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– गोपाल शुक्ल:
देश में जब जब चुनाव होते हैं, तो एक जुमला अक्सर सुनने को मिल जाता है, एक राष्ट्र और एक चुनाव। पूरा देश और देश की सियासत में दिलचस्पी रखने वालों के लिए ये एक बहस का मुद्दा बना हुआ है। जब भी चुनावों का मौसम आता है, इस जुमले को लेकर पान की दुकान से लेकर पांच सितारा होटलों की लॉबी तक में ये चर्चा होती रहती है। लेकिन क्या किसी ने एक राष्ट्र, एक छात्र आईडी के बारे में सुना है? क्या कभी APAAR ID के बारे में किसी को कुछ पता है? तो चलिए आज हम भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना और पूरे देश के छात्रों को एक तार से जोड़ने वाले इस अनोखे प्रोजेक्ट के बारे में समझते हैं। आखिर ये APAAR ID प्रोजेक्ट है क्या?
ये है APAAR का असली मतलब
सीधी सादी जुबान में कहें तो साल 2023 में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी NEP 2020 के तहत इस APAAR ID की शुरूआत की थी। इस APAAR का पूरा नाम है Automated Permanent Academic Account Registry। जिसका अगर हिन्दी में अनुवाद करें तो बनता है-स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री । जिसे बोलने में थोड़ा मुश्किल हो सकता है इसलिए हम आम बोलचाल में इसे अपार आईडी के तौर पर ही पुकारते हैं।
APAAR एक डिजिटल आईडी यानी छात्रों का ‘डिजिटल बायो डाटा’
असल में अपार यानी APAAR एक डिजिटल आईडी है, जिसे खासतौर पर भारतीय छात्रों के लिए ही डिज़ाइन किया गया है। इसका मकसद छात्रों की पूरी शिक्षा यानी उनकी पढ़ाई लिखाई की पूरी यात्रा को एक डिजिटल दस्तावेज के तौर पर एक केंद्रीय सिस्टम में दर्ज करना है। ताकि किसी भी छात्र के शिक्षा से जुड़े तमाम दस्तावेज़ और उसके रिकॉर्ड आसानी से ट्रैक किए जा सकें। इसके तहत छात्रों को एक यूनिक आईडी मुहैया करवाई जाती है, जो उनके सभी शैक्षिक कामों को एक ही जगह पर रिकॉर्ड करेगी। अगर इसे और सरल भाषा में समझें तो यह एक तरह से पूरी शिक्षा का ‘डिजिटल बायो डाटा’ है।

APAAR ID का क्या है मकसद?
किसी भी चीज को बनाया जाता है तो उसके कोई न कोई मकसद भी होता है। ऐसे ही APAAR ID बनाने के पीछे भी सरकार की एक बड़ी मंशा थी। मुख्य उद्देश्य ये है कि देश के हरेक छात्र की शिक्षा को एक संगठित, बिना किसी भेदभाव और पारदर्शी तरीके से रिकॉर्ड किया जाए। यानी छात्र को अपने जीवन में कई मौकों पर अपनी शिक्षा के रिकॉर्ड का प्रदर्शन करना होता है, तब वो छात्र अपनी शिक्षा के रिकॉर्ड को अपनी जरूरत के मुताबिक देख सके और दिखा सके। अभी तक तो यही देखा जाता है कि हम सब अपनी मार्कशीट और सर्टिफिकेट किसी न किसी फाइल में रखते हैं।
कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि वो फाइल किन्हीं कारणों से खराब भी हो जाती है या किसी हादसे का शिकार हो जाती है। ऐसे में छात्र को अपने दस्तवेज या सर्टिफिकेट दोबारा हासिल करने में कई तरह से झंझटों का सामना खर्च होता है। इसमें पैसा भी खर्च होता है और वक्त भी जाया होता है। इसी दुश्वारी और मुश्किलों को दूर करने के मकसद से इस APAAR की बुनियाद पड़ी। ताकि छात्र अपने बायोडाटा को कहीं से भी आसानी से हासिल कर सके। सीधी जुबान में कहें तो इस अपार प्रोजेक्ट का सीधा सा उद्देश्य शिक्षा को ज्यादा व्यवस्थित और तकनीकी नजरिये से ताकतवर और मजबूत बनाना।
आखिर क्यों जरूरी है यह आईडी?
सरकार कोई भी योजना बनाती है तो उसका सीधा सा मतलब होता है देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसका फायदा हो। आज के इस डिजिटल युग में हर कोई कम से कम कागज खर्च करके कम बोझ के साथ एक जगह से दूसरी जगह जाना चाहता है। लिहाजा ये अपार आईडी शायद सभी छात्रों के लिए बेहद जरूरी हो जाती है। सवाल यही है कि आखिर क्यों? तो उसे भी समझ लीजिए….
- स्टूडेंट्स के लिए आसानी: यह आईडी छात्रों को अपनी शैक्षिक उपलब्धियों को ट्रैक करने में मदद करेगी।
- पारदर्शिता: यह पूरी शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने का काम करेगी।
- रजिस्ट्रेशन और ट्रांसफर: छात्रों को एक जगह से दूसरी जगह जाने या अपनी पढ़ाई के लिए नया कोर्स चुनने में आसानी होगी।
ऐसे में अब ये सवाल कोई भी उठा सकता है कि APAAR से आम छात्रों और लोगों को क्या फायदा होने वाला है? तो इसे भी सिर्फ तीन बिंदुओं में समझा जा सकता है
1)- कागजों का कम होना: अब छात्रों को बार-बार अपने प्रमाणपत्र दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी।
2)- सरकारी योजनाओं का लाभ: छात्र आसानी से सरकारी स्कॉलरशिप और योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
3)- डाटा आधारित नीतियां: शिक्षा नीति को छात्रों के डाटा के आधार पर बेहतर बनाया जा सकेगा।
इस अपार यानी APAAR की इतनी खूबियों को समझने के बाद एक सवाल और भी हमारे जेहन में कौंध सकता है कि इतना शानदार प्रोजेक्ट आखिर कब सामने आया और ये किसके दिमाग की उपज है।
छात्रों के लिए बड़े फायदे की चीज है
इसका कोई सीधा सादा जवाब तो नहीं है, लेकिन असल में यह विचार भारत सरकार के कुछ नुमाइंदों के सुझाव और शिक्षा से जुड़े लोगों के निजी तजुर्बों के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लाया गया था। गरज सिर्फ इतनी थी कि शिक्षा में सुधार करना है और शिक्षा को डिजिटली मजबूत करना है। तभी इस APAAR ID का ख्याल सामने आ गया और इसका वजूद सामने आ गया। इस कार्यक्रम को असल में छात्रों के लिए होने वाले कई कार्यक्रमों जैसे स्कॉलरशिप और ऑनलाइन कोर्स में ये बेहद फायदेमंद है। यानी यह आईडी छात्रों को कई तरह के सरकारी लाभ से खुद ब खुद जोड़ देती है।

कर्नाटक और महाराष्ट्र में शुरु हुआ पायलट प्रोजेक्ट
APAAR ID को इसी साल यानी 2024 में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महाराष्ट्र और कर्नाटक में लागू किया गया था। सरकार की योजना है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाए, लेकिन चरणबद्ध तरीके से। पायलट प्रोजेक्ट के जो नतीजे अब तक सरकार के पास पहुँचे हैं उनकी समीक्षा की जा रही है। मुमकिन है कि समीक्षा के बाद जो नतीजे सामने होंगे उसके आधार पर ही इस पायलट प्रोजेक्ट को एक सफल प्रोजेक्ट के तौर पर पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगली साल यानी साल 2025 में इस प्रोजेक्ट को देश के कई राज्यों में लागू किया जा सकता है।
डिजिटल इंडिया और राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तहत फंड
हालांकि, भारत सरकार का ये एक ड्रीम प्रोजेक्ट ही है लेकिन इस साल के बजट में इसके लिए राशि की घोषणा तो नहीं की गई थी। केंद्रीय बजट में इस बात का भरोसा जरूर दिया गया है कि इसे डिजिटल इंडिया प्रोग्राम और राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तहत फंड किया जा रहा है। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए काफी बड़ा बजट रखा गया है। आखिर पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था को डिजिटल रूप से सुधारने का लक्ष्य जो सामने है।
सभी के लिए जरूरी क्यों है APAAR
अब आपको जेहन में ये सवाल कौंध रहा होगा कि क्या आप सभी के लिए भी APAAR आईडी जरूरी है? क्या इसके लिए आपको भी रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत पड़ेगी? और अगर ऐसा है तो इसकी शुरुआत कैसे की जा सकती है?
ऐसे की जा सकती है APAAR में शुरुआत
जी हां, ये APAAR आईडी सभी के लिए जरूरी है। अब इसका रजिस्ट्रेशन कैसे करना है तो सबसे पहले आपको रजिस्ट्रेशन करने के लिए, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC बैंक) की वेबसाइट यानी abc.gov.in पर जाना होगा। वहां ‘My Account’ पर क्लिक करना होगा, फिर ‘स्टूडेंट’ विकल्प को चुनना होगा। इसके बाद, ‘Sign Up’ पर क्लिक करना होगा और डिजीलॉकर खाता बनाने के लिए अपना मोबाइल नंबर, पता और आधार कार्ड की डिटेल डालनी होगी।

हो जाएगा APAAR ID कार्ड जनरेट
आपने विवरण के साथ लॉग इन करने के बाद, डिजिलॉकर आपको केवाईसी करवाने के लिए एबीसी के साथ अपने आधार कार्ड की जानकारी साझा करने के लिए सहमति देने को कहेगा। एक बार आप सहमत हो जाएं, तो अपना शैक्षणिक विवरण दर्ज करें, जैसे कि आपके स्कूल या विश्वविद्यालय का नाम, कक्षा और पाठ्यक्रम। फॉर्म जमा करने के बाद आपका APAAR ID कार्ड जनरेट हो जाएगा।
तो किसके लिए ज्यादा जरूरी है ये APAAR ID
अब एक सवाल फिर भी उठ रहा होगा। क्या APAAR ID केवल मौजूदा छात्रों के लिए जरूरी है, या इससे उन छात्रों को भी फायदा हो सकता है जो अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं? APAAR ID केवल मौजूदा छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि जो ग्रेजुएट हो भी चुके हैं उनके लिए फायदेमंद है। ये 12 अंकों की आईडी मार्कशीट, डिग्री और बाकी पढ़ाई लिखाई से जुड़ी उपलब्धियों और जानकारी को एक ही मंच पर लाकर दिखा देती है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये हो सकता है कि छात्र की पढ़ाई लिखाई में हुई तब्दीलियों के साथ-साथ उसकी प्रगति पर भी नज़र रखना आसान हो जाता है।
इस आईडी के लिए स्कूलों का दायित्व
- डाटा की सही एंट्री: हर स्कूल को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों का सटीक रिकॉर्ड APAAR सिस्टम में दर्ज हो।
- माता-पिता को जागरूक बनाना: स्कूलों को नियमित रूप से माता-पिता के साथ बैठकें आयोजित करनी चाहिए और उन्हें इस योजना के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
सभी को मिलकर निभाना होगा दायित्व
जाहिर है इस प्रोजेक्ट को कामयाब करने के लिए सभी स्तरों पर जिम्मेदारी तय करना बेहद जरूरी है, फिर चाहे वह माता-पिता हों, या स्कूल, या सरकार। सभी को अपने हिस्से का काम जिम्मेदारी से निभाना होगा। सरकार के इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यहां पूरी तरह से गोपनीयता बनाए रखने का भरोसा दिया गया है। यह सुनिश्चित करना कि बच्चों और उनके परिवार की जानकारी सुरक्षित रहे। APAAR ID की सफलता तभी संभव है, जब इसे सभी मिलकर अपनाएं और इसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपने अपने दायित्व का निर्वाह करें।