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‘तीन बच्चे पैदा करें’, नहीं माने RSS चीफ की राय तो गहरा जाएगा संकट; UN की रिपोर्ट से समझें आबादी का अंकगणित

Dayitva Media - Mohan Bhagwat on Population
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– श्यामदत्त चतुर्वेदी:

‘दो बच्चे हैं मीठी खीर, उससे ज्यादा बवासीर’ पंचायत वेब सीरीज का यह डायलॉग सुनकर आज भी लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। लेकिन जरा ठहरिए, हंसने से पहले महंगाई का सोच लीजिए। आजकल तो एक बच्चे का खर्चा संभालना ऐसा लगता है जैसे जेब में आग लग गई हो। इसी वजह से सरकार ‘हम दो हमारे दो’ का ढोल पीटती रहती हैं ताकि घर की शांति और जेब की सेहत दोनों बनी रहे। असल ज़िंदगी में, ये नारा हर घर की कहानी है। अब भला पूछिए, जहां ‘मीठी खीर’ का स्वाद भी महंगा पड़ रहा है, वहां ‘तीसरा बच्चा’ तो सीधा ‘बजट बम’ लग सकता है।” हालांकि, इसका एक दूसरा पहलू भी है जो कम बच्चों के होने के कारण समाज को खतरे में भी डाल रहा है।

बात करें पंचायत वेब सीरीज की, तो वहां ये नारा आया था बीडीओ ऑफिस से, जिसे गांव वालों ने ठुकरा दिया। अब जनसंख्या की बहस के बीच, संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान आया है, जिसमें वो तीन बच्चे पैदा करने की बात कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने घटती जनसंख्या दर पर चिंता जताई है। परिवार के महत्व पर जोर देते हुए ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात कही है। तो आइए, जानते हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत क्या और क्यों कह रहे हैं। साथ ही इसका क्या असर पड़ सकता है।

जनसंख्या पर मोहन भागवत का बयान

संघ प्रमुख मोहन भागवत नागपुर में ‘कठाले कुलसम्मेलन’ में पहुंचे थे। वहां उन्होंने घटती जनसंख्या दर पर चिंता जताई। सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ”जनसंख्या में गिरावट चिंता का विषय है। आधुनिक जनसंख्या विज्ञान कहता है कि जब किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे चली जाती है तो वह समाज लुप्त होने लगता है। इसी तरह से कई भाषाएं और समाज नष्ट हो चुके हैं।

मोहन भागवत ने जनसंख्या नीति 1998 और 2002 का जिक्र करते हुए कहा कि समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए। देश की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 होनी चाहिए। यह संख्या समाज को जीवित रखने के लिए जरूरी है। उन्होंने जनसंख्या वृद्धि के महत्व पर जोर देते हुए कहा जन्म दर को एक नहीं रखा जा सकता है। देश के भविष्य के लिए कम से कम 2 या 3 बच्चों का जन्म होना जरूरी है।

मोहन भागवत के बयान पर राजनीति

संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राजनीति गरम है। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा- ‘भागवत जी कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ानी चाहिए, लेकिन क्या वह यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चों को कुछ फायदा मिले? क्या वह गरीब परिवारों को हर महीने 1500 रुपये देंगे? ‘

चंद्रबाबू नायडू ने भी की थी ऐसी ही अपील

कुछ दिन पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी कुछ ऐसी ही अपील की थी, उन्होंने सभी परिवारों से दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की थी। उन्होंने दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों को ज्यादा बच्चा पैदा करने की अपील की थी, उनका तर्क था कि दक्षिण भारत में में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। आंध्र सरकार तो एक कदम आगे बढ़कर दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले परिवारों को सरकारी सुविधाएं और प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार कर रही है।

पालन-पोषण की मुश्किलों पर सियासी बहस

संघ प्रमुख के बयान के संदर्भ में इस डायलॉग की प्रासंगिकता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि यह बढ़ती जनसंख्या और उसके प्रबंधन से जुड़े मुद्दों की ओर इशारा करता है। उनका बयान सामाजिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बयान ने परिवार नियोजन और बढ़ती महंगाई के दौर में बच्चों के पालन-पोषण की मुश्किलों को लेकर बहस छेड़ दी है।

जनसंख्या का वर्तमान हाल

भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जनसंख्या बढ़ने की दर कम हो रही है। हालांकि भारत के अलावा भी कई देशों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों की कमी, बेरोजगारी, गरीबी, पर्यावरणीय समस्याएं जैसी कई चुनौतियां पैदा हो रही हैं।

2050 तक जनसंख्या का अनुमान

कई अध्ययनों के अनुसार, 2050 तक भारत और विश्व की जनसंख्या में काफी वृद्धि होने का अनुमान है। भारत की जनसंख्या 2050 तक 1.67 बिलियन तक पहुंच सकती है। वहीं विश्व की जनसंख्या 9.7 बिलियन तक पहुंच सकती है।

क्या कहती है UN की रिपोर्ट?

जुलाई में UN ने ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ के अवसर पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें 2080 के दशक के मध्य तक, विश्व आबादी अपने उच्चतम स्तर यानी 10 अरब 30 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि इसमें विश्व की कुल प्रजनन दर में गिरावट यानी जनसंख्या वृद्धि की घटती दर को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। इसमें कहा गया कि यही हाल रहा तो एक समय आएगा जब दुनिया बूढ़ी हो जाएगी।

भारत के बारे में UN की रिपोर्ट

2062 में देश की आबादी पीक पर होगी। तब देश में 1.701 अरब लोग होंगे। हालांकि इसी समय जनसंख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी। देश में बूढ़ों की संख्या बढ़ जाएगी और जन्म दर के मुकाबले मृत्यु दर ज्यादा हो जाएगी। 2063 में देश में करीब 1.15 लाख लोगों की मौत होगी। 2064 में यह आंकड़ा 4.37 लाख और 2065 में 7.93 लाख होगा। ये लगातार बढ़ेगा। अगर समय से इसे लेकर उपाय नहीं किए गए तो जनसंख्या तेजी से घट जाएगी।

बढ़ती महंगाई में बच्चा पालने की चुनौती

आज के समय में बढ़ती महंगाई के कारण एक बच्चे की परवरिश भी चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी जरूरतों का खर्च आम परिवार की आय पर भारी पड़ता है। ऐसे में तीन बच्चों की परवरिश करने का विचार न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी जटिल लग सकता है। इसी कारण आबादी के बढ़ने पर कई सवाल भी खड़े होते हैं।

सवाल उठते हैं

  • क्या बढ़ती आबादी देश के संसाधनों पर और दबाव नहीं डालेगी?
  • क्या तीन बच्चों की नीति महंगाई और रोजगार की मौजूदा स्थिति में व्यावहारिक है?
  • क्या यह महिलाओं के अधिकारों और स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा?

घटती जनसंख्या भी एक बड़ा सवाल

एक तरफ बढ़ती जनसंख्या समाज के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर रही है। इससे खाद्य, पानी और ऊर्जा जैसे संसाधनों का संकट बढ़ रहा है। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का ह्रास जैसी समस्याओं में इजाफा हो रहा है। रोजगार के अवसर कम होने के साथ सामाजिक असमानता बढ़ने की आशंका है। दूसरी ओर जन्मदर का घटना लंबे समय के लिए देश के सामने बड़ी समस्या पैदा कर रहा है। जब देश बूढ़ा होगा तो प्रोडक्टिविटी घटेगी और संसाधनों का उपयोग बढ़ जाएगा। इस समय काम करने वाली युवा आबादी कम हो जाएगी।

चिंता जरूरी पर हालात पर सोचना होगा

संघ प्रमुख का यह बयान निश्चित रूप से विचार करने योग्य है। क्योंकि, इस बारे में UN ने भी आगाह किया है। कई देशों में जनसंख्या वृद्धि दर काफी कम हो गई है। इस कारण अब वहां की सरकारों ने जनसंख्या बढ़ाने के उपाय करने शुरू कर दिए हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान भी इसी चिंता को जाहिर कर रहा है। हालांकि, इसे मौजूदा सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के साथ देखना होगा।

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  • श्यामदत्त चतुर्वेदी - दायित्व मीडिया

    श्यामदत्त चतुर्वेदी, दायित्व मीडिया (Dayitva Media) में अपने 5 साल से ज्यादा के अनुभव के साथ बतौर सीनियर सब एडीटर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इससे पहले इन्होंने सफायर मीडिया (Sapphire Media) के इंडिया डेली लाइव (India Daily Live) और जनभावना टाइम्स (JBT) के लिए बतौर सब एडिटर जिम्मेदारी निभाई है। इससे पहले इन्होंने ETV Bharat, (हैदराबाद), way2news (शॉर्ट न्यूज एप), इंडिया डॉटकॉम (Zee News) के लिए काम किया है। इन्हें लिखना, पढ़ना और घूमने के साथ खाना बनाना और खाना पसंद है। श्याम राजनीतिक खबरों के साथ, क्राइम और हेल्थ-लाइफस्टाइल में अच्छी पकड़ रखते हैं। जनसरोकार की खबरों को लिखने में इन्हें विशेष रुचि है।

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