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दुग्ध उत्पादन में हम नंबर वन, फिर भी कुपोषण का कलंक, मिलावट के दौर में कैसे करें शुद्ध दूध की पहचान?

Dayitva Media Milk Production Adulteration And Export
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Milk Production Adulteration And Export: तंदुरुस्त बच्चे को देखकर अक्सर कहा जाता है कि दूध-घी खाया हुआ है। मतलब कि उसे बचपन से दूध-घी मिला है जिस कारण वो मजबूत और बुद्धिमान है। दूध और इससे बने उत्पाद अच्छे स्वास्थ्य की पहचान माने जाते हैं। ठीक इसी तरह बूढ़ों को भी देखकर कहा जाता है जवानी में अच्छे से दूध-घी का ध्यान रखा इसी कारण आज ये मजबूती बरकरार है। ऐसा हो भी क्यों न जब भारत दूध उत्पादन में नंबर एक है। हालांकि, इसके उलट कुछ आंकड़े ये भी बताते हैं कि भारत में कुपोषण भी है जो जाहिर करता है कि इन बच्चों तक शायद पर्याप्त दूध नहीं पहुंचा है या फिर बिल्कुल नहीं पहुंचा है। वहीं समय-समय पर आई खबरों से ये भी जाहिर होता है कि देश में भारी मात्रा में मिलावटी दूध और उसके उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इन सबके बावजूद भारत दुनिया में दुग्ध उत्पादों के एक्सपोर्ट के मामले में शीर्ष के देशों में शामिल है।

श्वेत क्रांति से आया बूम

15 अगस्त साल 1947 को भारत आजाद हुआ। इसी के साथ विभिन्न क्षेत्रों में विकास ने रफ्तार पकड़ी। तब पारंपरिक तरीके से खेती हुआ करती थी। इसके चलते कृषि उत्पादन लचर ही था। आजादी के बाद से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए। कृषि उत्पादन भी बढ़ा। इसी तरह दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए साल 1970 से ऑपरेशन फ्लड चलाया गया, जिसे श्वेत क्रांति या दुग्ध क्रांति के नाम से जाना जाता है। यह ऑपरेशन 3 चरणों में साल 1996 चल चला। इसका परिणाम हुआ कि भारत में दूध का उत्पादन तेजी से बढ़ गया और हम एक्सपोर्ट तक करने लगे। PIB के आंकड़े बताते हैं कि देश में दूध का उत्पादन कई गुना बढ़ गया है।

तेजी से बढ़ा दूध का उत्पादन

  • 1950-51 में दूध का उत्पादन मात्र 17 मिलियन टन था।
  • ऑपरेशन फ्लड से पहले 1968-69 में ये 21.2 मिलियन टन था।
  • 1979-80 तक उत्पादन बढ़कर 30.4 मिलियन टन हो गया।
  • 2022-23 में ये बढ़कर 230.58 मिलियन टन हो गया है।
    • सोर्स- PIB

किसानों के सामने भी संकट

भारत को कृषि प्रधान और ग्राम्य प्रधान देश माना जाता है। क्योंकि हमारी करीब 72 फीसदी जनसंख्या गांवों में रहती है। इसमें से 60 फीसदी लोग किसी न किसी तरह से कृषि से जुड़े हैं। दुग्ध उत्पादन से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि हर दो में से एक घर डेयरी उद्योग या उत्पादन से जुड़ा है। यही परिवार देश के लिए कुल 70 फीसदी दूध का उत्पादन करते हैं। सबसे बड़ी बात कि ये वो किसान हैं जिन्हें कृषि की भाषा में छोटे/ सीमांत/ भूमिहीन कहा जाता है। क्योंकि, मवेशियों को पालने के लिए जमीन की उपलब्धता जरूरी नहीं है। हालांकि, लगातार बूम कर रहे इस उद्योग में मिलावट बढ़ने के साथ इन किसानों के सामने भी संकट आ रहा है।

भारत में दूध उत्पादन के आंकड़े

भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर आता है। हम दुनियाभर में 24.64 प्रतिशत का योगदान देते हैं। ये सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों और किसानों को मिल रहे फायदे के कारण हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि साल दर साल भारत में दूध का उत्पादन बढ़ा है। 2014-15 में देश 146.31मिलियन टन दूध का उत्पादन करता था। ये 2022-23 में बढ़कर 230.58 मिलियन टन हो गया। इन आंकड़ों में सबसे अधिक योगदान उत्तर प्रदेश का है जहां 16.21 प्रतिशत दूध का उत्पादन होता है।

दूध उत्पादन के राज्यवार हिस्सा
राज्यदूध उत्पादन में हिस्सा
उत्तर प्रदेश16.21%
राजस्थान14.51%
मध्य प्रदेश8.91%
गुजरात7.67%
महाराष्ट्र  6.71%
पंजाब5.85%
आंध्र प्रदेश5.85%
कर्नाटक5.36%
बिहार5.37%
हरियाणा5.11%

देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता

डाउन टू अर्थ में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर आदमी के लिए रोजाना औसतन 471 ग्राम दूध उपलब्ध है। ये आंकड़ा 10 साल पहले से 53 फीसदी अधिक है। ये 2022-23 के मुकाबले भी कहीं ज्यादा है। पिछले साल यानी 2022-23 के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 459 ग्राम थी। राज्यों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा दूध पंजाब के लोगों के लिए उपलब्ध है। पंजाब के लोगों के पास प्रति व्यक्ति 1,245 ग्राम दूध उपलब्ध है, जो भारत के रोजाना औसत से 3 गुना है। 1171 ग्राम के साथ राजस्थान दूसरे नंबर पर और 1105 ग्राम के साथ हरियाणा तीसरे नंबर पर है।

वहीं सबसे कम दूध की उपलब्धता की बात की जाए तो दादर-नगर हवेली और दमन-दीव में 4 ग्राम, लक्षद्वीप में 15 ग्राम, पुडुचेरी में 83 ग्राम प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता है। ये तो रही केंद्र शासित प्रदेशों की बात। अगर राज्यों की बात करें तो अरुणाचल में 35 ग्राम, असम में 84 ग्राम, मणिपुर में 54 ग्राम, मेघालय में 79 ग्राम, मिजोरम में 56 ग्राम, नागालैंड में 65 ग्राम दूध की उपलब्धता है। सबसे बड़ी और खास बात की देश की राजधानी दिल्ली में हर आदमी के लिए रोजाना महज 62 ग्राम दूध ही उपलब्ध है।

उत्पादन और उपलब्धता में काफी अंतर

भारत में राज्यवार दूध के उत्पादन और वहां के नागरिकों के लिए उसकी उपलब्धता के आंकड़ों में काफी अंतर है। सबसे ज्यादा दूध उत्पादन वाले उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए महज 450 ग्राम यानी आधे किलों से भी कम दूध रोजाना उपलब्ध है। वहीं सबसे ज्यादा दूध उपलब्धता वाले पंजाब की उत्पादन में रैंकिंग छठे नंबर की है।

उत्पादन और उपलब्धता में अंतर
प्रदेशउत्पादन में हिस्साउपलब्धता
उत्तर प्रदेश16.21%450 ग्राम
राजस्थान14.51%1171 ग्राम
मध्य प्रदेश8.91% 673 ग्राम
गुजरात7.67%700 ग्राम
महाराष्ट्र6.71%347 ग्राम
पंजाब5.85%1245 ग्राम
आंध्र प्रदेश5.85%719 ग्राम
कर्नाटक5.36%543 ग्राम
बिहार5.37%277 ग्राम
हरियाणा5.11%1105 ग्राम

वैश्विक औसत में भारत आगे, GDP को सपोर्ट

केवल ऐसा नहीं है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक दूध का उत्पादन करता है। हमारा देश इस मामले दुनिया के औसत से ज्यादा वृद्धि भी कर रहा है और भारी मात्रा में अपने निर्यात को भी बढ़ा रहा है। साल 2014-15 से देश में दूध का उत्पादन 5.85% की चक्रवृद्धि की दर से बढ़ रहा है। वहीं इस मामले में दुनिया का औसत महज 2 फीसदी है। इसी का परिणाम है कि हमारा एक्सपोर्ट भी बढ़ रहा है और लोगों को इंडियन मिल्क पाउडर, घी, मक्खन, और चीज खास पसंद आ रहे हैं। इससे GDP को सपोर्ट मिल रहा है। हालांकि, अभी भी हम प्रति पशु औसत दूध उत्पादन से पीछे हैं।

निर्यात और उत्पादन

  • 2014 से 2023 तक 5.85% की दर से वृद्धि
  • 2022-23 में निर्यात से 2,958.13 करोड़ रुपये की आय
  • 8 करोड़ से अधिक किसानों को सीधा रोजगार
  • डेयरी क्षेत्र का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% योगदान
  • दूध निर्यात के मामले में भारत 48वें स्थान पर है

आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में दूध का खासा उत्पादन हो रहा है लेकिन अभी भी हम कई मानकों में पीछे हैं। इसके बाद भी यहां के दूध का स्वाद विदेशों में जमकर पसंद किया जा रहा है। इस कारण करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा हमें हर साल मिल रही है जो GDP में अपना अहम योगदान दे रही है।

दुग्ध उत्पादों के फायदे

दूध से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। जैसे- पनीर, दही, मक्खन, क्रीम, घी, छाछ, मट्ठा, आइसक्रीम। इन्हें ही डेयरी उत्पाद कहा जाता है. इनके अलग-अलग फार्म में भरपूर पोषण होता है। इनमें अलग-अलग तत्व होते हैं जो हर शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाते हैं। दूध और डेयरी उत्पादों में कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है जो हड्डियों और दांतों के लिए फायदेमंद होता है। कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन भी इससे शरीर को मिलते हैं। इसी कारण डॉक्टर सुबह-शाम दूध पीने की सलाह भी देते हैं। हालांकि, दूध और इसके बाई प्रोडक्ट में भारी मात्रा में मिलावट भी होती है जो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

मिलावट के गंभीर आंकड़े

FSSAI ने 2023 में कुछ आंकड़े जारी किए थे। ये बताते हैं कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक है इसके बाद भी यहां के लोगों को शुद्ध दूध पीने के लिए नहीं मिल पाता है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने बताया कि साल 2018 में हुई जांचों में प्रोसेस्ड यानी पैकेट बंद दूध के 37.7% नमूनों को गुणवत्ता मानकों पर फेल मिले थे। 2018 में मई से अक्टूबर तक भारत के 1,103 शहरों से 6,432 नमूने लिए थे। इनमें से 40.5% पैकेटबंद सैंपल और खुला माल था। इतना बड़ा सर्वेक्षण देश में पहली बार कराया गया था। कुल 6,432 सैंपल में से सिर्फ 12 में यूरिया, डिटर्जेंट, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड और न्यूट्रालाइजर मिला था। वहीं 368 सैंपलों में एफ्लाटॉक्सिन एम1 जबकि 77 में एंटीबॉयोटिक मिला था। वहीं 1255 सैंपल में फैट, 2167 में एसएनएफ, 156 में माल्टोडक्से ट्रिन और 78 में शुगर की मात्रा पाई गई थी। महज एक पैकेट दूध में कीटनाशक मिला था। FSSAI के आंकड़े बताते हैं कि इतनी मिलावट के बाद भी 93 फीसदी दूध पीने लायक था।

मिलावट में ये राज्य अव्वल

2024 में संसद में एक सवाल का उत्तर देते हुए केंद्र सरकार ने बताया था कि नकली दूध के कारोबार के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश, केरल और तमिलनाडु से पकड़े गए हैं। स्वास्थ्य परिवार स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने अगस्त 2024 में आंकड़े पेश करते हुए बताया कि 2023-24 में 16 हजार सैंपल पॉजिटिव पाए गए थे। तमिलनाडु में 2200 से ज्यादा मामले पकड़ में आए थे। वहीं केरल में 1300 सैंपल पॉजिटिव मिले थे। 2022-23 और 2021-22 में भी इन्हीं तीन राज्यों में ज्यादा मामले सामने आए हैं। बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब और मध्यप्रदेश में भी कई मामले पकड़े गए हैं। ये आंकड़े त्योहारी सीजन में ज्यादा बढ़ जाते हैं।

भारत में कुपोषण का हाल

आंकड़े बताते हैं कि भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। इसके पीछे गंदगी, स्वच्छ पानी तक पहुंच की कमी, संक्रमण की बीमारी, स्वास्थ्य आहार की महंगाई, जागरूकता की कमी के साथ नशा मुख्य कारण हैं। साल 2023 में आई ग्लोब हंगर इंडेक्स का रिपोर्ट बताती है कि देश में करीब 16.6 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है। वहीं 5 साल से कम के 35.5 फीसदी बच्चों का सही से विकास नहीं हो पाता है। जबकि, देश में 25 फीसदी पुरुष और 57 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। कुपोषण के कारण देश में हर साल करीब 8.8 लाख बच्चों (5 साल से कम) की मौत हो जाती है। ये गंभीर गंभीर हालात कही न कही इसी कारण है कि देश में हर वर्ग को सही पोषण नहीं मिल पाता। इसमें से दूध के सबसे प्रमुख तत्व है।

देश में कुपोषण

  • 16.6% आबादी कुपोषण से पीड़ित
  • 5 साल से कम के 35.5% बच्चों में सही विकास नहीं
  • 15-49 साल की महिलाओं में कुपोषण का स्तर 18.7%
  • पुरुषों में 25% और महिलाओं में 57% एनीमिया
  • बच्चों की वेस्टिंग दर 18.7% है
  • 9.6% बच्चों को ही न्यूनतमआहार मिल पाता है
  • हर साल कुपोषण के कारण 5 साल से कम के 8.8 लाख बच्चों की मौत

कैसे करें मिलावटी दूध की पहचान?

कुपोषण है सेहत को होने वाली हानि से बचने के लिए जरूरी है कि आप नकली दूध और उससे बनने वाले प्रोडक्ट की पहचान कर सकें। इसके लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं। बाजार में कुछ मीटर और मशीने हैं जो आसानी से नकली-असली के साथ दूध में मिलावट की पहचना करते आपको बता देंगे। वहीं कुछ जानी मानी टिप्स भी हैं जिनके जरिए आप प्राथमिक तौर पर दूध की पहचान कर सकते हैं।

खोया क्वालिटी से जांचे दूध की क्वालिटी

  • अगर खोया मोटा, रूखा है, तो दूध में मिलावट है।
  • अगर खोया सॉफ्ट है तो दूध की क्वालिटी अच्छी है।
  • अगर खोया तैलीय है, तो दूध अच्छी क्वालिटी का है।
  • अगर खोया पत्थर जैसा ठोस है तो दूध सिंथेटिक है।

स्टार्च की मिलावट

  • 5 मिली दूध में दो चम्मच नमक या आयोडीन मिला दें।
  • अगर दूध का रंग नीला हो गया तो दूध में स्टार्च की मिलावट है।

दूध की शुद्धता

  • असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है।
  • नकली दूध का स्वाद कसैला या बेस्वाद हो सकता है।

दही जमाकर टेस्ट

  • शुद्ध दूध से दही अच्छी तरह जमता है।
  • मिलावटी दूध से दही पतला और पानी जैसा हो जाएगा।

बूंद परीक्षण

  • सतह पर दूध की एक बूंद गिराएं
  • बूंद धीरे-धीरे बही है और निशान छोड़ती है तो दूध शुद्ध है।
  • अगर बूंद बिना निशान छोड़े से बह गई तो दूध में पानी मिला है।

झाग परीक्षण

  • दूध को एक साफ बर्तन में लेकर हिलाएं।
  • अगर झाग जल्दी गायब हो जाता है तो दूध शुद्ध है।
  • अगर झाग टिका रहता है तो दूध में कुछ मिला है।

तकनीकी का सहारा

  • दूध और उसके प्रोडक्ट की सही जांच लैब से हो सकती है।
  • इसके अलावा लैक्टोमीटर से दूध के घनत्व का माप सकते हैं।

सफेद दूध का काला सच

उत्पादन, उपभोग, निर्यात से साफ है कि भारत श्वेत क्रांति के बाद से दूध और उसके उत्पादों के मामले में काफी आगे है। हम विदेशों से नाम मात्र के बराबर इन प्रोडक्ट का आयात करते हैं। हालांकि उत्पादन की तुलना में हमारा एक्सपोर्ट ये बताता है कि देश में लोगों के लिए बेहतर क्वालिटी का दूध नहीं मिल पाता है। क्योंकि बड़ी कंपनियों को मिलावटी दूध नहीं बेचा जा सकता है। ऐसे में लोकल उपभोक्ता की जरूरत को पूरा करने के लिए मिलावट की जाती है। यही वजह है कि गुर्दे के रोग, कैंसर, चर्म रोग (त्वचा रोग) और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि दूध में मिलावट के प्रति सजग रहें और कही भी ऐसी आशंका होने पर खाद्य विभाग को इसकी सूचना दें।

Author

  • श्यामदत्त चतुर्वेदी - दायित्व मीडिया

    श्यामदत्त चतुर्वेदी, दायित्व मीडिया (Dayitva Media) में अपने 5 साल से ज्यादा के अनुभव के साथ बतौर सीनियर सब एडीटर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इससे पहले इन्होंने सफायर मीडिया (Sapphire Media) के इंडिया डेली लाइव (India Daily Live) और जनभावना टाइम्स (JBT) के लिए बतौर सब एडिटर जिम्मेदारी निभाई है। इससे पहले इन्होंने ETV Bharat, (हैदराबाद), way2news (शॉर्ट न्यूज एप), इंडिया डॉटकॉम (Zee News) के लिए काम किया है। इन्हें लिखना, पढ़ना और घूमने के साथ खाना बनाना और खाना पसंद है। श्याम राजनीतिक खबरों के साथ, क्राइम और हेल्थ-लाइफस्टाइल में अच्छी पकड़ रखते हैं। जनसरोकार की खबरों को लिखने में इन्हें विशेष रुचि है।

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