#लाइफ स्टाइल

किचन से कैंसर के इलाज पर सिद्धू ने अपनी बात कही, उनकी आजाद आवाज नहीं दबा सकते, PIL खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

Dayitva Media- sidhu claim-1
Getting your Trinity Audio player ready...

– गोपाल शुक्ल:

अपने जमाने के ओपनर बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू के दावे के खिलाफ जो अपील की गई थी, अदालत ने उसे खारिज कर दिया। नवजोत सिंह सिद्धू ने कैंसर को घरेलू उपचार से ठीक करने का जो दावा किया था, उसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी गई कि देश में अब भी बोलने की आजादी कायम है। लिहाजा उन्होंने जो कुछ भी कहा वो उनकी अपनी बात थी। लिहाजा जिसे आपत्ति है वो उसका जवाब उन्हें दे सकता है।

याचिका सुनने से हाईकोर्ट का इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू के कैंसर के घरेलू उपचार के दावे के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से ही इनकार कर दिया। कुछ अरसा पहले ही सिद्धू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये दावा किया था कि कुछ घरेलू उपचारों और एक खास दिनचर्या को अपनाने से उनकी पत्नी को फोर्थ स्टेज के कैंसर से लड़ने में मदद मिली और वे अब पूरी तरह ठीक हो गई हैं। सिद्धू के इस दावे के खिलाफ कोर्ट में कुछ दवा कंपनियों और डॉक्टरों ने मिलकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। बुधवार को कोर्ट ने यह कहते हुए उस याचिका पर विचार करने से ही इंकार कर दिया कि देश में अब भी अभिव्यक्ति की आजादी है।

बोलने की आजादी पर अंकुश नहीं लगा सकते

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने बस अपना विचार व्यक्त किया था और याचिकाकर्ता भी अपना प्रतिदावा करने के लिए स्वतंत्र है। पीठ ने कहा, सिद्धू बस अपना विचार रख रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उनके दावे पर जवाब दीजिए। अभिव्यक्ति की आज़ादी का जवाब अपनी बात कहने की आजादी से दीजिए। न कि कानूनी कार्रवाई या अवमानना के डर से उनकी बोलने की आजादी पर अंकुश लगाकर। इस देश में अब भी बोलने की आजादी है।

देश में अभी भी बोलने की आजादी

पीठ ने यह भी कहा कि, ‘‘आप यह नहीं कह सकते कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया जाए। आप उनके दावे का जवाब दीजिए। यह हमारा क्षेत्राधिकार नहीं है। यदि आप इस सज्जन के विचारों से सहमत नहीं हैं, तो उनकी बात न सुनें। ऐसी बहुत सी पुस्तकें हैं जो आपको खराब लग सकती हैं, उन्हें न पढ़ें। आपको उन्हें पढ़ने के लिए कौन कह रहा है? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि उन्हें अदालत में लाकर और अवमानना के डर से रोक दिया जाए।

कोर्ट ने याचिका पर गौर करने से किया इंकार

हाई कोर्ट के यह साफ करने पर कि इस रिट याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि, हम इस रिट याचिका पर गौर नहीं कर सकते। हजारों लोग दावा करते हैं कि वे किसी चीज से ठीक हो गये लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं है कि आप उनके विरूद्ध कार्रवाई की मांग करेंगे। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि वह कैंसर के शत प्रतिशत इलाज संबंधी सिद्धू के दावे के खिलाफ हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या तुलसी और अश्वगंधा फोर्थ स्टेज के कैंसर को पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं।

घरेलू इलाज से हराया फोर्थ स्टेज का कैंसर

बता दें कि पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने 21 नवंबर को अमृतसर में एक प्रेस वार्ता की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने फोर्थ स्टेज के कैंसर को हरा दिया है। मेडिकल साइंस में जो संभव नहीं वो कमाल उन्होंने कैसे किया इसे लेकर सिद्धू ने बताया कि उनकी पत्नी के ठीक होने में खान-पान और जीवनशैली में बदलाव की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने बताया था कि घरेलू उपचार के दौरान उनकी पत्नी के खाने में नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब साइडर सिरका, नीम के पत्ते, तुलसी, कद्दू, अनार, आंवला, चुकंदर और अखरोट जैसी चीजें शामिल की गई थीं। उनके इस दावे पर कई कैंसर स्पेशेलिस्ट ने सवाल उठाए थे जिसके जवाब में सिद्धू ने 25 नवंबर को स्पष्ट किया कि सख्त डाइट प्लान उन्होंने डॉक्टरों के परामर्श से ही लागू किया था और इसी से इलाज में मदद मिली।

Sidhu pc-1 - Dayitva Media

सिद्धू को 850 करोड़ के मुआवजे का नोटिस

इस बीच कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर को एक नोटिस सौंपा गया है। नवजोत कौर को कैंसर हुआ था। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि उनकी पत्नी का कैंसर चौथी स्टेज तक पहुंच गया था। उनके मुताबिक डॉक्टरों ने कहा था कि उनके बचने की संभावना बहुत कम है लेकिन उन्होंने ‘पारंपरिक इलाज’ से पत्नी को बचा लिया। अब इसी को लेकर एक समूह ने नवजोत कौर को 850 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा है।

दावे के समर्थन में सबूत पेश करने को कहा

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवजोत कौर को सात दिनों के भीतर सिद्धू के जरिए किए गए दावों के समर्थन में सबूत पेश करने को कहा गया है। ऐसा न करने पर उन्हें भ्रामक दावे करने के लिए 850 करोड़ रुपये का मुआवजा देने को कहा गया है। अपने नोटिस में CCS ने नवजोत कौर से कुछ सवाल पूछे हैं:

  • क्या आप अपने पति (सिद्धू) द्वारा आपके स्वास्थ्य और सुधार के संबंध में किए गए दावों का समर्थन करती हैं?
  • क्या आप मानती हैं कि आपके द्वारा इलाज के लिए ली गई एलोपैथिक दवाओं का कोई असर नहीं हुआ?
  • क्या आपने अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए केवल नीम के पत्ते, नींबू पानी, तुलसी और हल्दी जैसी चीजें ही खाईं, या आपने एलोपैथिक दवाओं का भी सेवन किया?

सिद्धू के दावे ने कैंसर रोगियों की जान खतरे में डाली

CCS ने अपने नोटिस में आगे लिखा,”सिद्धू के दावों में एलोपैथिक दवा और उपचार के प्रति लोगों के मन में नकारात्मकता पैदा करने की क्षमता है। ये कैंसर रोगियों को बीच में ही दवा छोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है, जिससे उनकी जान को खतरा और बढ़ गया है।”

सिद्धू पर गलत सूचना देने का आरोप

CCS ने कहा कि अगर नवजोत कौर ने एक हफ्ते के भीतर अपने दावों के हक में ठोस सबूत पेश नहीं किए तो वो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नोटिस में ये भी कहा गया है कि ‘गलत सूचना’ की वजह से मरीजों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है। लिहाजा नवजोत कौर अपने पति के बयान पर अपना रुख स्पष्ट करें।

नवजोत सिंह सिद्धू के दावे

बीती 21 नवंबर को मीडिया से बात करते हुए सिद्धू ने दावा किया था कि कुछ उपायों की वजह से उनकी पत्नी को स्टेज 4 के कैंसर से लड़ने में मदद मिली। सिद्धू ने बताया था कि डॉक्टरों ने ये तक कह दिया था कि उनकी पत्नी के पास जीने के लिए केवल 40 दिन ही बचे हैं। सिद्धू ने कैंसर की तुलना “इन्फ्लेमेशन” से करते हुए कहा था कि ऐसी सूजन दूध, गेहूं, मैदा और चीनी से खाने से होती है। उन्होंने ऐसा खाना छोड़ने से कैंसर ठीक होने का दावा किया था।

ये भी पढ़ें: 

Author

  • गोपाल शुक्ल - दायित्व मीडिया

    जुर्म, गुनाह, वारदात और हादसों की ख़बरों को फुरसत से चीड़-फाड़ करना मेरी अब आदत का हिस्सा है। खबर का पोस्टमॉर्टम करने का शौक भी है और रिसर्च करना मेरी फितरत। खबरों की दुनिया में उठना बैठना तो पिछले 34 सालों से चल रहा है। अखबार की पत्रकारिता करता था तो दैनिक जागरण और अमर उजाला से जुड़ा। जब टीवी की पत्रकारिता में आया तो आजतक यानी सबसे तेज चैनल से अपनी इस नई पारी को शुरु किया। फिर टीवी चैनलों में घूमने का एक छोटा सा सिलसिला बना। आजतक के बाद ज़ी न्यूज, उसके बाद फिर आजतक, वहां से नेटवर्क 18 और फिर वहां से लौटकर आजतक लौटा। कानपुर की पैदाइश और लखनऊ की परवरिश की वजह से फितरतन थोड़ा बेबाक और बेलौस भी हूं। खेल से पत्रकारिता का सिलसिला शुरू हुआ था लेकिन अब तमाम विषयों को छूना और फिर उस पर खबर लिखना शौक बन चुका है। मौजूदा वक्त में DAYITVA के सफर पर हूं बतौर Editor एक जिम्मेदारी का अहसास है।

    View all posts
किचन से कैंसर के इलाज पर सिद्धू ने अपनी बात कही, उनकी आजाद आवाज नहीं दबा सकते, PIL खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

काश! 14 साल पहले 85 पैसे लगा

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *