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– साहिल सिंह
क्या झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों से देश में आगे की राजनीति का रोडमैप तैयार होगा..? यह सवाल यूं ही नहीं उठा है। महाराष्ट्र और झारखण्ड के विधानसभा चुनाव इस साल के आखिरी चुनाव होंगे। इससे पहले जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और देश के आम चुनाव भी इसी साल हुए हैं। इसके बाद सभी राजनीतिक दल 2025 में होने वाले चुनावों की तैयारी करेंगे। देश के दो प्रमुख दलों की बात करें तो महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव बीजेपी और कांग्रेस की दिशा और दिशा तय करेंगे।
हाल ही में हुए आम चुनाव और उसके बाद हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का मनोबल मजबूत हुआ है। बीजेपी ने हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्लीन स्वीप किया है। इससे पहले आम चुनाव में भी बीजेपी तीसरी बार सत्ता पर काबिज रहने में सफल रही है। हालांकि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को सत्ता हासिल नहीं हुई, लेकिन बीजेपी ने अपने वोट शेयर में सुधार जरूर किया है।
2025 के चुनावी राज्य
महाराष्ट्र और झारखण्ड चुनावों के बाद 2025 में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव पर पार्टियों की नजर होगी। 2025 में देश की राजधानी दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। दिल्ली के विधानसभा का कार्यकाल 15 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। फरवरी 2025 या उससे पहले राज्य में चुनाव हो सकते हैं।
बिहार के 243 विधानसभा सीटों पर 2025 में चुनाव होने हैं। इसके लिए सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस बार बिहार में एक नई पार्टी जन सुराज की चर्चा है। इसका नेतृत्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे हैं। प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के परिणामों का असर
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 543 सीटों में से 240 सीटें मिली हैं, जो कि 2019 के चुनाव की 303 सीटों से 63 कम हैं, लेकिन हरियाणा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया। 90 सदस्य वाली विधानसभा में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की। हरियाणा के चुनाव परिणामों से बीजेपी को एक बूस्ट मिला है, जिसका असर महाराष्ट्र और झारखण्ड के चुनाव प्रचार में दिख रहा है। हालांकि बीजेपी का असर जम्मू-कश्मीर के चुनाव में इतना खासा दिखाई नहीं दिया, तब भी बीजेपी ने अपने वोट शेयर में काफी सुधार किया है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से पहले जो चुनाव हुए, 2014 के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 23.2 फीसदी था। अब 10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 25.64 फीसदी है।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। हरियाणा की 90 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस का नंबर 37 पर आकर रुक गया। इसके साथ जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस ने सिर्फ 6 सीटें हासिल की हैं। इसका असर महाराष्ट्र और झारखण्ड के सीट बंटवारे में देखने को मिला। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस को 288 में से 90 सीट पर लड़ने का मौका मिला है। झारखण्ड में कांग्रेस 30 सीटों पर चुनावी मैदान में है।
कांग्रेस के हाथ हो रहे हैं कमजोर
देश की सबसे पहली पार्टी और सत्ता में सबसे ज्यादा वक्त गुजारने वाली कांग्रेस पार्टी अपना वर्चस्व कायम रखने में जूझती दिख रही है। सियासत की गलियों में कांग्रेस पार्टी कहीं भटकती नजर आ रही है। आम चुनाव के नतीजे इसका प्रमाण हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 543 में से 99 सीट पर जीत हासिल की है जो पिछले आम चुनाव के आंकड़ों से बेहतर तो है पर पर्याप्त नहीं है।
2023 में हुए 4 बड़े राज्यों के चुनाव में तीन जगह कांग्रेस को हार मिली। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की सरकार थी, फिर भी कांग्रेस को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में हार का सामना करना पड़ा। अलबत्ता तेलंगाना में BRS(भारत राष्ट्र समिति) के गढ़ में सेंध लगाकर कांग्रेस ने सत्ता हासिल की है।
बीजेपी के लिए टास्क
2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी को अपने आपको मजबूत करना होगा। दिल्ली में सत्ता प्राप्ति का लक्ष्य बीजेपी के लिए बहुत बड़ा साबित हो सकता है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की AAP को हराना इतना आसान नहीं होगा।
बिहार राज्य का चुनाव भी बीजेपी और उसके साथी जेडीयू के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस बार बिहार का विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय होगा। NDA और INDIA गठबंधन के अलावा तीसरा मोर्चा प्रशांत ने खोल दिया है। इस त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को अपनी पार्टी की साख भी बचानी है और साथ ही सहयोगी दलों के लिए रास्ता भी रखना है।