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अमरत्व की खोज में दुनिया: हाथ लगी ‘बायोहैकिंग’ तकनीक, विज्ञान का सपना या विनाश का बीज?

Biohacking Technology - Dayitva Media
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– श्यामदत्त चतुर्वेदी:

वैदिक काल में एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप से स्वर्ग श्रीहीन हो गया। यानी स्वर्ग से धन, वैभव और ऐश्वर्य सब समाप्त हो गया। इसके बाद देवताओं ने भगवान विष्णु से अपने चिंता जाहिर की तो उन्होंने असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन का उपाय बताया। इसे लेकर दोनों पक्षों में सहमति बन गई। देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन शुरू किया। इस मंथन से कामधेनु, ऐरावत, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, पारिजात जैसी कई चीजें निकली। अंत में निकला अमृत जिसे लेकर देवताओं और असुरों में संग्राम हो गया। क्योंकि, इसे जो भी पीता वो अमर हो जाता है। तभी से मनुष्य में भी अमर होनी की चाहत जिंदा है। इंसान हमेशा से अमरत्व की खोज में रहा है। धर्मों, दंतकथाओं और अब विज्ञान ने इस सपने को जीवंत रखा है। आधुनिक विज्ञान में इसी प्रक्रिया को बायोहैकिंग के नाम से जाना जाता है

विज्ञान और तकनीक के अविश्वसनीय विकास के साथ, हम अब इस सवाल पर गंभीरता से विचार करने लगे हैं कि क्या हम वास्तव में मौत को धोखा दे सकते हैं? दुनिया भर में वैज्ञानिक और कंपनियां अमरत्व की खोज में जुटी हुई हैं। भारत में भी बायो हैकिंग एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। लोग अपने शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं जिससे वो अपनी लाइफ साइकिल को बढ़ा सकें।

क्या है बायो हैकिंग?

बायो हैकिंग एक ऐसा शब्द है जो हाल के वर्षों में काफी लोकप्रिय हुआ है। अगर इसे संधि विच्छेद किया जाए तो ये बयो और हैकिंग में अगल हो जाता है। सरल शब्दों में कहें तो शरीर और अपनी उम्र पर कंट्रोल करने की कोशिश ही बायो हैकिंग कहलाती है। इसे ऐसे प्रैक्टिस के रूप में देखा जा सकता है जिससे हम शरीर को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद लेते हैं। इसका उद्देश्य शरीर को अधिक कुशल, स्वस्थ और उत्पादक बनाना है। इसमें आहार, व्यायाम, नींद, पूरक आहार और तकनीक जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है।

दो तरह से बायो हैकिंग

बायो हैकिंग के दो तरीके होते हैं। पहला तो योग, व्यायाम और आहार से जुड़े है। इसका प्रयोग कालांतर से मनुष्य खुद को स्वस्थ करने के लिए करता आया है। इसमें हम अपने शरीर को प्रकृति के अनुकूल बनाते हैं। इसमें किसी भी मॉडर्न तकनीक का उपयोग नहीं होता है। दूसरा तरीका होता है जिसमें हम तकनीक का उपयोग कर मानव शरीर और जीवन काल को कंट्रोल करने की कोशिश करते है। सबसे बड़ी समस्या यहीं होने की आशंका होती है।

ऐसे हैक करें अपना बायो सिस्टम

जब पहले तरीके से बायोहैकिंग की जाती है तो ये बेहद सामान्य प्रक्रिया होती है। इसमें कुछ छोटे मोटे बदलाव किए जाते हैं। पोषण संबंध जांच के बाद आहार में बदलाव किया जाता है। इसमें कुछ नई जीचें एड होती है और कुछ चीजों को हटाया जाता है। इसमें डाइटिशियन, डॉक्टर और साइकोलॉजिस्ट एक साथ काम करते हैं। पर कई बार लोग खुद ही कई उपाय आजमाने लगते हैं। इससे उन्हें नुकसान हो सकता है।

बायो हैकिंग के लाभ

बायो हैकिंग तकनीकों और रुटीन का उपयोग करके आप अपनी नींद की गुणवत्ता सुधारने के साथ तनाव को कम कर सकते हैं। इतना ही नहीं इस कुटीन के जरिए आप अपने आपको अधिक केंद्रित बना सकते हैं। इतना ही नहीं बायो हैकिंग का उपयोग करके पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए भी काम किया जा सकता है। इसपर लगातार हो रही रिसर्च के हिसाब से अनुवांशिकता को समझकर उसे सुधारने की कोशिश की जा सकती है।

बायो हैकिंग के जोखिम

बायो हैकिंग तकनीकों और रुटीन का उपयोग बेसक एक हद तक लाभकारी हो सकता है। हालांकि, इससे आपको नुकसान भी हो सकता है। ये निर्भर करता है आप किस तरह की तकनीकी का उपयोग कर रहे हैं। क्या आप अपने शरीर और जीवन काल को कंट्रोल करने के लिए खुद को मशीनों के हवाले कर रहे हैं। आशंका इस बात की भी है कि शरीर को बिना समझे या थोड़ा कम समझे किए गए प्रयोग जानलेवा भी हो सकते हैं।

भारत में तेजी से बढ़ा क्रेज

भारत में बायो हैकिंग एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। लोग अपने शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं, जैसे कि जीन एडिटिंग, न्यूरो इंजेक्शन और अन्य जैव तकनीकें, ताकि अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को बढ़ा सकें। हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी विनियमित नहीं है और कई नैतिक सवाल उठाता है भारत में हाल में बायो हैकिंग का क्रेज तेजी से बढ़ा है।

युवाओं से लेकर अनुभवी लोगों अपनी सेहत और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। इस ओर मेडिकल क्षेत्र में काफी रिसर्च भी हो रही है। हालांकि, जिस तेजी से शोध हो रहे हैं उससे कई ज्यादा तेजी से लोग इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी को बिना पुष्टि किए फॉलो करते हुए अपने जीवन में उतार रहे हैं। ऐसे में इसका खतरा भी बढ़ रहा है।

बायो हैकिंग से बचाव के उपाय

इंटरनेट के जमाने में सूचनाओं के आपर श्रोत खुल गए हैं। इस कारण लोग अपनी सेहत के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और प्राकृतिक तरीकों से स्वस्थ रहने के तरीके खोज रहे हैं। इसमें उन्हें बायो हैकिंग के बारे में आसानी से जानकारी मिल रही है। वो सोशल मीडिया पर बायो हैकिंग से जुड़े कई ब्लॉग, वीडियो देखते हैं और उसे आजमाने लगते हैं। क्योंकि, ये काफी हद तक योग और आयुर्वेद की प्राचीन परंपराओं से मेल खाती है। हालांकि, गलत जानकारी जानलेवा भी हो सकती है।

टेक्नो-थ्रिलर टेलीविजन में ‘बायोहैकर्स’ की कहानी

अगस्त 2020 में नेटफ्लिक्स ने एक सिरीज रिलीज की थी। क्रिश्चियन डिटर की जर्मन टेक्नो-थ्रिलर टेलीविजन सीरीज का नाम “बायोहैकर्स” था। ये एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहां विज्ञान, प्रौद्योगिकी और मानव शरीर के बीच एक खतरनाक खेल खेला जा रहा है। कहानी की नायिका जूलिया, एक मेडिकल स्टूडेंट है, जो एक रहस्यमयी प्रोफेसर के संपर्क में आती है। प्रोफेसर और उसका समूह मानव शरीर में प्रयोग कर रहे होते हैं ताकि मनुष्य की क्षमताओं को बढ़ाया जा सके।

जूलिया इस रहस्यमयी दुनिया में खींची चली जाती है। जब उसे पता चलता है कि ये प्रयोग कितने खतरनाक हो सकते हैं। वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस साजिश का पर्दाफाश करने की कोशिश करती है। “बायोहैकर्स” हमें सोचने पर मजबूर करती है कि विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ हमें नैतिक सीमाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। हम मानव शरीर के साथ प्रयोग करने के लिए कितनी दूर तक जा सकते हैं? यह सीरीज एक रोमांचक कहानी होने के साथ-साथ हमें कई गंभीर सवालों पर भी विचार करने को मजबूर करती है।

अमरत्व की खोज में दुनिया

दुनिया भर में वैज्ञानिक और कंपनियां बायो हैकिंग के जरिए अमरत्व की खोज में जुटी हुई हैं। इसके लिए कई तरह के शोङ हो रहे हैं। कई रिसर्च के बारे में तो दुनिया को जानकारी ही नहीं है। इन्हें बेहद गुप्त तरीके से किया जा रहा है। इस कारण इस बात की आशंका भी बढ़ रही है कि इस तकनीक का विकास कर गलत इरादों के लिए उपयोग किया जा सकता है।

CRISPR-Cas9 जैसी तकनीकों का उपयोग करके वैज्ञानिक जीन एडिटिंग कर बीमारियों के कारणों वाले जीन को ही बदलने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं मृत्यु के बाद शरीर को सुरक्षित रख इसे भविष्य में पुनर्जीवित करने की तकनीक पर भी काम हो रहा है। इसके अलावा नैनो तकनीक के जरिए शरीर के अंदर नैनो रोबोट्स भेजकर बीमारियों का इलाज करने और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने पर शोध चल रहा है।

विज्ञान का सपना या विनाश का बीज?

भविष्य में हम अमरत्व के और करीब पहुंच सकते हैं। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि विज्ञान के साथ-साथ नैतिकता का भी विकास होना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन तकनीकों का उपयोग मानवता के हित में हो, ना कि कुछ लोगों के स्वार्थ के लिए। अमरत्व की खोज एक रोमांचक और चुनौतीपूर्ण सफर है। हमें विज्ञान के विकास का स्वागत करते हुए साथ ही इसकी सीमाओं और नैतिक चुनौतियों को भी समझना होगा।

Author

  • श्यामदत्त चतुर्वेदी - दायित्व मीडिया

    श्यामदत्त चतुर्वेदी, दायित्व मीडिया (Dayitva Media) में अपने 5 साल से ज्यादा के अनुभव के साथ बतौर सीनियर सब एडीटर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इससे पहले इन्होंने सफायर मीडिया (Sapphire Media) के इंडिया डेली लाइव (India Daily Live) और जनभावना टाइम्स (JBT) के लिए बतौर सब एडिटर जिम्मेदारी निभाई है। इससे पहले इन्होंने ETV Bharat, (हैदराबाद), way2news (शॉर्ट न्यूज एप), इंडिया डॉटकॉम (Zee News) के लिए काम किया है। इन्हें लिखना, पढ़ना और घूमने के साथ खाना बनाना और खाना पसंद है। श्याम राजनीतिक खबरों के साथ, क्राइम और हेल्थ-लाइफस्टाइल में अच्छी पकड़ रखते हैं। जनसरोकार की खबरों को लिखने में इन्हें विशेष रुचि है।

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