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देश में बदलने लगा अदाणी ग्रुप के लिए मौसम, अब सेबी ने भी मांग लिया जवाब, शुरू हो सकती है जांच

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– गोपाल शुक्ल:

अमेरिकी न्याय विभाग के वारंट और अदाणी ग्रुप के खिलाफ जांच की बात के बाद अब देश में भी मौसम बदलता दिखाई पड़ने लगा है। अमेरिका में गौतम अडानी और अडानी समूह से जुड़े 7 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल होने के बाद अब बाजार नियामक सेबी ने भी जवाब मांग लिया है। सेबी ये जान लेना चाहता है कि अदाणी ग्रुप ने सारे काम नियमों के तहत ही किए हैं कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं की। सेबी अब यह भी जानना चाहता है कि क्या अदाणी ग्रुप ने खुलासा मानदंडों यानी Disclosure Norms के नियमों को ताक पर रखकर तो कोई काम नहीं किया।

निवेशकों को गुमराह करने की जांच

मौजूदा सूरते हाल यही है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI अब अदाणी ग्रुप पर गलत जानकारी देने और निवेशकों को गुमराह करने के लिए जांच कर सकती है। रिश्वत देने के आरोप में अमेरिकी कोर्ट में केस दर्ज होने के बाद भारत में अदाणी समूह की मुश्किलें बढ़ती नज़र आने लगी हैं।

अदाणी ग्रुप की कंपनियों से मांगा जवाब

सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों को अदाणी ग्रुप के खिलाफ जांच के संबंध में अदाणी समूह की कंपनियों से जानकारी मांगने का आदेश दिया है। सेबी के इस आदेश के बाद अदाणी ग्रुप की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। सेबी अब इस बात की जांच कर रहा है कि क्या समूह ने बाजार को प्रभावित करने वाली जानकारी का खुलासा करने के नियमों का उल्लंघन किया है?

अनिवार्य नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया

मार्केट रेगुलेटर सेबी इस बात की जांच करेगी कि अदाणी ग्रुप ने बाजार में होने वाली एक्टिविटीज की जानकारी के डिस्क्लोजर के लिए अनिवार्य नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं। इस बीच, सेबी ने अदाणी ग्रुप से स्पष्टीकरण भी मांगा है। सेबी ने केन्या में एयरपोर्ट विस्तार की डील रद्द किए जाने और अमेरिका में केस को लेकर भी ग्रुप से जवाब मांगा है। हालांकि, समूह ने अभी तक सेबी के नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है।

दो हफ्ते में होगी जांच

सूत्रों के मुताबिक, सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों से भी जानकारी मांगी है। इसमें पूछा गया है कि क्या अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड घूसखोरी के आरोपों में अमेरिकी न्याय विभाग की जांच का पर्याप्त जवाब देने में नाकाम रही। तथ्यों की जांच दो हफ्ते तक चल सकती है। इसके बाद सेबी यह तय करेगा कि औपचारिक जांच शुरू करे या नहीं।

हिंडनबर्ग मामले की जांच का कोई खुलासा नहीं

बताते चलें कि सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों में भी अदाणी ग्रुप की जांच कर चुका है। हालांकि, उसने अभी तक इसके नतीजों का कोई स्पष्ट खुलासा नहीं किया है।

भारत अमेरिका के संबंध पहले की तरह बरकरार

इस बीच, अमेरिका में वाइट हाउस की प्रवक्ता कराइन जीन-पियरे ने कहा है कि अदाणी के खिलाफ आरोप से वाकिफ हैं। जहां तक बात भारत और अमेरिका के संबंधों की है, तो दोनों देशों के संबंध पहले की ही तरह मजबूत हैं।

हो सकती है फंडिंग की कमी

अमेरिका में केस शुरू से अदाणी समूह को फंडिंग की कमी का सामना करना पड़ सकता है। क्रेडिट एनालिस्ट्स का कहना है कि कुछ बैंक अडाणी ग्रुप को नए कर्ज देने पर अस्थायी रोक लगाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि समूह के मौजूदा कर्ज बरकरार रखेंगे। रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स ने निकट अवधि की चिंता जताई है।

मिल सकते हैं कम खरीदार

उसने कहा कि अदाणी ग्रुप के ग्रीन एनर्जी कारोबार के लिए रीफाइनेंसिंग सबसे बड़ी चिंता है। वहीं रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने चेताया है कि अदाणी ग्रुप को इक्विटी और ऋण बाजारों तक नियमित पहुंच की जरूरत होगी। लेकिन इसे कम खरीदार मिल सकते हैं। घरेलू, अंतरराष्ट्रीय बैंक और बॉन्ड निवेशक अपना निवेश सीमित कर सकते हैं।

भारतीय शेयर बाजार पर पड़ेगा असर

अमेरिका के साथ साथ देश में सेबी की जांच के बाद इसका असल अकेले अदाणी ग्रुप के शेयरों पर ही नहीं पड़ेगा। भारत में अंतरराष्ट्रीय निवेश पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। इसकी आशंका उस वक्त हुई जब शुक्रवार को अदाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन के 2029 वाले बॉन्ड की कीमत 2.5 डॉलर घटकर 87.8 डॉलर पर आ गई। दो दिनों में यह 5 डॉलर से अधिक गिरा है। वहीं, लंबे समय के मैच्योरिटी वाले बॉन्ड्स दो दिनों में 5 डॉलर गिरकर 80 सेंट से नीचे आ गए। ऐसे में साफ कहा जा सकता है कि ये मामला अकेले अदाणी तक ही सीमित नहीं रह सकता।

अंतरराष्ट्रीय निवेश में कमी की आशंका

शेयर बाजार के जानकार निमिष माहेश्वरी के मुताबिक, इस विवाद की वजह से भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निवेश कम हो सकता है। निवेशक ज्यादा पारदर्शिता और जांच की मांग कर सकते हैं, जिससे प्रोजेक्ट की फंडिंग पर भी बुरा असर पड़ सकता है और इसकी फाइनेंसिंग धीमी हो सकती है।

बीजू जनता दल की सफाई

इसी बीच जांच में ओडिशा सरकार का नाम आने के बाद उस वक्त की तत्कालीन बीजू जनता दल सरकार भी सवालों में घिर गई है। बीजद की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि समझौता केंद्र सरकार से हुआ था। अदाणी से नहीं। बीजू जता दल (बीजद) ने अदाणी समूह से ओडिशा में बिजली खरीद समझौते संबंधी रिपोर्ट का खंडन किया है। पार्टी ने कहा 2021 में समझौता दो सरकारी एजेंसियों के बीच था, न कि अदाणी समूह से। यह केंद्र की योजना का हिस्सा है, जो ‘मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड सोलर स्कीम’ है। यह 500 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिए था।

नियमों को लेकर अमेरिका सख्त

नियमों के उल्लंघन को लेकर अमेरिका सख्त दूसरी तरफ, अमेरिका सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज के प्रवर्तन विभाग के एक्टिंग डायरेक्टर संजय वाधवा ने कहा कि अमेरिका के प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन होगा तो हम सख्ती से कार्रवाई करना और उन्हें जवाबदेह ठहराना जारी रखेंगे।

आरोपों के खिलाफ अपील का विकल्प

कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका के न्याय विभाग की तरफ से लगाए गए आरोपों के खिलाफ अपील की जा सकती है। समझौते जैसा कानूनी उपाय तलाशा जा सकता है। हालांकि, इसमें खासा खर्च होगा, लेकिन इससे कानूनी लड़ाई से राहत मिल सकती है। कोछर एंड कंपनी के शिव सप्रा के मुताबिक, समझौते में भुगतान जुर्माने के रूप में भी हो सकता है। हालांकि इसका अर्थ यह एक तरह से गलत काम की स्वीकृति भी होगी ।

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  • गोपाल शुक्ल - दायित्व मीडिया

    जुर्म, गुनाह, वारदात और हादसों की ख़बरों को फुरसत से चीड़-फाड़ करना मेरी अब आदत का हिस्सा है। खबर का पोस्टमॉर्टम करने का शौक भी है और रिसर्च करना मेरी फितरत। खबरों की दुनिया में उठना बैठना तो पिछले 34 सालों से चल रहा है। अखबार की पत्रकारिता करता था तो दैनिक जागरण और अमर उजाला से जुड़ा। जब टीवी की पत्रकारिता में आया तो आजतक यानी सबसे तेज चैनल से अपनी इस नई पारी को शुरु किया। फिर टीवी चैनलों में घूमने का एक छोटा सा सिलसिला बना। आजतक के बाद ज़ी न्यूज, उसके बाद फिर आजतक, वहां से नेटवर्क 18 और फिर वहां से लौटकर आजतक लौटा। कानपुर की पैदाइश और लखनऊ की परवरिश की वजह से फितरतन थोड़ा बेबाक और बेलौस भी हूं। खेल से पत्रकारिता का सिलसिला शुरू हुआ था लेकिन अब तमाम विषयों को छूना और फिर उस पर खबर लिखना शौक बन चुका है। मौजूदा वक्त में DAYITVA के सफर पर हूं बतौर Editor एक जिम्मेदारी का अहसास है।

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