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भारत के दिल ने क्यों मांगा ‘मोर’? क्यों और कैसे मिलता है किसी चिड़िया को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा, जानें दिलचस्प दास्तान

Dayitva Media India National Bird Peacock Interesting Story
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India National Bird Interesting Story: दुनिया में मानव सभ्यता के विकास साथ ही सीमाओं की अवधारणा आई। लोगों ने अपने गांव, शहर और राष्ट्र के नक्शे बना लिए। उसी के भीतर राज करने लगे और समय-समय पर इसका विस्तार भी किया। सनातन सभ्यता में वैदिक काल से सीमाओं का उल्लेख मिलता है। पौराणिक कथाओं में भी हमने राम-कृष्ण के राज्य और उनकी सीमाओं के बारे में पढ़ा सुना है। हालांकि, सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स JNU की एसोसिएट प्रोफेसर मौसमी बसु के अनुसार 16वीं सदी में पूंजीवाद आने के साथ ही आधुनिक राष्ट्र की अवधारणा आती है। ऐसा नहीं है कि इससे पहले देश नहीं होते थे, लेकिन इससे पहले सीमाएं युद्धों में बदल जाती थी। खैर ये बात एक तरफ…हम बात करेंगे राष्ट्र और उनके प्रतीकों के बारे में। दुनिया में जब से देश, राज्य या साम्राज्य का जिक्र मिलता है तभी से उसके प्रतीकों की कहानी भी मिलती है। इसमें गीत, चिह्न, पशु, पक्षी समेत तमाम चीजें शामिल होती हैं। इन चीजों पर हम बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि, करीब 240 साल बाद अमेरिका ने बाल्ड ईगल को अपना राष्ट्रीय पक्षी घोषित कर दिया है। आइये जानते हैं कि आखिर राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने की ये परंपरा कहां से जन्म लेती है और भारत में मोर को क्यों और कैसे राष्ट्रीय पक्षी बना दिया गया।

हाईलाइट

  1. अमेरिका ने बाल्ड ईगल को बनाया राष्ट्रीय पक्षी बनाया
  2. बाल्ड ईगल की फैक्ट फाइल
  3. भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर और विशेषताएं
  4. राष्ट्रीय पक्षी बनाने की परंपरा कैसे आई?
  5. मोर का चुनाव कैसे हुआ?
  6. मोर के बारे में ये भ्रांतियां बिल्कुल गलत
  7. तथ्यों में मोर की संपूर्ण जानकारी
  8. कहां से आए मोर ?
  9. PM मोदी ने कैसे बताई मोर की अहमियत?
  10. भारत के अन्य राष्ट्रीय प्रतीक और चिह्न
  11. राज्यों के राजकीय पक्षियों की सूची
  12. इन देशों का राष्ट्रीय पक्षी है मोर
  13. राष्ट्रीय प्रतीकों की आवश्यकता क्यों?

अमेरिका ने बनाया राष्ट्रीय पक्षी

ऐसा नहीं है कि बाल्ड ईगल को अमेरिका में पहली बार इतना महत्व दिया जा रहा है। करीब 240 साल पहले ही अमेरिका में इसे राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया था। इसके बाद से ही इसका इस्तेमाल अमेरिका में ताकत का प्रतीक के रूप में किया जाने लगा था। अमेरिका के ऐतिहासिक दस्तावेजों में ये हमेशा से नजर आता रहा है। इसके बाद अब कहीं जाकर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कांग्रेस की ओर से भेजे गए बिल पर 24 दिसंबर को दस्तखत कर दिए। इसी के साथ बाल्ड ईगल अमेरिका का राष्ट्रीय पक्षी बन गया।

भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर और विशेषताएं

अब करते हैं भारत के राष्ट्रीय पक्षी की। 26 जनवरी 1963 को भारत सरकार ने मोर को राष्ट्रीय पक्षी (National Bird Of India) घोषित किया था। इसके बाद से वह राष्ट्रीय धरोहर का प्रतीक बन गया। कुछ साल बाद भारतीय वन अधिनियम 1972 के अंतर्गत मोर को संरक्षित किया गया है। इसमें तमाम नियम तय किए गए।

राष्ट्रीय पक्षी बनाने की परंपरा कैसे आई

करीब 64 साल पहले 1960 में टोक्यो में एक सम्मेलन हुआ था। इसका नाम ‘इंटरनेशनल कौंसिल फॉर बर्ड प्रिजर्वेशन’ रखा गया। इसमें शामिल होने के लिए दुनिया के कई देश पहुंचे। जहां पक्षियों के जरूरत और उनके संरक्षण को लेकर चर्चा हुई। अंत में इस बात पर सहमति बनी कि सभी देश अपने राष्ट्रीय पक्षी चुनेंगे और घोषित करेंगे। जिससे विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे पक्षियों को संरक्षित किया जा सके। इसके बाद से ही दुनिया में पक्षियों को राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने की आधिकारिक परंपरा आई। हालांकि, इससे पहले भी अलग-अलग कारणों से इन्हें प्रतीक माना जाता रहा है।

मोर का चुनाव कैसे हुआ

1960 के टोक्यो सम्मेलन के बाद भारत में राष्ट्रीय पक्षी के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। इसमें सबसे पहले महान पक्षिविद सलीम अली ने गोडावण के नाम का प्रस्ताव रखा। हालांकि, सरकार की शर्तों पर गोडावण खरा नहीं उतर पाया। क्योंकि, इसमें कुछ इस तरह की शर्तें रखी गईं थी।

  • देश के सभी हिस्सों में मौजूदगी भी होनी चाहिए।
  • उससे देश का हर नागरिक अच्छे से वाकिफ हो।
  • पूरी तरह से भारतीय संस्कृति और परंपरा से ओतप्रोत हो।
  • उस पक्षी का भारत से गहरा कनेक्शन हो यानी वो भारतीय हो

इस संबंध में साल 1961 छपे में माधवी कृष्‍णन के एक लेख की चर्चा होती है। इसमें उन्होंने बताया था कि मोर का चयन आसानी से नहीं हुआ था। ऊटाकामुंड में भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड की एक बैठक होती है। इसमें सारस, क्रेन, ब्राह्मणी काइट, बस्टर्ड और हंस के नाम पर विचार होता है। हालांकि, ये तय की गई शर्तों पर खरे नहीं उतर पा रहे थे। कई दौर की चर्चा के बाद मोर का नाम आया। जब इसके बारे में रिसर्च की गई तो ये राष्ट्रीय पक्षी बनने की शर्तों पर खरा उतर गया। इसके बाद 1963 में मोर को सरकार ने राष्ट्रीय पक्षी घोषित कर दिया।

शरीर से लंबी मोर की पूंछ

वीटीआर डिवीजन-वन के फॉरेस्ट ऑफिसर प्रद्युमन गौरव ने 2023 में न्यूज-18 से बात करते हुए मोर को लेकर कुछ खास जानकारी दी थी। उन्होंने एक सबसे बड़ी भ्रांति को तोड़ते हुए बताया कि ये बिल्कुल गलत है कि मोर प्रजनन नहीं करते हैं। किसी अन्य जीव की तरह मोर में भी सामान्य प्रजनन होता है। हां, ये खास बात है कि मोरनी अंडे देने के लिए घोंसला नहीं बनाती है। वो जमीन पर ही एक बार में 3 से 5 अंडे देती है जिसमें से करीब 30 दिन में बच्चे आते हैं। प्रद्युम्न गौरव की मानें तो मोर बहुत ही सैद्धांतिक जीव है। जब जंगलों में मुसीबतों की लड़ाई में पक्षियों के शरीर में तमाम बदलाव आए। ऐसे में सदियों से मोर ने केवल सर्वाइवल के लिए अपने आप को बदलना सही नहीं समझा।

मोर कहां के मूल निवासी है?

माना जाता है कि मोर का मूल स्थान भारत ही है। यहीं से दुनियाभर में इसका विस्तार होता है। कुछ इतिहास की किताबों में इस बात का जिक्र है कि सबसे पहले सिकंदर ने मोर को भारत से यूनान का सफर कराया था। इसी के बाद दुनियाभर में मोर की अलग-अलग प्रजातियां पैदा हुईं। हालांकि, अभी भी भारतीय और दक्षिण एशियाई मोर को ही दुनिया में सबसे सुंदर माना जाता है।

PM मोदी ने बताई थी अहमिय

देश जब कोरोना महामारी के प्रकोप को झेल रहा था। इन दिनों PM मोदी ने लॉकडाउन के डर से लोगों को उबारने के लिए मोर को बतौर उदाहरण पेश किया था। उन्होंने 23 अगस्त 2020 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें वो मोर के साथ उनकी दिनचर्या को दिखाया गया था। इस पोस्ट में प्रधानमंत्री ने एक कविता भी पोस्ट की थी जिसमें मोर, भोर, शांति, सुहानापन और मौन के साथ-साथ मुरलीधर, जीवात्मा, शिवात्मा और अंतर्मन की बात की गई थी।

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक

मोर तो भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। इसके अलावा हमारे देश के अन्य राष्ट्रीय प्रतीक हैं। इनके जरिए हम दुनिया में अपना प्रचार करते हैं या अपनी उपस्थिति दर्शाते हैं। इसके अलावा कई प्रतीक हैं जिन्हें हम नियम और कानून बनाकर उसे संरक्षित करने का प्रयास करते हैं। भारत के कुछ राष्ट्रीय प्रतीक और चिन्ह इस प्रकार हैं।

राज्यों के राजकीय पक्षी

देश में मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने के बाद राज्यों में भी इस बात की चर्चा शुरू हुई कि पक्षियों को बचाने के लिए अलग-अलग राज्यों के अपने प्रतीक पक्षी होने चाहिए। इसके बाद से भारत के सभी राज्यों ने अलग-अलग समय में अपने राजकीय पक्षियों के नाम घोषित किए और उनके संरक्षण के लिए नियम कानून भी बनाए गए। राज्यों के राष्ट्रीय पक्षी इस प्रकार हैं।

राज्य                             पक्षी
आंध्रप्रदेशतोता, पहले नीलकंठ था
अरुणाचल प्रदेशधनेश
असमश्वेत डैनों वाला बत्तक
बिहारघरेलू गौरैया
छत्तीसगढ़पहाड़ी मैना
गोवाकाले कलगी वाली बुलबुल
गुजरातग्रेटर फ्लेमिंगो
हरियाणाकाला तीतर
हिमाचल प्रदेशपश्चिमी ट्रैगोपैन
जम्मू-कश्मीरकाली गर्दन वाला सारस
झारखण्डकोयल
कर्नाटकनीलकंठ
केरलग्रेट हॉर्नबिल
मध्यप्रदेशशाही बुलबुल
महाराष्ट्रग्रीन इंपीरियल कबूतर
मणिपुरमादा तीतर
मेघालयपहाड़ी मैना
मिजोरममादा तीतर
नागालैंडब्लिथ ट्रैगोपन
ओड़िशामोर
पंजाबबाज
राजस्थानसोहन चिड़िया
सिक्किमचिल्मिआ
तमिलनाडुपन्ना कबूतर
तेलंगानानीलकंठ
त्रिपुराग्रीन इंपीरियल कबूतर
उत्तराखंडहिमालयी मोनल
उत्तर प्रदेशसारस
पश्चिम बंगालसफेद गर्दन वाला किंगफिशर

इन देशों का राष्ट्रीय पक्षी है मोर

ऐसा नहीं है कि मोर केवल भारत के लिए ही इतना महत्वपूर्ण है कि उसे हमने राष्ट्रीय पक्षी बना दिया। मोर यानी पैवो क्रिस्टेटस (Pevo cristatus) दक्षिण एशिया में बहुतायत पाया जाता है। इसी कारण खुले जंगलों में रहने वाली इस पक्षी की लोकप्रियता काफी ज्यादा है। खासतौर से उन देशों में जहां सनातन का प्रभाव रहा है। वहां मोर की अहमियत ज्यादा है। इसी कारण भारत के अलावा म्यांमार और श्रीलंका ने भी मोर को ही अपना राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया था और इसके संरक्षण के लिए कानून बनाए थे।

राष्ट्रीय प्रतीकों की आवश्यकता क्यों?

किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय प्रतीक उसकी पहचान और विरासत का हिस्सा होते हैं। इनके जरिए वो अपनी शक्ति, संस्कृति, जातीयता और व्यवसाय को दिखाते हैं। हर देश के नागरिक के लिए उसके प्रतीक उनके गौरव का प्रतिनिधित्व करने वाले होते हैं। इनके जरिए वो अपने राष्ट्रभक्ति दिखाते हैं। हालांकि, दुनिया भर में सभी देशों के पास अपने अलग कोड और कंडक्ट होते हैं। भारत में राष्ट्रीय प्रतीकों के लिए कड़े कानून है।

Author

  • श्यामदत्त चतुर्वेदी - दायित्व मीडिया

    श्यामदत्त चतुर्वेदी, दायित्व मीडिया (Dayitva Media) में अपने 5 साल से ज्यादा के अनुभव के साथ बतौर सीनियर सब एडीटर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इससे पहले इन्होंने सफायर मीडिया (Sapphire Media) के इंडिया डेली लाइव (India Daily Live) और जनभावना टाइम्स (JBT) के लिए बतौर सब एडिटर जिम्मेदारी निभाई है। इससे पहले इन्होंने ETV Bharat, (हैदराबाद), way2news (शॉर्ट न्यूज एप), इंडिया डॉटकॉम (Zee News) के लिए काम किया है। इन्हें लिखना, पढ़ना और घूमने के साथ खाना बनाना और खाना पसंद है। श्याम राजनीतिक खबरों के साथ, क्राइम और हेल्थ-लाइफस्टाइल में अच्छी पकड़ रखते हैं। जनसरोकार की खबरों को लिखने में इन्हें विशेष रुचि है।

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