Getting your Trinity Audio player ready...
|
– विकास मिश्र:
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट हो गया और मुहम्मद यूनुस की सरकार आ गई। इसके बाद से ही वहां वहां के हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ गई हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद वहां हिंदुओं पर अत्याचार का मामला एक बार फिर तूल पकड़ रहा है। इसके खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी बांग्लादेशी हिंदुओं की चिंता सताने लगी है। ममता बनर्जी ने विधानसभा में सोमवार को जो कुछ भी कहा, उसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
ममता बनर्जी ने आखिर कहा क्या..?
हर मामले में मुखर रहीं ममता बनर्जी बांग्लादेश के हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं पर अक्सर चुप्पी साधे रहती हैं, लेकिन अब जब पूरे देश में बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो ममता को भी बांग्लेदेशी हिंदू याद आने लगे हैं। ममता बनर्जी ने सोमवार को विधानसभा में बाकायदा इसकी चर्चा की। ममता ने जो कुछ भी कहा उसे आप इन 5 प्वाइंटर्स में समझ सकते हैं।
1-केंद्र सरकार बांग्लादेश में शांति सेना तैनात करने के लिए संयुक्त राष्ट्र से संपर्क करे।
2-बांग्लादेश में सताए जा रहे भारतीयों को वापस लाया जाए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मामले में दखल दें।
3-बांग्लादेश के पीड़ित भारतीयों को बचाकर लाया जाए और उनका पुनर्वास करवाया जाए।
4-पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में ही बांग्लादेशी पीड़ितों के पुनर्वास के लिए तैयार है। उनके साथ रोटी साझा करने में कोई दिक्कत नहीं है।
5-पड़ोसी देश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार तुरंत कदम उठाए। प्रधानमंत्री बांग्लादेश की स्थित पर संसद में बयान दें।
तो क्या CAA और NRC की अहमियत समझने लगीं ममता बनर्जी?
पड़ोसी देशों में बसे गैर मुस्लिमों को भारत में शरण देने और उन्हें नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार ने CAA और NRC के कानून का प्रस्ताव किया था। इसका समूचे विपक्ष ने विरोध किया था। ममता बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया था कि यह कानून बंगाल की संस्कृति और परंपरा के विरुद्ध है। लेकिन अब वही ममता बनर्जी बांग्लादेश में पीड़ित हिंदुओं को देश में लाकर पुनर्वास की मांग कर रही हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या CAA और NRC को लेकर ममता बनर्जी का हृदय परिवर्तन हो गया है? क्या ममता अब CAA और NRC का समर्थन करेंगी..?
ममता बनर्जी के हिंदू प्रेम के पीछे क्या है?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगते रहते हैं। साथ ही दक्षिणपंथी उन्हें हिंदू विरोधी भी कहते हैं। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया भी था। ममता बनर्जी पर बांग्लादेश से आए मुस्लिम समुदाय के शरणार्थियों को पनाह देने और उन्हें सारी सुविधाएं देने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ, जिससे ममता की ममता बांग्लादेश में पीड़ित हिंदुओं पर छलक गई…? इसकी कई वजहें हैं। मसलन-
1- जब-जब बांग्लादेश में हिंसा की बड़ी घटनाएं हुईं, तब तब पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन हो गया। 1964 और 1975 में ऐसा ही हुआ।
2- बांग्लादेश में जब-जब बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, तब विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया और सरकार बदल गई।
3- बांग्लादेश में मुस्लिम आबादी महज 28 फीसदी है, हिंदू आबादी 70 फीसदी है, ऐसे में अगर हिंदुओं ने ममता बनर्जी से किनारा कस लिया तो सरकार गिरनी तय है।
4- बीजेपी ने 2021 विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगाते हुए हिंदुओं को एक करने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। जनता ने ममता बनर्जी में भरोसा जताया था।
5- पश्चिम बंगाल में बीजेपी बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा जोर शोर से उठा रही है। 2026 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में अगर हिंदू वोटों को ध्रुवीकरण हो गया तो ममता सरकार के गिर जाने का खतरा है। इसी खतरे को भांपते हुए ममता बनर्जी बांग्लादेश के पीड़ित हिंदुओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता रही हैं। तो मामला सियासी है, जिसकी वजह से ममता बनर्जी का बांग्लादेश में बसे हिंदुओं के प्रति प्रेम उमड़ आया है।
बांग्लादेश में ममता बनर्जी के बयान का विरोध
बांग्लादेश में बसे हिंदुओं के प्रति ममता बनर्जी का प्रेम उमड़ा तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से वहां शांति सेना भेजने की बात कह डाली। इस बात पर बांग्लादेश में ममता का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। बीबीसी के मुताबिक बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने ममता बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा, ‘ममता बनर्जी की बांग्लादेश में शांति सैनिक भेजे जाने की मांग राजनीति में उनकी मदद नहीं करेगी। मेरा मानना है कि राजनीतिक तौर पर यह टिप्पणी सही नहीं है. राजनीतिक बहसों को हमेशा राजनीतिक नज़रिए से देखा जाना चाहिए। यह बयान पश्चिम बंगाल की राजनीति में उनकी स्थिति के लिए मददगार नहीं होगा।’
इस्कॉन की चौंकाने वाली नई एडवाइजरी
बांग्लादेश में इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद वहां के बहुसंख्यकों के निशाने पर हिंदू समाज के लोग और खास तौर पर इस्कॉन के संत हैं। इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने हिंदुओं के लिए जिस तरह की एडवाइजरी जारी की है, वो चौंकाने वाली है। उन्होंने इस एडवाइजरी में कहा-
1- तिलक और भगवा वस्त्र पहनकर बाहर न निकलें हिंदू समाज के लोग
2- इस्कॉन के अनुयायी साधु के रूप में अपनी पहचान सार्वजनिक न करें
3- इस्कॉन के अनुयायी अपने घरों में या फिर मंदिर में ही अपने धर्म का पालन करें
हालांकि राधारमण दास ने यह भी कहा कि ये उपाय अस्थायी हैं। इसका मकसद सिर्फ हिंदुओं की सुरक्षा तय करना है। हम आपको बता दें कि बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े साधु-संतों को लगातार डराया-धमकाया जा रहा है।