्रकारिता करता था तो दैनिक जागरण और अमर उजाला से जुड़ा। जब टीवी की पत्रकारिता में आया तो आजतक यानी सबसे तेज चैनल से अपनी इस नई पारी को शुरु किया। फिर टीवी चैनलों में घूमने का एक छोटा सा सिलसिला बना। आजतक के बाद ज़ी न्यूज, उसके बाद फिर आजतक, वहां से नेटवर्क 18 और फिर वहां से लौटकर आजतक लौटा। कानपुर की पैदाइश और लखनऊ की परवरिश की वजह से फितरतन थोड़ा बेबाक और बेलौस भी हूं। खेल से पत्रकारिता का सिलसिला शुरू हुआ था लेकिन अब तमाम विषयों को छूना और फिर उस पर खबर लिखना शौक बन चुका है। मौजूदा वक्त में DAYITVA के सफर पर हूं बतौर Editor एक जिम्मेदारी का अहसास है।

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