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श्रीलंका की PM बनने में हरिनी अमरसूर्या का दिल्ली कनेक्शन आया काम, क्या चाहते हैं राष्ट्रपति दिसानायके?

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– श्यामदत्त चतुर्वेदी:

हाईलाइट्स

  • हरिनी अमरसूर्या श्रीलंका की तीसरी महिला PM
  • क्या भारत को ध्यान में रखकर हुई हरिनी अमरसूर्या की नियुक्ति?
  • दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है हरिनी अमरसूर्या ने
  • इम्तियाज अली और अर्नब गोस्वामी रहे हैं हरिनी के क्लासमेट

2022 में आर्थिक और राजनीतिक संकट के कारण हुए भारी आंदोलन के बाद अब श्रीलंका पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहा है। 14 नवंबर को हुए संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के गठबंधन NPP को भारी बहुमत मिला। इसके बाद 18 नवंबर को श्रीलंका में नई सरकार का गठन हो गया है। नई सरकार में हरिनी अमरसूर्या को नई प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया है। हरिनी देश के इतिहास में तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। इससे पहले यह महत्वपूर्ण पद सिरिमावो भंडारनायके और चंद्रिका कुमारतुंगा ने संभाला था।

हरिनी अमरसूर्या एक शिक्षाविद और समाज सुधारक भी रही हैं। उन्होंने श्रीलंका के बदलते राजनीतिक परिदृश्य में अपनी खास जगह बनाई है। उनका भारत खासकर दिल्ली से गहरा नाता है। इसी कारण राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के इस फैसले को लेकर भारत में खास चर्चा हो रही है। आइये जानें हरिनी अमरसूर्या कौन हैं और उनको ये पद किन कारण से दिया गया है। श्रीलंका में नई सरकार के गठन का भारत में किस तरह से असर हो सकता है।

हाल ही में हुए संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति दिसानायके के नेतृत्व वाले वामपंथी एनपीपी गठबंधन ने भारी जीत दर्ज की। उनकी पार्टी ने 225 में से 159 सीटें जीती। इस भारी बहुमत ने अमरसूर्या की नियुक्ति को और अधिक सशक्त बनाया है और देश में राजनीतिक स्थिरता के संकेत दिए हैं। भारत के साथ उनके रिश्तों और दिसानायके के रुख के कारण इस नियुतक्ति को और अधिक आशा भरी निगाहों से देखा जा रहा है।

हरिनी अमरसूर्या और दिसानायके भारत से संबंध

दिसानायके की पार्टी JVP श्रीलंका के हिंसक आंदोलनों में अगुआ रही है। इन आंदोलन को दबाने के लिए भारत ने मदद की थी। इस कारण JVP एक भारत को अपने विरोधी की तरह देखती रही है। हालांकि, दिसानायके ने रुख बदला है। उनका मानना है कि श्रीलंका की तरक्की के लिए भारत जरूरी है। उन्होंने कुछ समय पहले अपने भारत दौरे में विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की थी। इसके बाद एनएसए अजित डोवाल भी श्रीलंका का दौरा किया था।

श्रीलंका को आर्थिक संकट से बचाने के लिए भारत ने काफी मदद की है। साल 2022 में आए संकट के बाद भारत की ओर से 4 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद की गई थी। दिसानायके का देश की सत्ता भी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मिली है। इस कारण वो भारत के साथ संबंध बनाए रखना चाहते हैं। चूंकि वह वामपंथी गठबंधन से हैं और उनके पार्टी भारत को विरोधी मानती रही है। संभवतः इसीलिए उन्होंने भारत से नाता रखने वाली हरिनी अमरसूर्या को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है।

भारत से गहरा नाता कैसे?

हरिनी अमरसूर्या का जन्म श्रीलंका के एक मिडिल-क्लास परिवार में हुआ। उनके पिता एक चाय बागान के मालिक थे, लेकिन भूमि सुधार कानूनों के कारण परिवार को कोलंबो स्थानांतरित होना पड़ा। श्रीलंका में 1988-89 के दौरान हिंसक तमिल आंदोलन के चलते जब स्कूल-कॉलेज बंद हो गए, तब अमरसूर्या ने भारत का रुख किया। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से 1991 से 1994 तक समाजशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की। उनके बैचमेट में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली और पत्रकार अर्नब गोस्वामी थे।

शिक्षा से राजनीति तक का सफर

दिल्ली में पढ़ाई पूरी करने के बाद अमरसूर्या ने सामाजिक सेवा में अपना योगदान देना शुरू किया और श्रीलंका में स्वास्थ्य से जुड़े एनजीओ के साथ काम किया, जहां उन्होंने सुनामी से प्रभावित बच्चों की मदद की। इसके बाद उन्होंने एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और श्रीलंका की ओपन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। 2019 में वह जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) में शामिल हुईं और 2020 में सांसद चुनी गईं। इस साल, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की एनपीपी पार्टी की भारी जीत के बाद अमरसूर्या को प्रधानमंत्री पद के लिए नामांकित किया गया।

प्रधानमंत्री के तौर पर भूमिका

हरिनी अमरसूर्या को शिक्षा, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा सहित कई मंत्रालयों का जिम्मा सौंपा गया है। राष्ट्रपति दिसानायके के 21 सदस्यीय मंत्रिमंडल में उनके नेतृत्व में एक नई सोच और नीतियों की झलक देखने को मिल रही है। राष्ट्रपति ने स्वयं रक्षा, वित्त और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास रखे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि सरकार के प्रमुख लक्ष्यों में सामाजिक और आर्थिक विकास शामिल है।

सामाजिक सुधारों की ओर दृष्टि

हरिनी अमरसूर्या एक शिक्षाविद, प्रोफेसर और एक्टिविस्ट रही हैं। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और सामाजिक सेवा के अनुभव से उम्मीद की जा रही है कि वह श्रीलंका में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधार के लिए नई नीतियों और योजनाओं को आगे बढ़ाएंगी। उनकी नियुक्ति से श्रीलंका में महिलाओं के सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। उनके कार्यकाल से श्रीलंका में बदलाव और विकास की नई लहर आने की उम्मीद की जा रही है।

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