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युगांडा में डम-डम ‘डिंगा-डिंगा’ का रहस्य, क्यों नाचते-नाचते मर रहे हैं लोग?

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श्यामदत्त चतुर्वेदी:

कोई प्रेम में नाचता है, कोई मौज में डांस करता है या कभी कोई किसी के स्वागत में नृत्य दिखाता है। शादी-ब्याह हो या जन्मदिन की पार्टी, नृत्य खुशी को जाहिर करने का एक तरीका है। इसके लिए कई ग्रंथ लिखे जा चुके हैं। हमारे भारत में तो कई स्थानों पर मातम में भी नृत्य की परंपरा है। जिसमें लोग अपने परिजन या प्रिय की प्राकृतिक मौत के बार ईश्वर की शुक्रिया करते हैं। अगर हम आपसे कहें की कोई मजबूरी में भी नाचता है तो आप जरूर कहेंगे कि ये कोई शोले का रियल सीन थोड़ी है। क्या कोई गुंडा आज भी बसंती को मजबूर कर नचा सकता है? सवाल भी जायज है और ऐसा अब के दौर में होता भी नहीं है। हालांकि, ये सच है युगांडा के एक जिले में इन दिनों लोग मजबूरी में नाच रहे हैं और उन्हें खुद भी नहीं पता वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनकी इस समस्या को लेकर रूस से लेकर युगांडा के वैज्ञानिक भी परेशान हो गए हैं और इसके पीछे के कारणों को खोजने में लग गए हैं। क्योंकि ये समस्या उन्हें 500 साल पहले फ्रांस में आई अजीब बीमारी की याद दिला रही है जिसमें डांस करने से 400 लोगों की मौत हो गई थी। आइये विस्तार से जानें युगांडा में आए ये समस्या क्या है?

युगांडा के बुई-बुई जिले में इन दिनों लगता है कि जैसे एक अदृश्य शक्ति का साया है। डिंगा डिंगा नाम की एक बीमारी ने जिंदगियों को अस्त-व्यस्त कर रखा है। शरीर में कांपने के कारण लोग बेबसी में नाच रहे हैं। अब हाल ये है कि यहां नृत्य दर्द और मजबूरी का प्रतीक सा बन गया है। कई बच्चे और महिलाएं इससे पीड़ित हैं। उनकी आंखों में डर साफ झलक रहा है। इस बीमारी के कारण न सिर्फ लोगों के शरीर को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि उन्हें मानसिक पीड़ा का सामना भी करना पड़ा रहा है।

डिंगा-डिंगा के लक्षण

डिंगा-डिंगा की चपेट में आने वाले मरीज का शरीर अनियंत्रित रूप से कांपने लगता है। ये कंपन इतना तेज होता है कि व्यक्ति चलने-फिरने लायक नहीं रह जाता। कई बार ऐसा लगता है जैसे वो डांस कर रहा है। कुछ समय तक इससे पीड़ित रहने के बाद कमजोरी और थकान आ जाती है। रोजमर्रा के काम रुक जाते हैं। कई मरीजों में ठंड लगने की भी शिकायत होती है। डिंगा-डिंगा के लक्षण लोगों में करीब हफ्ते तक दिख रहे हैं। अधिकांश लोग प्राथमिक इलाज से ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कई मामले गंभीर भी हो रहे हैं और लकवे की शिकायत आ रही है।

पड़ोसी देशों डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के भी कुछ इलाके इस अज्ञात बीमारी के प्रकोप से जूझ रहे हैं। दोनों देशों को मिलाकर 30 लोगों की मौत का दावा किया जा रहा है। अभी तक 400 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। शोधकर्ता अभी कारण पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इन्फ्लूएंजा से लेकर वायरल संक्रमण तक कुछ भी हो सकता है।

डॉक्टर भी भी हो गए हैं मायूस

‘डिंगा डिंगा’ बीमारी के कारण मरीज का शरीर खुद-ब-खुद नाचने लगता है। मानो शरीर में कोई DJ बैठा हो जो डिस्को बॉल घुमा रहा है। बीमारी से जूझ रहे लोगों का शरीर किसी डांसर की तरह थिरक रहा है। यह कितना अजीब है। सबसे बड़ी और खराब बात ये हैं कि डॉक्टर भी इलाज न कर पाने के कारण मायूस हैं। क्योंकि, वो मरीजों को केवल इलाज के नाम पर एंटीबायोटिक्स दे रहे हैं। वो गोलियां देकर उस बीमारी का इलाज कर रहे हैं जिसके बारे में अभी उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है।

क्या पहले भी ऐसा हुआ है?

यूगांडा में आई ये बीमारी हमें एक मध्ययुगीन बीमारी की याद दिलाती है जो फ्रांस में फैली थी। 14 जुलाई 1518 को स्टार्सबर्ग की महिला फ्राउ ट्रॉफिया अचानक अपने घर से निकलती है और नाचने लगती है। हैरानी की बात ये थी उस समय न तो कई गाना बज रहा था और न ही कोई धुन चल रही थी। सबसे बड़ी और खास बात ये कि इसके चेहरे में कोई भाव ही नहीं थे। वो एक दम से बेसुध थी और आसपास के लोग उसे बसे देखे जा रहे थे। कुछ तो उसे पागल बताने लगे और कुछ लोगों ने नशेड़ी तक बता दिया।

जब काफी देर हो गई तो लोगों को होश आया। सबने ट्रॉफिया को रोकने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे। आखिरकार वो बेहोश हो गई। उसका पति उसे घर ले गया लेकिन जैसे ही वो सोकर उठी फिर नाचने लगी। ऐसे करते करते 2 दिन हो गए उसका नाचना नहीं रुक रहा था। वो पत्नी को डॉक्टर के पास लेकर गए लेकिन वहां भी कोई उपाय नहीं मिला। धीरे-धीरे करके ऐसा करने वालों की संख्या बढ़ गई। करीब 2 महीने इलाके में चली इस बीमारी के चपेट में आने से 400 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद भी वैज्ञानिकों इसके पीछे का कारण और इलाज नहीं मिला। उन दिनों इसे डांसिंग प्लेग नाम दिया गया था।

शोध करने में जुटे वैज्ञानिक

बड़े-बड़े तुर्रम खां आए और चले गए। कई तो इसे लेकर अभी भी काम कर रहे हैं। वो जानना चाहते हैं ये बीमारी आखिर है क्या और इसका इलाज क्या होगा लेकिन उनके हाथ सदियों पहले की तरह खाली है। इस बार सीमाएं बदल गई हैं। यही वजह है कि युगांडा के लोगों में अब इस बीमारी ने खौफ बैठाना शुरू कर दिया है। क्योंकि न तो इसका कोई कारण पता चल रहा है और न ही इसके किसी ठोस उपचार की जानकारी डॉक्टरों के पास है। खैर अब बस उम्मीद की जा रही है कि जल्द इसका कोई समाधान निकले।

युगांडा में इस रहस्यमय रोग ने दस्तक देकर लोगों को झकझोर दिया है। ये अजीबो-गरीब बीमारी डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बन गई। डिंगा-डिंगा के लक्षण अलग और अनोखे हैं, जो इसे रहस्यमय बनाने के साथ इसके अध्ययन को चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं। वैज्ञानिकों को डर सताने लगा है कि कहीं ये बीमारी 1518 में फ्रांस में आई स्टार्सबर्ग आई बीमारी का रूप तो नहीं ले लेगी, जिसे लेकर आज तक सवाल बना हुआ है कि आखिर वो समस्या क्या थी, जिसे मात्र डांसिंग प्लेग नाम देकर छोड़ दिया गया था।

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  • श्यामदत्त चतुर्वेदी - दायित्व मीडिया

    श्यामदत्त चतुर्वेदी, दायित्व मीडिया (Dayitva Media) में अपने 5 साल से ज्यादा के अनुभव के साथ बतौर सीनियर सब एडीटर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इससे पहले इन्होंने सफायर मीडिया (Sapphire Media) के इंडिया डेली लाइव (India Daily Live) और जनभावना टाइम्स (JBT) के लिए बतौर सब एडिटर जिम्मेदारी निभाई है। इससे पहले इन्होंने ETV Bharat, (हैदराबाद), way2news (शॉर्ट न्यूज एप), इंडिया डॉटकॉम (Zee News) के लिए काम किया है। इन्हें लिखना, पढ़ना और घूमने के साथ खाना बनाना और खाना पसंद है। श्याम राजनीतिक खबरों के साथ, क्राइम और हेल्थ-लाइफस्टाइल में अच्छी पकड़ रखते हैं। जनसरोकार की खबरों को लिखने में इन्हें विशेष रुचि है।

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