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– श्यामदत्त चतुर्वेदी
हाईलाइट
- चुनावों में बढ़ जाता है कैश का फ्लो
- सुर्खियों में महाराष्ट्र का कैश कांड
- महाराष्ट्र-झारखंड में भारी जब्ती
- पिछले चुनाव के मुकाबले 7 गुना ज्यादा कैश बरामद
- जानें कहां जाते हैं ये जब्त किए पैसे?
चुनाव और कैश हमारे देश में जैसे एक दूसरे के पूरक बन गए हैं। जब-जब चुनाव आते हैं कैश का बाजार भी उछल पड़ता है। ग्राम सभा के चुनाव हो या आम चुनाव कैश का ही राज हर जगह होता है। सबसे बड़ी और खास बात ये कि इसके बारे में पता सभी को होता है पर इस सच से इनकार हर कोई करता है। हालांकि, इन सब पर डंडा चलाने के लिए फिर चुनाव आयोग खड़ा हो जाता है। कुछ यही हाल महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में रहा जहां भारी मात्रा में कैश बरामद किया गया। BJP के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर नालासोपारा में पैसे बांटने के आरोप लगने के बाद चुनावी कैश का मुद्दा फिर से गरमा गया। ऐसे में आइये जानते हैं कि इन चुनावों में कब, कहां और कितना कैश बरामद किया गया और आखिर इस कैश का चुनावों के बाद होता क्या है?
चुनाव आते ही आपने सोशल मीडिया पर प्रलोभन और पैसे बांटने के तमाम वीडियो वायरल होते देखे होंगे। इसमें से कई तो फर्जी होते हैं। वहीं कई सही भी होते हैं। मामला उजागर होने के बाद इन पर चुनाव आयोग का चाबुक चलता है। इसके बाद भी हमारे देश में दबे पांव चुनावों में कैश के उपयोग होता रहता है। इसमें अकेले सियासी दलों और नेताओं की गलती नहीं है। इसके लिए जनता भी उतनी ही जिम्मेदार है जो इस तरह से मतदान करती है।
महाराष्ट्र कैश कांड
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले BJP महासचिव विनोद तावड़े पर नालासोपारा में पैसे बांटने के आरोप लगे हैं। इसको लेकर सियासत गरमा गई है। मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने मामले में कुल 3 FIR दर्ज कर की है। इसमें से 2 में BJP प्रत्याशियों के नाम शामिल है। वहीं तावड़े का नाम एक FIR में ही है। रिपोर्ट के अनुसार, 9 लाख 53 हजार 900 रुपये चुनाव अधिकारियों ने जब्त किए है। इसे के साथ ये मामला महाराष्ट्र ही नहीं अन्य चुनावी राज्य झारखंड के साथ ही पूरे देश में गरम हो गया है।
महाराष्ट्र में की गई जब्तियां
प्रदेश में चुनावों के ऐलान से लेकर 9 नवंबर तक पुलिस और चुनाव आयोग की टीम ने करीब 280 करोड़ रुपये जब्त किए है। इसका बड़ा हिस्सा अकेले मुंबई और उससे सटे इलाकों में जब्त किया गया है। ये पिछले चुनावों के मुकाबले कई ज्यादा है। क्योंकि, पिछले चुनाव में 73.11 करोड़ नकद के साथ 37.98 करोड़ की शराब, 37.76 करोड़ की ड्रग्स और 90 करोड़ की अन्य चीजें जब्त की गईं थीं। इस साल के आंकड़े और भी अधिक बढ़ सकते हैं। हालांकि, इसके बारे में चुनाव आयोग की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
- रोहित पवार की कंपनी बारामती एग्रो के एक अधिकारी मोहिते को पैसे बांटते हुए पकड़ा गया
- पालघर में पुलिस ने एक कार जब्त की है जिसमें 3 करोड़ 70 लाख रुपये बरामद हुए
- नासिक के एक होटल से 1.98 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई
- मुंबई पुलिस ने साउथ मुंबई में 2.3 करोड़ रुपये नकद जब्त किए
- कालबादेवी इलाके में 12 लोगों को गिरफ्तार कर उनसे बड़ी मात्रा में कैश बरामद किया गया
- ऐरोली इलाके में प्रेशर कुकर से भरा वाहन पकड़ा गया
- मीरा, भयंदर, वसई और विरार इलाकों के अलग-अलग मामलों में भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ
- मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर नाकाबंदी के दौरान के दौरान 1.50 करोड़ रुपये मिले
- इसके अलावा चुनावों के ऐलान से पहले भी भारी मात्रा में बिना हिसाब का कैश बरामद किया गया
झारखंड में की गई जब्तियां
साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में झारखंड में 18.76 करोड़ रुपये की जब्ती की गई थी। जो इस बार काफी अधिक बढ़ गई है। अभी तक सामने आए आंकड़ों के अनुसार झारखंड में सबसे अधिक 152 करोड़ रुपये के गिफ्ट पकड़े गए है। वहीं कैश जब्ती में भी करीब 7 गुना बढ़ोतरी हुई है।
- ED ने अवैध खनन सामग्री और मशीनों को जब्त किया है
- साहिबगंज जिले के राजमहल में 2.26 करोड़ रुपये की अवैध खनन सामग्री जब्त की गई
- डाल्टनगंज में 687 किलोग्राम पोस्ता भूसा और हजारीबाग में 48.18 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया
- दुमका विधानसभा प्रभारी सत्येंद्र कुमार को चार लाख इकसठ हजार रुपयों के साथ पकड़ा
- झारखंड ले सटे पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट रेलवे स्टेशन 50 लाख रुपये कैश बरामद
- लोहरदगा जिले के कुड़ू थाना क्षेत्र में बकरी लदे वाहन से एक लाख 91 हजार कैश बरामद
- गिरिडीह में टायर में अजीबो-गरीब तरीके से छुपा कर रखे गए 25 लाख कैश बरामद
- चुनाव के ऐलान से पहले CBI ने 20 जगहों पर छापा मारकर 16 जिंदा कारतूस और 50 लाख कैश जब्त किए थे
कहां जाते हैं ये जब्त किए पैसे?
चुनाव के दौरान कैश जब्त किया जाता है। यह नकद, सोने-चांदी की ज्वेलरी, शराब और नकली नोट के रूप में हो सकता है। चुनाव के दौरान जब्त किया गया कैश या नगदी आयकर विभाग के हवाले कर दी जाती है। चुनावों के बाद जिस व्यक्ति से इसे जब्त किया जाता है वो उसे वापस लेने के लिए दावा कर सकता है। इसके लिए उस पैसे की वैधता को साबित करना होता है। अगर जब्त किए गए माल की वैधता साबित नहीं होती है तो इसे सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है।