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– श्यामदत्त चतुर्वेदी
अदाणी ग्रुप के सर्वेसर्वा और दुनिया के जाने माने उद्योगपति गौतम अदाणी का विवादों के साथ पुराना नाता है। कुछ समय पहले उनपर हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई आरोप लगाए और इस संबंध में रिपोर्ट भी प्रकाशित की। इसके बाद ग्रुप की कई कंपनी के शेयर धड़ाम से नीचे गिर गए। अब गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और अन्य 6 लोगों के खिलाफ अमेरिका में मामला दर्ज हुआ है। इसके बाद से ही व्यापार जगत में भूचाल आया हुआ है। अदाणी ग्रुप की कई कंपनियों के शेयर तेजी से नीचे गिरे हैं। सबसे बड़ी बात कि जिन आरोपी के आधार पर मामला दर्ज हुआ है वो आरोप भी भारत से संबंधित है। आइये ऐसे में जानते हैं आखिर मामला क्या है और अमेरिका में किस आधार पर केस दर्ज किया गया है?
गौतम अदाणी और उनकी कंपनियों पर न्यूयॉर्क में धोखाधड़ी और रिश्वत देने के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि उन्होंने सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत दी। इस मामले को लेकर न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में 24 अक्टूबर 2024 को गौतम अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और अन्य 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
मामला भारत का तो अमेरिका में केस क्यों?
यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस का दावा है कि रिश्वत के लिए 265 मिलियन डॉलर (करीब 2200 करोड़ रुपये) की योजना बनाई गई थी। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसमें अमेरिकी निवेशकों का पैसा भी शामिल है। अदाणी ग्रुप पर यह मामला इसलिए दर्ज हुआ क्योंकि इस प्रोजेक्ट (सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स) में अमेरिकी निवेशकों का पैसा लगा है। अमेरिकी कानून के अनुसार, यदि उनके निवेश का पैसा रिश्वत में इस्तेमाल होता है तो यह अपराध है।
मामला तब शुरू हुआ जब भारतीय ऊर्जा कंपनी और एक अमेरिकी कंपनी ने भारतीय सरकारी संगठन सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के माध्यम से 8 गीगावाट और 4 गीगावाट सौर ऊर्जा आपूर्ति के अनुबंध जीते। लेकिन SECI ने खरीदार नहीं मिलने के कारण इन अनुबंधों को लागू नहीं किया। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी गई।
अदाणी ग्रुप का खंडन
अदाणी ग्रुप ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है। ग्रुप ने कहा ‘हम इन सभी आरोपों का खंडन करते हैं। अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के डायरेक्टर्स पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और हमारे व्यवसाय की छवि को खराब करने की साजिश का हिस्सा हैं।’ आरोपों के बाद फिलहाल अदाणी ग्रुप ने अपनी 20 वर्षीय ग्रीन बॉन्ड पेशकश को भी रोक दिया, जो करीब 600 मिलियन डॉलर (5064 करोड़ रुपये) जुटाने के लिए प्रस्तावित थी।
व्यापार जगत के लिए बड़ी चुनौती
यह मामला न केवल अदाणी ग्रुप के लिए, बल्कि भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए भी बड़ी चुनौती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक छवि महत्वपूर्ण है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदाणी ग्रुप इन आरोपों से कैसे निपटता है। ये बात बड़ी इसलिए भी हो जाती है कि अदाणी ग्रुप पर पहले भी कुछ आरोप लग चुके हैं जिस कारण वो विवादों में रहे हैं।
अदाणी ग्रुप से जुड़ा पहला विवाद
जनवरी 2023 में गौतम अडानी के नेतृत्व वाली अदाणी एंटरप्राइजेज ने 20,000 करोड़ रुपये का फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (FPO) लाने की घोषणा की। इस ऑफर को 27 जनवरी 2023 को शुरू होना था, लेकिन 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग, शेयर मैनिपुलेशन और अन्य वित्तीय अनियमितताओं जैसे गंभीर आरोप लगाए गए।
रिपोर्ट के प्रभाव से 25 जनवरी तक अदाणी ग्रुप की कंपनियों की मार्केट वैल्यू करीब 12 बिलियन डॉलर (लगभग 1 लाख करोड़ रुपये) तक घट गई। इस विवाद के चलते अडाणी ग्रुप को 20,000 करोड़ रुपये का FPO रद्द करना पड़ा। मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने छह सदस्यीय समिति का गठन किया और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भी जांच शुरू की। हालांकि बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई।
अदाणी ग्रुप से जुड़ा दूसरा विवाद
फाइनेंशियल टाइम्स ने ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि जनवरी 2014 में अदाणी ग्रुप ने इंडोनेशिया की एक कंपनी से 28 डॉलर (लगभग 2360 रुपए) प्रति टन की कीमत पर निम्न-गुणवत्ता वाला कोयला खरीदा था। रिपोर्ट के अनुसार, यह कोयला तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) को उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के रूप में 91.91 डॉलर (लगभग 7750 रुपए) प्रति टन की औसत कीमत पर बेचा गया। रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि यह लेनदेन गलत तरीके से किया गया।