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– साहिल सिंह:
मणिपुर में पिछले हफ्ते भड़की हिंसा CM के इस्तीफे की मांग पर आकर खड़ी है। मणिपुर के 7 जिलों में हिंसा का असर देखा जा रहा है। 7 जिलों इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, काकचिंग, कांगपोकपी, थौबल और चुराचांदपुर में इंटरनेट-मोबाइल सर्विस लगा बैन 20 नवंबर तक बढ़ा दिया है। साथ ही सभी जिलों के स्कूल-कॉलेज और दूसरी संस्थाएं 20 नवंबर तक बंद रखने ते आदेश मिले हैं।
कैसे भड़की हिंसा
11 नवंबर को सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाते हुए 10 कुकी उग्रवादियों को जिरिबाम जिले में मार गिराया था। मुठभेड़ के बीच उग्रवादियों ने 6 मैतई समुदाय के लोगों को किडनैप किया था। जिसमें 3 महिलाएं और 3 बच्चे शामिल थे। जिसके के बाद 16 नवंबर को पांच लोगों के शव बरामद हुए। एक महिला का शव 18 नवंबर यानी सोमवार को मिला। इसके बाद से ही मणिपुर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। जिरिबाम जिले में 17 नवंबर को प्रदर्शनकारियों को रोकते वक्त पुलिस की गोली से एक मैतेई व्यक्ति की मौत हो गई। जिसके बाद हिंसा ओर भड़क उठी।
प्रदर्शन जोर-शोर में जारी
मैतेई समुदाय की 6 महिलाओं और एक बच्चे की मृत्यु के बाद से मणिपुर फिर से आग के गोले में तब्दील हो गया है। मणिपुर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने इंफाल में प्रदर्शन किया, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और गवर्नर एलपी आचार्य के पुतले जलाए। CM बीरेन और भाजपा विधायकों के घर पर भी हमले किए। जिसके बाद आर्मी, असम राइफल्स, बीएसएफ, सीआरपीएफ, मणिपुर पुलिस और राज्य के कमांडो इंफाल और बाहरी इलाकों में फ्लैग मार्च कर रहे हैं।
इंफाल के इमा कीथल में एक संगठन COCOMI और मणिपुर के लोग अनिश्चितकाल के लिए धरने पर बैठे हैं। इन लोगों का कहना है कि मणिपुर में शांति बहाल करने में केंद्र और राज्य सरकार विफल रही है।
CM को देना पड़ेगा इस्तीफा?
इससे पहले मणिपुर के CM एन बीरेन सिंह और बीजेपी विधायकों के घरों पर हमले हुए थे। 16 नवंबर को हुए हमले के बाद कुछ मंत्रियों सहित बीजेपी के 19 विधायकों ने CM बीरेन सिंह को हटाने की मांग की है। सब ने मिलकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा है। इसमें CM बीरेन को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गई है। सूत्रों के अनुसार मणिपुर के हालात और गंभीर होते है तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
NPP ने बीजेपी से समर्थन वापस लिया
मणिपुर में बीजेपी के अगुवाई वाली NDA गठबंधन के साथ सरकार में रही राज्य की क्षेत्रीय पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने 17 नवंबर यानी रविवार को समर्थन वापस ले लिया है। मणिपुर की 60 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी के 32 विधायक है वहीं NPP के 7 विधायक है। 60 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 का है। इसलिए मणिपुर की सरकार को कोई खतरा नहीं है।
हिंसा का इतिहास
23 मई 2023 को पहली बार मणिपुर से हिंसा की खबर आई। उसके बाद से मणिपुर सभी टीवी चैनल और अखबारों की सुर्खियां बनात आ रहा है। मणिपुर में मुख्य तौर पर तीन समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। कुकी और नगा ST वर्ग में आते हैं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई है।
डेढ़ साल में 237 की मौत
मणिपुर में कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग डेढ़ साल हो गए है। दैनिक भास्कर के मुताबिक मणिपुर में अब तक 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और साथ ही 500 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
मैतेई पक्ष
मणिपुर में दो समुदाय की अच्छी पकड़ है। कुकी और मैतेई। कुकी बनाम मैतेई की लड़ाई शुरू हुई मैतेई के ST दर्जा मांगने से, जिसका विरोध कुकी समुदाय के लोग करते आ रहे हैं। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। मैतेई समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें अनुसूचित जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था।
कुकी का पक्ष
कुकी और नगा जनजाति मैतेई के आरक्षण का विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि राज्य में 60 में से 40 विधानसभा सीट मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में अनुसूचित जनजाति वर्ग में उनको आरक्षण मिलने से कुकी समुदाय के अधिकारों का बंटवारा होगा। हाल ही के सरकार में मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं।
मणिपुर में कुल आबादी 38 लाख है। इसमें मैतेई समुदाय की आबादी करीब 50 % है।राज्य के इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय का बसेरा है। नगा और कुकी की कुल आबादी 34 फीसदी है। ये लोग मणिपुर के 90% इलाके में रहते हैं।
मणिपुर पर सियासी बयानबाजी
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने X पर अपनी पोस्ट में लिखा- “मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसक झड़पों और लगातार हो रहे रक्तपात ने देश को झकझोर कर रख दिया है। पिछले एक साल से अधिक समय से राज्य में विभाजन और पीड़ा का माहौल है। हर भारतीय की उम्मीद थी कि केंद्र और राज्य सरकारें सामंजस्य स्थापित करने और समाधान खोजने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी। एक बार फिर प्रधानमंत्री से अपील है कि वह मणिपुर का दौरा करें और क्षेत्र में शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए काम करें। इस कठिन समय में वहां के लोगों को सहयोग की जरूरत है”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल खड़े करते हुए कहा -” भाजपा चाहती है कि मणिपुर जले। वह नफरत और बांटने वाली राजनीति कर रही है। 7 नवंबर से अब तक राज्य में 17 लोगों की जान जा चुकी है। कई अन्य जिलों में हिंसा भड़क रही है। मणिपुर के मामले में आप (PM मोदी) फेल रहे। अगर कभी भविष्य में आप मणिपुर गए तो वहां के लोग कभी आपको माफ नहीं करेंगे। वे कभी ये नहीं भूलेंगे कि आपने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया।”
मणिपुर भेजी जाएंगी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 50 कंपनियां
दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर को लेकर अधिकारियों संग हिंसा पर लगातार दूसरे दिन रिव्यू मीटिंग की। अमित शाह ने राज्य व केंद्रीय सुरक्षा बलों को मौजूदा हिंसा को तत्काल रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों की 50 अतिरिक्त कंपनियां (5000 जवान) भेजने का भी निर्णय लिया गया। दो दिन पहले ही गृह मंत्रालय केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 20 कंपनियां मणिपुर भेज चुका है।