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-श्यामदत्त चतुर्वेदी</br>
झारखंड की जनता ने राज्य में अपनी सरकार को लेकर अपना फैसला पूरी तरह से ईवीएम में बंद कर दिया है। हल्की ठंड के बीच झारखंड की जनता 38 सीटों पर अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए दूसरे चरण में वोट डाला। 14 हजार 218 मतदान केंद्रों में से 31 बूथों पर शाम को 4 बजे तक मतदान हुआ। बाकी की सीटों पर शाम 5 बजे तक वोट डाले गए। इस दौरान प्रदेश के 68 फीसदी से ज्यादा लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। दूसरे चरण में जनता ने कुल 528 प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला कर दिया है। झारखंड में पहले चरण के लिए 13 नवंबर को मतदान हुए थे। दूसरे और अंतिम चरण के लिए 20 नवंबर को वोट डाले गए। इसका परिणाम 23 नवंबर को सबके सामने आएगा।
पहले चरण के आंकड़े
13 नवंबर को झारखंड की जनता ने 43 सीटों पर अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए 66 फीसदी से ज्यादा मतदान किया। ये पिछले यानी 2019 के चुनावी आंकड़ों से करीब 3 फीसदी ज्यादा है। सबसे ज्यादा मतदान लोहरदगा की जनता ने किया। प्रदेश के 15 हजार 334 मतदान केंद्रों के नक्सल प्रभाव में आने के बाद भी किसी तरह की हिंसा देखने को नहीं मिली। हालांकि, पश्चिमी सिंहभूम जिले में माओवादियों ने मतदाताओं को रोकना चाहा, लेकिन उन्हें पुलिस ने नाकाम कर दिया। इस चरण में कुल 683 उम्मीदवार (609 पुरुष, 73 महिला, एक अन्य) के किस्मत का फैसला हो गया।
4 सीटों पर महिलाओं का मुकाबला
गांडेय सीट- यह सीट तब सुर्खियों में आई थी, जब सरफराज अहमद ने कथित तौर पर 31 जनवरी को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद कल्पना सोरेन के लिए रास्ता साफ करने के लिए इस्तीफा दे दिया था। भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यह सीट खाली हो गई थी। पद छोड़ने के बाद अहमद को राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया। कल्पना सोरेन ने इस मई में गांडेय विधानसभा उपचुनाव जीता, जिसमें उन्होंने भाजपा के दिलीप कुमार वर्मा को 27,149 मतों के अंतर से हराया। सोरेन का सामना अब भाजपा की मुनिया देवी से है, जो वर्तमान में गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष हैं।
झरिया सीट- झरिया में एक ही परिवार की दो बहुएं पूर्णिमा नीरज सिंह और रागिनी सिंह आमने-सामने होंगी। कांग्रेस नेता नीरज सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी और झरिया की मौजूदा विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। नीरज सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भाजपा की उम्मीदवार हैं।
डुमरी सीट- झामुमो के पूर्व मंत्री जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी का सीधा मुकाबला आजसू की यशोदा देवी से है। पिछले साल 2019 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा और आजसू अलग-अलग चुनाव लड़े थे, तब भी यशोदा देवी ने आजसू के बैनर तले इस सीट पर चुनाव लड़ा था और झामुमो के दिवंगत जगरनाथ महतो के बाद दूसरे स्थान पर रही थीं।
रामगढ़ सीट- 2019 में कांग्रेस की ममता देवी ने आजसू की सुनीता चौधरी को हराया था। हालांकि गोला गोलीकांड में सजा के बाद ममता देवी की विधानसभा सदस्यता चली गई थी। 2023 के उपचुनाव में सुनीता चौधरी ने ममता देवी के पति बजरंग महतो को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया है। इस बार आजसू से सुनीता चौधरी और कांग्रेस से ममता देवी दोनों फिर से आमने सामने हैं।
3 सीटों पर इंडी गठबंधन आमने-सामने
झारखंड विधानसभा चुनाव झामुमो, कांग्रेस, राजद और भाकपा-माले संयुक्त रूप से लड़ा। हालांकि, कुछ सीटों पर बात नहीं बनी और गठबंधन से ही अलग-अलग दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए। इसमें छतरपुर, बिश्रामपुर और धनवार सीटें शामिल हैं।
– भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और झामुमो के प्रत्याशी धनवार सीट पर आमने-सामने हैं।
– छतरपुर में कांग्रेस और राजद प्रत्याशियों में मुकाबला
– इसके साथ ही बिश्रामपुर में में भी कांग्रेस और राजद प्रत्याशियों में मुकाबला है
चतरा से 2 स्वर्गीय विधायक के बेटों में टक्कर
चतरा सिमरिया से दो पूर्व स्वर्गीय विधायक के पुत्र आमने सामने हैं। दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर हुई है। चतरा सिमरिया के पूर्व विधायक स्वर्गीय उपेंद्र नाथ दास के बेटे उज्ज्वल दास पर भाजपा और पूर्व विधायक स्वर्गीय रामचंद्र राम के बेटे मनोज चंद्रा पर JMM ने दांव लगाया है।
दांव पर सोरेन परिवार की प्रतिष्ठा
– मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के गमालियेल हेंब्रम से है जो पहले आजसू पार्टी में थे।
– कल्पना सोरेन गांडेय सीट से जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला बीजेपी की मुनिया देवी से है।
– हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन दुमका सीट से जेएमएम के उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के सुनील सोरेन से है।
– हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन जामताड़ा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के इरफान अंसारी से है।
चुनावी मैदान में बड़े सियासी चेहरे
ऐसे उम्मीदवारों की लिस्ट में बाबूलाल मरांडी से लेकर चंपई सोरेन, सीता सोरेन और लुईस मरांडी जैसे कद्दावर नेता शामिल हैं। इसमें से दो नेताओं ने तो सिंबल के साथ सीट भी बदल ली है। पहले नेता सरयू राय हैं। सरयू राय 2019 का चुनाव जमशेदपुर ईस्ट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े थे और रघुबर दास को हराया था। इस बार उन्होंने जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट जमशेदपुर वेस्ट से पर्चा भरा है। वहीं सीता सोरेन ने जामा सीट से JMM की टिकट पर 2019 का चुनाव जीता था। इस बार उन्होंने बीजेपी की टिकट से जामताड़ा का मैदान संभाला है।
दल बदलने वाले बड़े नेता
बाबूलाल मरांडी- बीजेपी अध्यक्ष और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी धनवार से चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने 2019 में JVM से चुनाव लड़कर जीता था। इस बार उनकी पार्टी का बीजेपी में विलय हो गया है।
चंपई सोरेन- पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन दल बदलकर बीजेपी के उम्मीदवार बने हैं। इस कारण इस बार सबकी नजरें सरायकेला के परिणामों पर रहेगी। यहां चंपई सोरेन का मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा के गणेश माहली से है।
कमलेश सिंह- हुसैनाबाद सीट कमलेश सिंह न पिछला चुनाव एनसीपी के टिकट पर लड़कर जीता था। पार्टी में फूट के बाद उन्होंने अजित पवार का साथ चुना और अब उनको बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है।
केदार हाजरा- जमुआ विधानसभा सीट पिछला चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़ा था। इस बार टिकट कटा तो उन्होंने जेएमएम का रुख किया। अब उनका मुकाबला कांग्रेस से बीजेपी में पहुंची मंजू देवी से है।
जेपी पटेल- 2019 में जेपी पटेल ने बीजेपी के टिकट पर मांडू विधानसभा सीट जीती थी। इस बार उन्होंने कांग्रेस के खाते से चुनाव लड़ना स्वीकर किया है। उनका मुकाबला एनडीए समर्थित प्रत्याशी निर्मल महतो उर्फ तिवारी महतो से है।
उमाशंकर अकेला- 2019 में बरही विधानसभा सीट से उमाशंकर ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर जीता था। इस बार उन्होंने पाला बदला और समाजवादी पार्टी की साइकिल में सवार हो गए। यहां से बीजेपी ने मनोज यादव और कांग्रेस ने अरुण साहू को उम्मीदवार बनाया है।
लोबिन हेम्ब्रम- जेएमएम के कद्दावर नेता लोबिन हेम्ब्रम ने 2019 के बोरियो से चुनाव जीता था। इस बार उन्होंने बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उनके सामने JMM के धनंजय सोरेन मैदान में हैं।