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– श्यामदत्त चतुर्वेदी
तुझे मेरी जरूरत है, मुझे तेरी जरूरत है।
दोनों के दरमिया..जरूरत की जरूरत है।
किसी शायर की लिखी ये लाइनें इन दिनों इन दिनों भारत और श्रीलंका के संबंधों को लेकर एकदम सटीक बैठ रही हैं। क्योंकि, हाल ही में श्रीलंका में सरकार का गठन हुआ है। इसमें राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भारत से संबंध रखने वाली और दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाली हरिनी अमरसूर्या को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। इस कारण कहा जा रहा है कि अनुरा कुमारा ने प्रधानमंत्री की नियुक्ति भारत के साथ संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए किया है। इससे जाहिर होता है कि श्रीलंका को भारत के साथ संबंध रखना कितना जरूरी है। हालांकि, भारत के लिए भी श्रीलंका काफी मायने रखता है। इस कारण दोनों देश ही एक दूसरे के लिए काफी जरूरी हो जाते हैं। आइये समझने की कोशिश करते हैं दोनों देशों के लिए एक दूसरे का साथ क्यों, कितना और कैसे जरूरी है?
चुनावों ने दिखाई श्रीलंका को नई दिशा
बता दें बिगड़े आर्थिक हालातों के बाद श्रीलंकाई सरकार ने देश के दिवालिया होने की घोषणा की। इसके बाद लाखों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और गोटबाया राजपक्षे को हटाकर ही दम लिया। इसके बाद 21 सितंबर 2024 को राष्ट्रपति चुनाव हुए। इसमें अनुरा कुमारा दिसानायके को जीत मिली। इसके बाद नवंबर में संसदीय चुनाव कराए गए जिसमें अनुरा कुमारा के गठबंधन को जीत मिली। अब देश कैबिनेट के गठन के साथ हरिनी अमरसूर्या को प्रधानमंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही भारत-श्रीलंका के संबंधों और उसपर प्रभावों को लेकर चर्चा हो रही है।
भारत के लिए श्रीलंका क्यों जरूरी?
- श्रीलंका, हिन्दमहासागर में भारत के दक्षिणी तट के पास एक महत्वपूर्ण द्वीप देश है। यह व्यापार और सैन्य संचालन के लिए एक अहम जलमार्ग पर मौजूद है। इसकी रणनीतिक स्थिति इसे एशिया के अन्य देशों के लिए भी महत्वपूर्ण बनाती है।
- इसका भूगोल भारत की नौसेना और सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। बंगाल की खाड़ी से अरब सागर की ओर जाने वाले नौसैनिक बेड़े को श्रीलंका के जलमार्ग से गुजरना पड़ता है। इस कारण से यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं। भारत श्रीलंका का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच व्यापार में विविधता है, जिसमें वस्त्र, कृषि उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कई व्यापारिक समझौते भी किए गए हैं।
- श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति के कारण यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी महत्वपूर्ण है। चीन ने हमेशा श्रीलंका को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है। यह भारत के लिए रणनीतिक चुनौती बन जाता है। क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत श्रीलंका के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश करता है।
- भारत और श्रीलंका के बीच बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई संपर्क की एक लंबी विरासत है। बौद्ध धर्म का श्रीलंका में गहरा प्रभाव है और यह भारत के बौद्ध समुदायों से गहराई से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भाषाई आदान-प्रदान भी काफी पुराना है।
श्रीलंका के लिए भारत क्यों जरूरी?
राजपक्षे की सरकार के दौरान श्रीलंका और चीन के बीच संबंधों में खासा इजाफा हुआ। चीन ने बड़े पैमाने पर श्रीलंका को कर्ज दिया, लेकिन इन कर्जों ने देश की आर्थिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया। अप्रैल 2022 में, श्रीलंका ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था। उस समय देश पर 51 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज था। इस कारण भारत श्रीलंका के लिए जरूरी हो जाता है।
- देश में आए आर्थिक संकट से निपटने में भारत ने भी श्रीलंका को काफी मदद पहुंचाई। भारत ने 4 अरब डॉलर से अधिक की सहायता की जिससे श्रीलंका को राहत मिली। अभी देश की स्थिति सुधरी नहीं है। इस कारण श्रीलंका भारत से संबंध खराब नहीं करना चाहेगा।
- दिसानायके के लिए भारत के साथ संबंध खराब करना आसान नहीं है। ऐसा करने से उनकी अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है। जनता ने उन्हें आर्थिक स्थिति सुधारने के वादे पर सत्ता सौंपी है, इसलिए भारत के साथ बेहतर संबंध बनाए रखना उनकी मजबूरी बन गई है।
- चीन के बाद भारत, श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। विशेष रूप से पेट्रोलियम आपूर्ति के लिए श्रीलंका भारत पर निर्भर है। अगर भारत के साथ संबंध खराब किए गए तो इसका श्रीलंका की सियासत के साथ उनके आम जन जीन पर भी बुरा असर होगा।
चीन को नजरअंदाज करना चुनौती
दिसानायके के लिए भारत और चीन के बीच संतुलन बनाए रखना एक चुनौती है। हालांकि वे चीन को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने यह भी देखा है कि कठिन समय में भारत ने श्रीलंका का साथ दिया। इसलिए उनकी सरकार के लिए भारत से अच्छे रिश्ते बनाए रखना प्राथमिकता है, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर भारत से सहायता मिल सके। चीन से पहले भारत को प्राथमिकता देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जनता के एक बड़े धड़े का मानना है कि देश की बिगड़ी हालत के लिए चीन जिम्मेदार है।
अनुरा कुमारा दिसानायके पर शंका क्यों?
दिसानायके जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पार्टी से जुड़े हैं। इसी दल ने श्रीलंका में दो प्रमुख हिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया है। पहला विद्रोह 1971 में और दूसरा 1987 से 1989 के बीच हुआ। दोनों विद्रोह को दबाने के लिए भारत ने श्रीलंका की मदद की थी। इस कारण इस दल के लोग भारत को अपने विरोधी के रूप में देखते आए हैं। हालांकि, दिसानायके के दौर में दृष्टिकोण बदली है। वो भारत को महत्वपूर्ण सहयोगी मानते हैं। इसी कारण उन्होंने 2023 में भारत का दौरा किया था।